गृहस्थी हो या गाड़ी, चलेगी आपसी तालमेल से ही
विवाह दो व्यक्तियों के बीच जीवन भर साथ रहने का एक अनुबंध होता है। हर जोड़ा जीवन भर साथ निभा सके ऐसा संभव नहीं होता।
विवाह दो व्यक्तियों के बीच जीवन भर साथ रहने का एक अनुबंध होता है। हर जोड़ा जीवन भर साथ निभा सके ऐसा संभव नहीं होता। कई बार पुरुषों की ओर से कांट्रेक्ट तोड़ा जाता है, तो कई बार कुछ महिलाएं वैवाहिक गाड़ी को पटरी से उतार देती हैं। देश के कानून प्राय: महिलाओं के फेवर में अधिक हैं, इस नाते कई बार पुरुष प्रताड़ित होते रहते हैँ और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता। मानसिक यातना से जुझने वाले ऐसे करीब 80 हजार पुरुष सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन नामक संस्था के सदस्य हैं। संस्था अपने सदस्यों को कानूनी और सामाजिक सलाह मशविरा उपलब्ध कराती है। ज्यादतियों के मामले में संस्था की ओर से धरना प्रदर्शन जैसे कदम भी उठाए जाते हैं। संस्था के अनुसार, साल 2020 में देश में डेढ़ लाख से अधिक आत्महत्या के मामले पुलिस के नोटिस में आए। आत्महत्या करने वाले इन मामलों में, पुरुषों की संख्या 1.8 लाख रही। सरकार और कानूनविदों का ध्यान आकर्षित करने के लिए सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन की ओर से इसी सप्ताह हैदराबाद में एक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सदस्यों की ओर से वैवाहिक हड़ताल पर विचार किया जाएगा। संस्था इस बारे में सोशल मीडिया पर अभियान चला रही है।
विवाह अगर आपसी तालमेल से चलता है तो मोटर गाड़ियां भी ईंधन के तालमेल से सफर पूरा करती हैं। अभी तक तो मोटर इंजन को चलाने के लिए पेट्रोल और डीजल ही मुख्य ईंधन रहा है। परंतु कार्बन उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और ईंधन की कमी जैसे कारणों से अब दुनिया भर में ऊर्जा के नए विकल्पों पर काम चल रहा है। बल्कि यह कहें कि दुनिया पहले ही बिजली से चलने वाले वाहनों की ओर रुख कर चुकी है। इनमें दोपहिया और चौपहिया दोनों ही तरह के वाहन शामिल हैं। हमारे देश में राजमार्गों पर इन वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि राह चलते बैटरी बदली जा सके, अथवा वाहनों को चार्ज किया जा सके। जापान की हॉन्डा मोटर कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को लेकर बड़ी तैयारी में जुटी है। इन वाहनों संबंधी रिसर्च पर कंपनी अगले दस वर्षोँ में 4.8 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी। हॉन्डा साल 2030 तक 30 से अधिक तरह के इलेक्ट्रिक वाहन पेश करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
जापानी कंपनियां मोटर वाहनों के मामले में दुनिया में अग्रणी रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उन्हें अमेरिका और यूरोप की मोटर कंपनियों से कड़ी चुनौती मिल रही है, खास कर टेस्ला जैसी कंपनी से। अमेरिका, यूरोप, चीन सहित विश्व भर में इलेक्ट्रिक वाहनों खास कर बैटरी चालित कारों की बिक्री पिछले साल ही बढ़ गई। ईवी कारों की बुकिंग इतनी तेजी से हो रही है कि कंपनियां ग्राहकों से पूरी रकम एडवांस तक लेने लगे हैं। इसका मतलब यह भी नहीं कि पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहन चलन से बाहर हो रहे हैं। ऐसा नहीं है, लेकिन हां, ईवी के चाहने वालों की संख्या धीरे धीरे बढ़ने लगी है। इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों का मानना है कि यह साल ईवी की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होने वाला रहेगा। इंटरनेशनल इनर्जी एजेंसी ईवी की सेल बढ़ने को लेकर खासी उत्साहित है। भारतीय शहरों में अभी कारें तो नहीं, लेकिन दोपहिया और तिपहिया वाहन जरूर बैटरी से दौड़ने लगे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)