समाचार विश्लेषण/मान की सरकार, केजरीवाल के द्वार
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की इस बात के लिए कड़ी आलोचना शुरू हो गयी है कि उनकी सरकार , केजरीवाल के द्वार दिल्ली में क्यों गयी ? पंजाब के उच्चाधिकारियों के साथ भगवंत मान बैठक के लिए दिल्ली क्यों गये ? एक बड़े राज्य की सरकार किसी दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री के द्वार क्यों जाए ?
-*कमलेश भारतीय
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की इस बात के लिए कड़ी आलोचना शुरू हो गयी है कि उनकी सरकार , केजरीवाल के द्वार दिल्ली में क्यों गयी ? पंजाब के उच्चाधिकारियों के साथ भगवंत मान बैठक के लिए दिल्ली क्यों गये ? एक बड़े राज्य की सरकार किसी दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री के द्वार क्यों जाए ? चाहे वह पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक ही क्यों न हो ? इससे पहले भी मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मान पहली बार अरविंद केजरीवाल को मिलने गये थे तब दंडवत हो गये थे । इस फोटो के वायरल होने पर भी आलोचना सहनी पड़ी थी मान को । सबने आलोचना करते कहा था कि पंजाब के मुख्यमंत्री का इस तरह दंडवत होना पंजाबियों का अपमान है । अब उच्चाधिकारियों के साथ ऐसी बैठक ? किसलिए ? केजरीवाल के बारे में पहले से ही यह बात मीडिया में उड़ती रही कि वे अप्रत्यक्ष तरीके से पंजाब की कमान अपने हाथ में ही रखेंगे । और इस बैठक ने इसका प्रमाण भी दे दिया और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने साफ साफ शब्दों में कह भी दिया है कि मान केजरीवाल की कठपुतली मात्र है । क्या सचमुच मान कठपुतली ही साबित होने जा रहे हैं ?
वैसे तो कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की सब सरकारें दिल्ली से ही चलती आ रही हैं । मुख्यमंत्री तक दिल्ली से ही भेजे जाते हैं । विधायकों को मात्र नाम पर मोहर लगानी होती है । इसीलिए तो हारे हुए विधायक पुष्कर धाभी को ही मुख्यमंत्री मानना पड़ा उत्तराखंड के विधायकों को । बाकी विधायकों में से एक भी इस योग्य नहीं था कि मुख्यमंत्री बनाया जा सकता? इसी तरह पश्चिमी बंगाल में हारने के बाद भी ममता बनर्जी ही मुख्यमंत्री बनीं ताकि कमान अपने हाथ में रहे । भाजपा ने वादा किया था कि दिल्ली से मुख्यमंत्री थोपे नहीं जायेंगे लेकिन वही कांग्रेस कल्चर अपनाते देर न लगाई । अब दिल्ली से ही कठपुतलियों की डोरियां हिलाई जाती हैं । कांग्रेस ने इसी गलती का खमियाजा भुगता है और बाकी पार्टियां भी भुगतने को तैयार रहें ।
ऐसे में अरविंद केजरीवाल दो कदम आगे निकल गये लगते हैं जो उच्चाधिकारियों को दिल्ली ही बुला लिया । अब सुन रहे हैं कि पंजाब के आईएएस व आईपीएस अधिकारियों के माथे पर बल पड़ गये हैं केजरीवाल के इस कदम से । वे दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री के चारण क्यों बनें ? केजरीवाल जी , जो भी निर्देश देने हैं आपको , भगवंत मान को दीजिए और वही बैठक करें अधिकारियों के साथ । आप परदे के पीछे रहेंगे तो अच्छा रहेगा । नहीं तो यही कहना पड़ेगा-
परदा जो उठ गया
तो भेद खुल जायेगा
अल्लाह मेरी तौबा ....
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।