समाचार विश्लेषण/नेतागिरी का मतलब ....गाड़ी चढ़ा दोगे क्या?
-*कमलेश भारतीय
लखीमपुर खीरी का मामला अभी शांत होता दिख नहीं रहा । उतर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पार्टी कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करते हुए जो कहा वह इस बात का सबूत है कि मंत्री पुत्र की गलती को भाजपा अंदर ही अंदर स्वीकार कर रही है । तभी तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नेतागिरी का मतलब यह नहीं कि अपनी फाॅर्चूनर गाड़ी से किसी को कुचल डालो । आशीष मिश्र के ऊपर यही आरोप है कि उसने गाड़ी किसानों पर चढ़ा दी जिससे चार किसान मौके पर ही दम तोड़ गये । इस संहार को और इससे हुई राजनीतिक क्षति को सम्भाल पाना योगी और योगी के प्रिय मीडिया के बस के बाहर होता जा रहा है । आशीष को मीडिया तो निर्दोष साबित करने और उसके वीडियो दिखा दिखा कर बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली । अब तो मंत्री पुत्र को चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और दूसरी तरफ प्रियंका गांधी ने किसान न्याय रैली कर केंद्रीय राज्य मंत्री को भी पद से बर्खास्त किये जाने तक संघर्ष जारी रखने की हुंकार भरी है । दीपेंद्र हुड्डा सही कह रहे हैं कि प्रियंका गांधी जिद्दी बहुत है और निडर भी जो चाहे वह कर लेती है । इसी लिए तो लखीमपुर खीरी के पीड़ित किसान परिवारों से मिले बिना लौटी नहीं चाहे तीस घंटे हिरासत में क्यों न रहना पड़ा हो । इतने ही घंटे खुद दीपेंद्र भी हिरासत में रहे ।
नेतागिरी का मतलब भी समझाया स्वतंत्र देव सिंह ने कि यदि आपकी गली में दस लोग रहते हैं और आपसे खुश है तभी आपका व्यवहार अच्छा है और यदि दस लोग आपका चेहरा देखना नहीं चाहते तो कैसी नेतागिरी ? बहुत खूब व्याख्या और आसान व्याख्या की है । नेता से यदि पास पड़ोस ही खुश नहीं तो दूर दराज क्या कर पायेंगे ? यही नेतागिरी है कि आपको लोग प्यार करें और मिलना चाहें और लोगों के दुख दर्द में आप उनका साथ दें । नेतागिरी असल में गाधीगिरी ही है ।
वैष्णव जन ते तैने रे कहिए
पीर पराई जाने रे ...
इसी का नाम नेतागिरी है । इसी को लोग गाँधीगिरी से जानते हैं । लाल बहादुर शास्त्री की सादगी की मिसालें आज तक दी जाती हैं । ऐसे नेता बनिये जिनकी मिसाल दी जा सके । ऐसे नहीं कि बेटा गाड़ी चढ़ा दे और आप बेटे को ढाल बन कर बचाते फिरो । कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे ने बैट से निगम अधिकारी को सबके सामने पीट डाला और पापा ने उसे बचा लिया । ये नेतागिरी नहीं चलेगी । उत्तर प्रदेश में पहले ऐसे भी दबंग विधायक कुलदीप सेंगर को आखिरी समय तक भाजपा बचाने में लगी रही । जेल जाने के बाद कहीं जाकर उससे नाता थोड़ा । ये नेतागिरी है कि एक युवती के दुष्कर्म के आरोपी को बचाते रहो ? कितना कुछ है ...थोड़ा आज कहा ....बाकी फिर कभी,,,
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।