समाचार विश्लेषण/महाराष्ट्र: पिक्चर अभी बाकी है दोस्त
-*कमलेश भारतीय
महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार को गिराने की पिक्चर अभी बाकी है दोस्त । दिल थाम कर देखते रहिए इसका प्रतिदिन का एपिसोड । हर एपिसोड रोमांचक और मजेदार । फुल्ल मनोरंजन का वादा । हर कैरेक्टर अपना रोल सही निभा रहा है और निर्देशक भी बहुत खुश है कि उसकी पटकथा हिट हो रही है ।कैरेक्टर भी नित नये जोश में आते हैं । अभी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे फिर से जोश में भरे दिखते हैं । उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे भी बागी विधायकों की पत्नियों को अपने पति की सरकार न गिराने के लिए फोन कर रही हैं । यह भी मालूम हुआ कि रश्मि और उद्धव ठाकरे शादी से पहले प्रेमी प्रेमिका थे और बाला साहब के डर से शादी करवाने के बाद दो साल तक तो मातोश्री आए ही नहीं थे । फिर आए और रश्मि धीरे धीरे बाला साहब ठाकरे की लाडली बहू बन गयी । यह एपिसोड भी बहुत पसंद आया होगा आपको । सावित्री जैसी पत्नी तो यमराज से भी पंगा लेकर सत्यवान को लौटा लाई थी । अब देखिए रश्मि सरकार बचाने में कामयाब होती है या नहीं ।
जहां रश्मि मनुहार कर रही है , वहीं बेटे आदित्य और राज्यसभा सांसद संजय राउत दहाड़ रहे हैं बागियों पर । यानी क्रिकेट की तरह एक तरफ से रश्मि की स्पिन बाउलिंग हो रही है तो दूसरी ओर से संजय फास्ट वाउलिंग कर रहे हैं । दोनों छोर में से किसको विकेट मिलते हैं यह देखना है ।
इधर ईडी संजय राउत पर मेहरबान हो गयी है और संजय राउत कह रहे हैं कि ईडी भी आ जाये पर मैं गुवाहाटी का रूट नहीं अपनाऊंगा यानी मैं समर्पण नहीं करने वाला । यह ईडी भी कमाल है पालतू तोते से बढ़कर । जहां चाहो वहीं इसे भेज दिया जाता है ।
खैर , अभी कोर्ट का सीन भी होने लगा है और ऐसा माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे को राहत मिल गयी है और बारह जुलाई तक सरकार भी चलती रहेगी । कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं आएगा ।
और भी मजेदार सीन कि मनसे वाले राज ठाकरे ने एंट्री ले ली है और अपने पुराने हिसाब चुकता करने आ गये हैं । महाराष्ट्र क्योंकि फिल्मी दुनिया का मायाजाल है तो सरकार गिराने भी रोमांचक से रोमांचक मोड़ आ रहे हैं , बिल्कुल फिल्मी । अब जैसे राज ठाकरे हुकार भर कर पूछ रहे हैं -कहो उद्धव कैसा लग रहा है ? अब ये सारे बागी विधायक मनसे में आ जायेंगे । सारे हिसाब चुकता हो जायेंगे । यह राजनीति हो रही है या कोई रोचक फिल्म बन रही है ? कोई बताओ यारो । कमाल की पटकथा लिखी जा रही है । पर इस पटकथा में कहीं भी विचार , विचारधारा , मर्यादा या उच्च मानदंड नहीं हैं । यह शुद्ध राजनीतिक गिरावट की फिल्म है जो दलबदल और खरीद फरोख्त से शुरू होती है और संभवतः डिप्टी सीएम और मंत्रीपद से समाप्त होगी पर जिस तरह बागी विधायकों के घरों पर पथराव किया गया या बाला साहब ठाकरे के पुराने इंटरव्यू दिखाये जा रहे हैं तो लगता है यह बहुत शुरू से ही शिवसेना का चरित्र रहा है । अब सवाल हिंदुत्व पर भी अटक गया है ।
। वैस भी यह कोई महाभारत धारावाहिक नहीं जिसमें मर्यादा या धर्म की बात होगी । यदि अघाड़ी सरकार रहेगी तो हिंदुत्व नहीं बचने वाला , यह एकनाथ शिंदे का विचार है और पहली शर्त यही कि अघाड़ी सरकार से बाहर निकलो । शरद पवार को भी बुरा भला कहा जा रहा है । बात सिर्फ सरकार गिराने की नहीं है , शिवसेना को , उद्धव ठाकरे को सबक सिखाने की है । संजय राउत के बोलों पर लगाम लगाने की है । फडणबीस फड़फड़ा रहे हैं -हाय कुर्सी इतनी दूर क्यों होती जा रही है ? हाय कुर्सी तेरे बिन जी न लगे ।
खैर अब गेंद कोर्ट के पाले में है।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।