समाचार विश्लेषण/माटी के लाल या दलबदल का कमाल?
-कमलेश भारतीय
पश्चिमी बंगाल के दौरे के दूसरे दिन भाजपा के चाणक्य व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दीदी ममता बनर्जी के मां , माटी और मानुस नारे की तर्ज पर बोले कि पश्चिमी बंगाल में इस बार माटी का लाल ही मुख्यमंत्री बनेगा दीदी । उन्होंने ममता की कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस बनाने की आलोचना की । नरसिंह राव को बाहरी कहे जाने की बात याद दिलाई । कितने अच्छे उदाहरण दिये अमित शाह जी ने लेकिन आप जानते हैं की माटी के लाल सिर्फ भाजपा में ही हैं और वे भी वो जिन्हें चुनाव से पहले या बाद में भाजपा में पाला बदल कर लाया जा चुका है । यानी एक नाम जिसे शुभेंदु कहते हैं । हर राज्य में यही खेल । असम में कांग्रेस के ही नेताओं के बल पर सरकार बनाई । मणिपुर के माटी के मानुस तो कमाल के निकले, सिर्फ दो भाजपा विधायकों के सहारे कमल खिला दिया । मध्य प्रदेश में सिंधिया मिला और राजस्थान में सचिन काम नहीं आया । है न जादू? ऐसे ऐसे हैं माटी के लाल? ऐसे ही माटी के लाल पश्चिमी बंगाल में भी देखने को मिल जायेंगे । कैसा मुकाबला है यह ? महाभारत है पूरी तरह से । कोई रिश्ता नहीं, कोई नियम नहीं , दिन या रात नहीं । बस । युद्ध कर । बिना हथियार के जंग जीत । पैसा बहा । पैसा लुटा । लोकतंत्र और संविधान ताक पर रख । सिर्फ सरकार बना । बस । एक ही लक्ष्य । जीत पर नज़र रख । बाकी सब आदर्श दूसरी पार्टियों के लिए छोड़ और थोप दे ।
जिसे कहते हैं सरकार
वह दलबदल का जादू है ,,
जिसे कहते हैं सरकार
वह बायें हाल का कमाल,,,
क्या यह चुनाव निष्पक्ष होने जा रहे हैं या इनके निष्पक्ष होने की उम्मीद है ? क्या चुनाव सिर्फ आई वाश ही रह गये? कभी ईवीएम चर्चा में आती है तो कभी हिंसा की घटनाएं बढ़ जाती हैं । बंगाल में हिंसक घटनाएं बढ़ने के समाचार हैं । यानी लोग डर कर वोट डालने ही कम निकलें । वोट प्रतिशत गिर जाये । कितने कितने हत्थकंडे अपनाए जा रहे हैं । कहा है माटी के लाल?