महर्षि दयानंद सरस्वती का हिंदी भाषा के संवर्धन में योगदान हैः डॉ. जगदेव विद्यालंकार
अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी संपन्न।
रोहतक, गिरीश सैनी। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के महर्षि दयानंद एवं वैदिक अध्ययन केंद्र तथा संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी संपन्न हो गई।
इस अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र की अध्यक्षता पं. नेकीराम शर्मा महाविद्यालय, रोहतक के पूर्व प्राचार्य डॉ. जगदेव विद्यालंकार ने की। इस सत्र में अमेरिका से डॉ. अमरजीत शास्त्री विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। शोभन सिंह जीना विश्वविद्यालय से पधारे डॉ. विनय विद्यालंकार ने महर्षि दयानंद का आर्य शिक्षा पद्धति में योगदान विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। इसी कड़ी में अध्यक्षीय टिप्पणी करते हुए डा. जगदेव विद्यालंकार ने महर्षि दयानंद सरस्वती का हिंदी भाषा के संवर्धन में योगदान विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। मंच संचालन डॉ. श्रीभगवान ने किया।
संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रो. ए.एस. मान ने कहा कि भारतीय इतिहास परंपराओं का इतिहास है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपने जीवनकाल में अपने व्याख्यानों तथा अपने ग्रंथों के माध्यम से लुप्त हुई भारतीय परंपराओं और मान्यताओं को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। विशेष व्याख्यान देते हुए परोपकारिणी सभा, अजमेर के संरक्षक वेदपाल आचार्य ने महर्षि दयानंद सरस्वती के समाज, महिलाओं और कर्मचारियों के प्रति दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। इस सत्र का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीता सैनी ने किया। महर्षि दयानंद एवं वैदिक अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. सुरेंद्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस दौरान देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के प्राध्यापक तथा शोधार्थी मौजूद रहे।