समाचार विश्लेषण/महाराष्ट्र: कोई अघाड़ी, कोई पिछाड़ी
राजनिति संभावनाओं का खेल
-कमलेश भारतीय
सब कहते हैं और मानते हैं कि राजनीति संभावनाओं का खेल है । कौन कल्पना कर सकता था कि कभी धुर विरोधी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ एकजुट होकर अघाड़ी सरकार बना लेंगीं ? यह बात संभावनाओं के खेल के चलते सच हुई । एक ऐसी सरकार जो अढ़ाई साल चली खींचतान कर । कभी कांग्रेस ने खींचा तो कभी एनसीपी ने और शिवसेना के अपने विधायक कसमसाते रह गये । शिवसेना विधायकों ने यही आरोप लगाया कि हमारे लिए मुख्यमंत्री आवास वर्षा के द्वार बंद रहे । इसलिए हम बागी हो गये । यह बगावत यहां तक पहुंची कि उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट से पहले ही अपमानजनक ढंग से इस्तीफा देना पड़ा । क्या उद्धव ठाकरे या शिवसेना का ऐसा अंत या ऐसी दुर्दशा की कल्पना की थी किसी ने ? मात्र अढ़ाई साल के राज में सब कुछ खो दिया । दुखद अंत । वैसे संभावना अभी शेष है कि उद्धव अब सब कुछ नये सिरे से शुरू करेंगे । पहली बार, विधायक और पहली ही बार मुख्यमंत्री । अनुभव की कमी से दिखी । ऊपर से शरद पवार, जैसा मंझा हुआ खिलाड़ी । कौन नचाये नाच ? समझ सकते हैं ।
अब राजनीति की नयी संभावना देखिए कि जिस देवेंद्र फडणबीस को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जा रहा था , उसे पीछे कर एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बना दिया गया और देवेंद्र फडणबीस को पदावनत कर डिप्टी सीएम बनने को कहा गया । सच लड्डू एकदम कड़वे से लगने लगे होंगे कि नहीं ? यह भी एक नयी संभावना है कि किसी तरह असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की बनाई जाये । बाकायदा मान्यता दिला कर निर्वाचन आयोग से । इस तरह उद्धव ठाकरे और शिवसेना को पूरी तरह कमजोर कर दिया जाये । राज ठाकरे पहले से ही अलग मनसे चला रहे हैं । शरद पवार को भी कमजोर किया जाये । इतनी संभावनाओं का खेल अभी बाकी है और चल रहा है । कोई कयास लगा रहा है कि अब संजय राउत जेल जायेंगे । कोई कह रहा है कि कंगना रानौत का श्राप अपना असर दिखा गया । कोई कह रहा है कि कंगना रानौत की पावर सबसे ज्यादा होगी इस सरकार में । राजनीति की संभावनायें अनंत और अनंत रूप हैं राजनीति के । जब यह गेम ओवर हो जायेगा तब शायद देवेंद्र फडणबीस के दिन भी फिर जायें । फिलहाल के लिए आप भी नयी नयी संभावनायें तलाशें और ऑटो चालक से मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे की चाल देखिए । कोई कोई सोशल मीडिया पर लिख रहा है कि ऑटो चालक जिस भी सवारी को बिठाता है उसे सही जगह छोड़कर आता है । अब यह पता नहीं उद्धव ठाकरे के लिए है या देवेंद्र फडणबीस के लिए । पर है मजेदार और कुछ कुछ रहस्यमयी ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।