लुधियाना के मज़दूर संगठनों की ओर से 1 मई अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस मनाने का ऐलान
लुधियाना: लुधियाना के उद्योगिक मज़दूर संगठनों टेक्सटाईल हौजरी कामगार युनियन व कारखाना मज़दूर य़ुनियन की संयुक्त मीटिंग की गई, जिसमें 1 मई अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस मनाने के बारे में विचार-चर्चा की गई। संगठनों ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वढी मज़दूर आबादी तक 1 मई का संदेशा लैजाने के लिए पर्चे व पोसटर छपवाने व 1 मई के दिन मज़दूर पुस्तकाल्य ई. डब्ल्यू. एस कालोनी, ताज़पुर रोड लुधियाना पर कार्यक्रम करने का फैसला लिया। इस कार्यक्रम में क्रांतिकारी गीतों व नाटकों की पेशकारी भी की जाएगी।
प्रेस नोट जारी करते हुए टेक्सटाईल हौज़री कामगार युनियन के मुख्य सचिव गुरदीप सिंह ने कहा कि मई दिवस मज़दूरों के हक्क-अधिकारों के लिए किए गए संघर्षों का प्रतीक है। 1 मई “आठ घंटा काम, आठ घंटा आराम व आठ घंटा मनोरंज़न” की माँग के लिए कुरबान हुए शहीद मज़दूरों की याद में मनाया जाता है। हर वर्ष यह दिन मज़दूरों को याद दिलाता है कि हमें मिले सभी हक-अधिकार हमारे पूरवजों की कुरबानियों की बदौलत हैं। कभी भी सरकार या पूंजीपतियों ने मज़दूरों को कोई अधिकार खैरात में नहीँ दिया, वलकि जब भी यह लोग मज़दूरों की एकता को कमयोरी की हालत में पाते हैं तो उनके अधिकारों पर हमला कर देते हैं। अब भी केंद्र में बैठी मोदी सरकार व पंजाब की कैप्टन सरकार ने करोना व लाकडाउन की आड में मज़दूरों के पक्ष में बने श्रम कानूनों में संशोधन करने का काम जारी कर रखा है। पहले मोदी सरकार ने पुराने 29 श्रम कानूनों को ख्तम करके 4 कोड़ बना दिए व अब कैपटन सरकार ने मज़दूरों के पक्ष में बने 479 नियम व शर्तों से पूंजीपतियों का छुटकारा करवा दिया है। इसके नतीजे में मज़दूरों का आर्थिक शोषन तेज़ होगा व कारखानों में हादसों से सुरक्षा का प्रबंध न होने के चलते मज़दूरों की मौत दर बढेगी। इस लिए जरूरी है कि मज़दूर वर्ग को इन आने वाले खतरों व मुसीबतों के बारे में जागरूक किया जाए व एकजुट संघर्ष के रासते पर लाया जाए।
इसलिए लुधियाना के उद्योगिक मज़दूर इलाकों व आसपास के गाँव में पर्चा वितरण करके व पोसटर लगाकर प्रचार-अभियान चलाने का फैसला किया गया है व प्रचार शुरू भी कर दिया गय़ा है। अभिय़ान के दौरान व कार्यक्रम के लिए होने वाला सारा खर्चा आम लोगों से चंदा जुटाकर किया जाएगा।