समाचार विश्लेषण /मन न रंगाये, रंगाये जोगी कपड़ा 

दुष्कर्म के बाबा , बाबाओं के दुष्कर्म 

समाचार विश्लेषण /मन न रंगाये, रंगाये जोगी कपड़ा 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
अपना देश भी कमाल है । भगवा रंग पर फिदा है लेकिन ऋषिकेश में स्वामी आध्यात्मानंद ने मेरा साथ इंटरव्यू के दौरान कहा था कि दो पैसे के रंग से भगवा रंगा जा सकता है लेकिन संत बनने के लिए मन को जीवन भर बहुत रंगना पड़ता है । इसीलिए तो कहा गया है : 
मन न रंगाये 
रंगाये जोगी कपड़ा ! 
 जैसी रिपोर्ट्स आ रही हैं , उससे ये बात बहुत याद आ रही है । आसाराम बापू  दुष्कर्म के एक और मामले में दोषी करार दिये गये हैं । एक अन्य मामले में पहले से ही आसाराम आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं । नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आसाराम जेल काट रहे हैं । अकेले आसाराम ही नहीं बल्कि सिरसा डेरे के प्रमुख राम रहीम भी साध्वी यौन शोषण में सजा काट रहे हैं सुनारिया जेल में ! बेशक पैरोल पर बाहर आते जाते ऑनलाइन सत्संग करने, शहरों की सफाई करने से नेकचलन बनने की कोशिश करते रहते हैं । क्या यौन शोषण के दाग ऐसे धुल सकते हैं ? ये दाग बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं बाबा ! पर बाबा हैं कि आज भी मुंहबोली बेटी के साथ गाने गाते है -यू आर माई लव चार्जर ! हद है ! 
इनके अतिरिक्त दक्षिण के एक बाबा का भी वीडियो किसी हीरोइन के साथ प्यार करते जारी हुआ था जिसे हिमाचल से पकड़ा गया था लेकिन छूटते ही फिर बाबा के रोल में आ गये था । एक अन्य बाबा हाॅस्टल में रह रही छात्रा के दुष्कर्म के मामले में खूब चर्चित रहे । ऐसे किस्से और मामले बहुत हैं अपने देश में ! फिर भी भोली भाली जनता है कि मानती नहीं ! इनके दुआरों पर भीड़ लगाने पहुंच जाती है । 
भगवा रंग में इतना धोखा क्यों ? भगवा रंग क्या शोषण का अधिकार दे देता है ? किसी फिल्म में भगवा वस्त्रों पर हंगामा करने वाले बाबाओं के इसके दुरूपयोग करने पर कुछ क्यों नहीं बोलते ? क्या दुष्कर्म का बाबाओं को कोई लाइसेंस मिल जाता है ? कितने अनेक और मामले हैं ऐसे ही बाबाओं के । हरियाणा के फतेहाबाद में ऐसे ही एक बाबा का खेल सामने आया जो वीडियो बना बना कर महिलाओं को ब्लैकमेल करता था । फिर भी आम जनता समझती क्यों नहीं ? बाबाओं के ऐसे घिनौने कांडों पर आश्रम सीरीज बनी, जो बहुचर्चित रही क्योंकि इसमें सच के आसपास ही घटनायें शामिल थीं ।
कब बाबाओं से जनता दूर जायेगी और कब बाबाओं के दुष्कर्म खत्म होंगे ? 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।