भारतीय न्याय संहिता के बारे में किया जागरूक

भारतीय न्याय संहिता के बारे में किया जागरूक

रोहतक, गिरीश सैनी। स्थानीय राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जिला महिला सशक्तिकरण केंद्र के तहत भारतीय न्याय संहिता एक्ट पर विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बतौर मुख्य वक्ता जिला विधिक प्राधिकरण सेवा से विजयपाल कक्षा 11वीं की छात्राओं को भारतीय न्याय संहिता एक्ट से संबंधित विभिन्न प्रावधानों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहले से चले आ रहे कानूनी प्रावधानों में आधुनिक समाज की आवश्यकता के अनुसार जरूरी बदलाव किए गए है। महिला व पुरुष दोनों को बराबर के कानूनी अधिकार देते हैं। इनमें हिंसा व भेदभाव से मुक्त रहने का अधिकार, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्त करने योग्य आनंद लेने का अधिकार, शिक्षित होने का अधिकार शामिल हैं।

छात्राओं को बताया गया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) भारत गणराज्य में आधिकारिक दंड संहिता है। यह दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित होने के बाद 1 जुलाई 2024 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)को बदलने के लिए लागू हुई, जो ब्रिटिश भारत के समय से चली आ रही है। भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थी, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना व बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है।

उन्होंने बताया कि दुष्कर्म पीड़िता का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी। नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है, जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के तहत पीड़ित को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। कार्यक्रम का संचालन जिला कार्यक्रम अधिकारी कुमारी दीपिका सैनी, मंजू रानी, मिशन कोऑर्डिनेटर सविता द्वारा किया गया।