समाचार विश्लेषण/बात कहीं नहीं पहुंची, आंदोलन जारी
-कमलेश भारतीय
दिल्ली की सीमाओं की चारों तरफ किसान आंदोलन जारी है । तेरह दिन से सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच वार्ता ठप्प यानी डेडलाॅक है । किसान आंदोलन दिल्ली की सीमाओं से निकल कर हरियाणा के जिला सचिवालयों तक अपने पैर पसार चुका है और गांव गांव तक बढ़ता जा रहा है । बेशक गोदी मीडिया इसे न दिखाने में पूरी एहतियात बरत रहा है लेकिन खुल कर किसानों ने अपना मीडिया इतना तेज़ कर दिया है कि गोदी मीडिया को मुंह छिपाने के लिए कोई जगह नहीं मिल रही । दूसरे किसान इन गोदी मीडिया के रिपोर्टरों का बहिष्कार शुरू कर चुके हैं । उन रिपोर्टर्ज के आने पर "गो बैक" के नारे लगाये जाते हैं ।
इधर दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माथा टेकने गये तो बेशक गुरुद्वारे में उन्हें परंपरागत सम्मानित किया गया लेकिन किसान आंदोलन में इस बात की कड़ी आलोचना हुई कि जो प्रधानमंत्री किसानों के साथ अन्याय कर रहा हो, उसका कैसा सम्मान ? गुरुद्वारे आने पर कैसा स्वागत्? जो प्रधानमंत्री किसानों की समस्याओं पर कान और ध्यान न दे , किस लिए सम्मान और किस बात पर ? फिर भी प्रधानमंत्री का सम्मान बनता है ।
फिल्म अभिनेत्री गुल पनाग भी पहुंची किसानों के बीच और पंजाबी कुड़ी ने पंजाबी मे ही भरोसा दिलाया कि अस्सीं तुहाडे नाल हां जी । इस भरोसे की बहुत जरूरत है किसान आंदोलन को । हरभजन मान भी पहुंच चुके इनके बीच । किसान आंदोलन में लगातार पंजाबी गायक और कलाकार पहुंच रहे हैं । कलाकार दलजीत दोसांझ तो एक करोड़ रुपये भी अर्पित कर चुके । लगभग पैंतीस ओलम्पियन अपने मैडल लौटा चुके हरियाणा में बहादुरगढ़ के निकट कम्बल लेकर जा रहे वाहन को आग लगा देने की दुखद खबर भी है ।
इन सबके बावजूद सरकार को आगे बढ़कर इस आंदोलन को बातचीत के माध्यम से हल करने की पहल करनी चाहिए । शीघ्र शुभस्यम् ।