शिक्षा में जितने सारे विकल्प आज हैं पहले कभी नहीं रहे
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीएससी करने जब मैं प्रयागराज पहुंचा था, तब विषयों का चुनाव बड़ा सीमित था। जूलोजी, बॉटनी के साथ कैमिस्ट्री लेना अनिवार्य होता था। मुझे कैमिस्ट्री पसंद नहीं थी, फिर भी यह विषय मुझे झेलना पड़ा। इस सब के बाद भी रोजगार के बाजार में इस डिग्री की कोई वैल्यू नहीं थी। इसके बूते डायरेक्ट जॉब पाने के अवसर भी बेहद सीमित थे। लगता है कि हमने वह तीन साल व्यर्थ कर दिए। न उनसे कोई ज्ञान मिला, न रोजगार। परंतु आज ऐसा नहीं है। वर्तमान छात्रों को पढ़ने लिखने के सैकड़ों विकल्प और साधन उपलब्ध हैं और उसके बाद रोजगार के भी रंगबिरंगे अवसर मिल रहे हैं। भले ही महामारी ने छात्रों के दो साल खराब कर दिए या कहें कि उनकी पढ़ाई सुचारु ढंग से नहीं हो पाई। दूसरी ओर, यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। यूजीसी 2022-23 सत्र के लिए एक नियम बनाने जा रहा है, जिसके तहत छात्रों को दो डिग्री कोर्स एक साथ करने की छूट होगी। अभी यह सहूलियत नहीं है।
नए नियम जारी होने के बाद, एक ही यूनिवर्सिटी से अथवा अलग-अलग संस्थानों से दो अलग-अलग कोर्स एक साथ किए जा सकेंगे और दोनों को पूर्ण सरकारी मान्यता होगी। विद्यार्थी चाहें तो एक डिग्री कोर्स यहां से करते हुए, दूसरी डिग्री ऑनलाइन अथवा अन्य माध्यम से किसी विदेश यूनिवर्सिटी से भी कर सकेंगे। इस तरह से विद्यार्थियों का समय बचेगा। यूजीसी देश के सभी विश्वविद्यालयों को आपस में जोड़ने भी जा रहा है, जिससे विद्यार्थियों को आधी पढ़ाई एक यूनिवर्सिटी से और बाकी आधी पढ़ाई दूसरी किसी यूनिवर्सिटी से जारी रखने की सहूलियत मिल सकेगी। कहते हैं कि जो किसी और काम का नहीं होता, उसके लिए राजनीति का विकल्प खुला रहता है। यह एक ऐसा कॅरियर है जिसमें न उम्र का बंधन है, न पढ़ाई लिखाई की कोई मांग है। बस थोड़ा समय रोज देते रहो किसी पार्टी या नेता को, धीरे धीरे कहीं न कहीं जगह बन जाएगी। ज्यादा बड़े पद की जरूरत भी नहीं है, विधायक बनना भी काफी है मालामाल होने के लिए।
देश के लगभग सभी राज्यों में, नेताओं को पांच साल तक विधायक रहने पर मोटी तनख्वाह, रौब रुतबा, सरकारी सुविधाएं मिलती हैं और बाद में पेंशन लग जाती है। दूसरी या तीसरी बार विधायक बनने पर पेंशन की राशि दोगुनी तिगुनी होती जाती है। यह मुफ्त की कमाई जीवन भर चलती रहती है। एक आरटीआई के माध्यम से मीडिया में सामने आई जानकारी से पता चला है कि हरियाणा के पूर्व विधायक कैप्टन अजय यादव को सबसे ज्यादा 2.38 लाख रुपए महीने की पेंशन मिल रही है। प्रदेश के 18 अन्य नेताओं की पेंशन डेढ़ लाख रुपए से अधिक है। हरियाणा सरकार 275 पूर्व विधायकों और 128 पूर्व विधायकों के आश्रितों की पारिवारिक पेंशन पर हर साल 29 करोड़ रुपए खर्च करती है। जनता के पैसे का इस तरह से दुरुपयोग होता है। सबसे अधिक पारिवारिक पेंशन 99,619 रुपए पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल की पत्नी को प्रतिमाह दी जा रही है। हिमाचल प्रदेश में पूर्व विधायक को 82 हजार रुपए पेंशन के मिलते हैँ और दोबारा तिबारा विधायक बनने पर 2 हजार रुपए जुड़ते जाते हैं। कुल मिलाकर राजनीति में पैसे और पॉवर की बरसात होती रहती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)