आपदा के समय आरोप लगाना छोटी सोच का उदाहरण: मुख्यमंत्री मनोहर लाल
हरियाणा दिल्ली की पानी की आवश्यकता को न केवल पूरा करता है बल्कि दिल्ली को उसके हिस्से से अधिक पानी दे रहा है
यदि आज एसवाईएल नहर बनी हुई होती तो पंजाब को कम नुकसान होता- मनोहर लाल
रोहतक, गिरीश सैनी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भारी बारिश व बाढ़ से उत्पन्न हुए हालातों के दौरान राजनेताओं द्वारा दिये जा रहे बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस आपदा के समय आरोप- प्रत्यारोप का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह मानवता, प्रदेश व देश हित में बिल्कुल भी सही नहीं है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में लोकसभा सांसद डॉ. अरविंद शर्मा, पूर्व मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर, मुख्यमंत्री के ओएसडी प्रचार गजेंद्र फोगाट, मीडिया कॉर्डिनेटर राजकुमार कपूर, भाजपा जिला अध्यक्ष एडवोकेट रणबीर ढाका, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी शमशेर खरक, रमेश भाटिया के साथ प्रेस प्रतिनिधियों से संवाद कर रहे थे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि यह छोटी सोच का उदाहरण है। छोटी सोच का व्यक्ति ऐसी सोच रख सकता है कि मैं अपना बचाव करूं और किसी दूसरे को नुकसान पहुंचा दूं। यह कहना कि हरियाणा ने हथिनी कुंड से पानी छोड़ दिया और इससे संबंधित जो फोटो दिखाए जा रहे हैं, मुझे लगता है कि एक अनपढ़ और गंवार व्यक्ति का जो ज्ञान होता है, यदि उसमें पीएचडी शुरू कर दी जाए तो इन्हें पीएचडी की डिग्री पक्का मिलेगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ये कौन सा सिद्धांत है कि हम अपने जिले डुबोयंगे और फिर दिल्ली को डुबोएंगे। यमुना से जो नुकसान हुआ है, उससे तो सबसे पहले यमुनानगर ही डूबा। जिले के दो गांव राज्य सरकार को खाली कराने पड़े। हरियाणा का एरिया यमुना के साथ दिल्ली के मुकाबले ज्यादा लगता है। इसलिए इतनी समझ उन्हें होनी चाहिए कि कम से कम इस प्रकार का बयान देने से पहले, हरियाणा को बदनाम करने से पहले सोचना चाहिए। हरियाणा ऐसे बदनाम नहीं होगा। हरियाणा की अपनी एक पहचान है। हरियाणा किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि सेवा करता है।
उन्होंने कहा कि जब से नहरें और डैम बने हैं, तभी से ही यह नियम है कि हर एक बैराज की एक क्षमता होती है और उस क्षमता से नीचे पानी डाइवर्ट किया जाता है। लेकिन जब पानी बहुत ज्यादा आ जाता है, तो नहरों का डाइवर्जन रोक दिया जाता है, क्योंकि ज्यादा फ्लो के कारण पानी सिस्टम को तोड़ देगा। उसको बंद रखा जाएगा, तो सिस्टम सुरक्षित रहेगा। इसके बाद पानी का नेचुरल फ्लो जिस दिशा में है, उस ओर जाएगा। भाखड़ा में भी अगर ओवरफ्लो होता है तो उसका पानी नदियों में जाता है, सतलुज में जाएगा, न कि भाखड़ा मेन कैनाल में।
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि दिल्ली के पानी की आवश्यकता को हरियाणा ही पूरा करता है। दिल्ली का शेयर 750 क्यूसेक है और आज भी हरियाणा दिल्ली को 1070 क्यूसेक पानी देता है। 320 क्यूसेक पानी उसके हिस्से से ज्यादा देते हैं। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पानी पर पहला अधिकार पीने वाले लोगों का होता है, तो दिल्ली की पीने की पानी की आवश्यकता पूरी करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जितना अतिरिक्त पानी हरियाणा देगा, उस अतिरिक्त पानी का दिल्ली सरकार भुगतान करेगी। जबकि दिल्ली सरकार उस 320 क्यूसेक अतिरिक्त पानी का पैसा नहीं देती है। कोई चीज यदि पैसे से दी जा रही है तो उसका पैसा लौटाना ही चाहिए।