सांकेतिक भाषा को जन-जन की भाषा बनाएः डॉ. शरणजीत कौर

सांकेतिक भाषा को जन-जन की भाषा बनाएः डॉ. शरणजीत कौर

रोहतक, गिरीश सैनी। मूक-बधिर जन के प्रति सामाजिक सोच में बदलाव, शिक्षा व्यवस्था तथा समाज को समावेशी बनाने तथा शिक्षा संसाधन एवं अन्य आधारभूत सुविधाएं इस वर्ग के लोगों, विशेष रूप से मूक बधिर विद्यार्थियों को मुहैया कराने की संकल्पबद्धता शनिवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में -ब्रिजिंग बाउंड्रीज फॉर ए बेटर वर्ल्ड: एक्सप्लोरिंग इन्क्लूशन ऑफ पीपल विद डिसेबिलिटी थ्रू इंटर डिसीप्लिनरी अप्रोच विषयक विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में व्यक्त की गई।

एमडीयू के सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज तथा चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के तत्वावधान में आयोजित इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता प्रतिष्ठित समाज सेविका, एमडीयू की प्रथम महिला तथा मूक-बधिर अधिकार एक्टिविस्ट डॉ. शरणजीत कौर ने अपने संबोधन में कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर हम प्रण लें कि सांकेतिक भाषा को जन-जन की भाषा बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि कोई भी मूक-बधिर व्यक्ति शिक्षा से वंचित न रहें। मूक-बधिर जन को समाज-राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल करने की पुरजोर अपील डॉ. शरणजीत कौर ने की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतीय सांकेतिक भाषा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों में शामिल करने पर आभार जताया। हरियाणा के विश्वविद्यालयों से सांकेतिक भाषा के प्रोत्साहन को जन अभियान बनाने की अपील भी डॉ. शरणजीत कौर ने की।

इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की वाइस चांसलर प्रो. सुदेश छिक्कारा ने कहा कि हरियाणा में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की दशा-दिशा पर शोध की जरूरत है ताकि वस्तु स्थिति से अवगत होकर उनके कल्याण के लिए नीति-कार्यक्रम लागू किए जाएं। प्रो. सुदेश छिक्कारा ने शिक्षकों समेत समाज के सभी वर्गों से मूक-बधिर तथा दिव्यांगजन बारे संवेदीकरण पर बल देने की बात कही। इस संबंध में शिक्षण संस्थानों की भूमिका को प्रो. छिक्कारा ने रेखांकित किया।

मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि मूक-बधिर जन के शैक्षणिक अभिगम्यता की विशेष जरूरत है। इस वर्ग के व्यक्तियों की प्रतिभा को मंच प्रदान करने की भी जरूरत है। सामाजिक संवेदीकरण तथा सामाजिक जागरूकता के महत्व को कुलपति ने रेखांकित किया। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने समावेशी समाज सृजन के लिए शैक्षणिक तथा बहु विषयक शोध पहल की बात रखी। उन्होंने कहा कि एमडीयू दिव्यांगजन के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम में चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट की निदेशिका प्रो. सोनिया मलिक ने स्वागत भाषण दिया। सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज के निदेशक प्रो. राधेश्याम ने इस संगोष्ठी की पृष्ठभूमि तथा थीम पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन उप निदेशक डॉ. कपिल मल्होत्रा ने किया। संगोष्ठी संयोजक तथा सीडीएस उप निदेशिका डॉ. प्रतिमा ने कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय किया। आयोजन सचिव पल्लवी कुलश्रेष्ठ ने संचालन सहयोग दिया। आयोजन सहयोग आयोजन सचिव डॉ. योगेन्द्र सिंह ने दिया।

इस कार्यक्रम में डीन, सोशल साइंसेज प्रो. के.एस. चौहान, डीन कामर्स एंड मैनजमेंट साइंसेज प्रो. ऋषि चौधरी, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. सर्वदीप कोहली, प्रो. राजबीर सिंह हुड्डा, प्रो. संतोष नांदल, डॉ. नीरजा अहलावत, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सोनीपत से डॉ. दिव्य भारती, एसजीटी यूनिवर्सिटी से डॉ. विवेक झा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से डॉ. राजेश नायर, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से प्रो. अर्पणा शर्मा, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, मलेरकोटला प्रो. इरफान फारूकी, एमडीयू विभागाध्यक्ष, शोधार्थी, विद्यार्थी, फैकल्टी सदस्य शामिल हुए।