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आईटीओ बैराज के रखरखाव पर पैसा कभी भी हरियाणा नहीं खर्च करता। वो पैसा 2018 तक इंद्रप्रस्थ पावर प्लांट ने दिया। प्लांट के बंद होने से पैसा आना बंद हो गया। दिल्ली सरकार ने कभी भी यह नहीं कहा कि यहां कोई इस प्रकार की समस्या आ सकती है। इन्होंने कभी भी फल्ड कंट्रोल की बैठक नहीं की और यदि की होगी तो यह कभी नहीं कहा कि इस बैराज की मेंटेनेंस बंद हो गई है। आज जब समस्या आई तो ये उठ खड़े हुए। उन्होंने कहा कि यमुना की मेंटेनेंस ठीक प्रकार से न होने के चलते दिल्ली सरकार 3 लाख क्यूसेक पानी को भी दिल्ली के एरिया से बाहर नहीं निकाल सकी। हरियाणा सरकार ने जांच बैठाई है कि इनके सारे सिस्टम को चेक करो। आईटीओ बैराज के साथ साथ यमुना नदी के अंदर एन्क्रोचमेंट का भी पता लगाने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि आज एसवाईएल नहर बनी हुई होती तो पंजाब को कम नुकसान होता। लेकिन पंजाब का वर्षा का अतिरिक्त पानी बहकर हरियाणा में जो एसवाईएल बनी हुई है, उसमें आया, जिसके कारण अंबाला और कुरुक्षेत्र जिले के इलाके डूब गए। यह दो जिले केवल अधुरी बनी हुई एसवाईएल के कारण से डूबे। किंतु हरियाणा ने पंजाब पर आरोप नहीं लगाया। श्री मनोहर लाल ने तंज कसते हुए कहा कि कुछ नेता जो आज जोकर की तरह मजाक कर रहे हैं कि आज हमारे पास पानी है, तो आज हमसे पानी क्यों नहीं मांगते। इस समय ऐसे बयान देना सही नहीं है। संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति को कभी भी हल्का मजाक नहीं करना चाहिए। इन 3 माह के दौरान पानी की डिमांड कोई नहीं करता, सब अपने-अपने राज्य में पानी संभाल लें यही बहुत है। पानी तो बाकी 9 माह के लिए डिमांड की जाती है, जब आवश्यकता होती है, तब सबको अपना हिस्सा चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले सालों में इन दिनों के दौरान 145 एमएम बारिश होती थी, लेकिन इस बार 245 से 250 एमएम बारिश हुई है, जोकि 180 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा प्रदेश में जान-माल को जो नुकसान हुआ है, उसके आंकलन की रिपोर्ट 2 दिन के बाद आएगी। लेकिन अभी तक की जानकारी के अनुसार 30 लोगों की मौत हुई है। 133 मकान जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं और 183 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 110 पशुओं की मृत्यु हुई है और पोल्ट्री फार्मों में भी नुकसान हुआ है। करीब 5400 लोगों की राहत कैंपों में व्यवस्था की गई है जहाँ उन्हें खाने-पीने व मेडिकल सहायता भी पहुंचाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि 1.60 लाख हेक्टेयर पर पानी भरा है। फसली नुकसान के जायजे के लिए प्रशासन को आदेश दिए गए हैं। कई इलाकों में पानी उतरने के बाद धान की बिजाई भी संभव है। उन्होंने कहा कि किसानों को ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान दर्ज करने को कहा जाएगा, उसके बाद गिरदावरी करवाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवतावादी होने के नाते हम सब प्रदेशों जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, आसपास के जितने प्रदेश हैं, उनके साथ खड़े हैं। पड़ोसी होने के नाते यह हमारा दायित्व बनता है। हम सबकी चिंता करेंगे, कहीं कोई जरूरत होगी तो हम उनकी मदद करेंगे।
सीएम मनोहर लाल खट्टर ने जिला के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए विशेष जोर दिया और उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी मीडिया के सवालों से बच नहीं सकता है। मीडिया के जनहित के सवालों को लेकर यदि किसी तरह की कोई असमंजस की हालत बनती भी है तो इस बारे में सीएम के मीडिया कोऑर्डिनेटर राजकुमार कपूर अधिकारियों और मीडिया के बीच में तालमेल बिठाने का काम करेंगे। सीएम मनोहर लाल के सामने विषय आया था कि अधिकारी जनहित से जुड़े मीडिया के सवालों को लेकर जवाबदेही से बचते हैं।