समाचार विश्लेषण/आइने में फिर दिखा मीडिया
-कमलेश भारतीय
एक लम्बे अर्से बाद मीडिया आइने में फिर दिखा । दिखने लगा है । हाथरस की बेटी मनीषा बाल्मीकि ने मीडिया को झकझोर कर रख दिया । मीडिया ने इसे मुम्बई के सुशांत सिंह राजपूत केस और ड्रग माफिया से बाहर निकाल सामाजिक सरोकार के निकट ला दिया । यह बहुत सुखद है । यही कारण है कि अब बहस के शो में संबित पात्रा पहले की तरह दांत नहीं निकालते बल्कि खिसिया कर रह जाते हैं । दूसरों की हंसी उड़ाने लायक नहीं रहे । अब भाजपा की हंसी उड़ती देख कर चुप लगा जाते हैं । शुक्र है मीडिया ने अपना चेहरा दिखाया ।
चित्रा त्रिपाठी ने जो किया वह करने का साहस भी मीडिया ने दिया । पहले डी एम की बातचीत वायरल की जिसमें वे हाथरस की मनीषा बाल्मीकि के परिवार को सीधे सीधे शब्दों में धमाका रहे हैं और कह रहे हैं कि आधा मीडिया चला गया । आधा कल चला जायेगा । फिर हम और आप ही रह जायेंगे । लेकिन यहीं बस नहीं की । चित्रा त्रिपाठी को भी धमकाया कि आप गलत खबर चलाती हो । बस । चित्रा ने सीधे माइक लगाया डीसी के आगे और पूछा कि बताइए कौन सी गलत खबर चलाती हूं मैं ? आपकी पुलिस मुझे एक महिला होने के नाते धमकाती है । बताइए देश को । क्यों नहीं मिल सकते पीड़ित परिवार को ? क्यों बंधक बना कर रखा है परिवार को ? क्यों उनके फोन छीन लिए गये हैं ? क्यों छावनी बना रखा है गांव को ?
क्या सारा देश देख नहीं रहा कि आप कैसे लीपा-पोती करने में लगे हैं ? रेप कांड हुआ ही नहीं । यह साबित करने में लगे हैं । वकील सीमा कुशवाहा को भी एसडीएम रोक रहे हैं । क्यों ? क्या अंग्रेजों के राज से भी गया बीता राज है ? वाह योगी जी । वाह योगी जी के अधिकारी । कमाल है । उमा भारती तक ने इस बात की आलोचना की । अपनी ही पार्टी के अंदर सुगबुगाहट शुरू । यह कैसा राज दे रहे हो योगी जी ? क्या छिपाने की कोशिश और किसको बचाने की कोशिश ? विधायक कैलाश सेंगर को भी अंतिम समय तक बचाया जाता रहा जब तक कि सजा नहीं हो गयी थी । तब जाकर पार्टी से निकाला । यह कैसी निर्लज्जता है ? बलरामपुर भी आ गया अब तो । आप अपने बचाव में राजस्थान के आंकड़े कब तक दिखाते रहेंगे गौरव भाटिया ? बोलने के लिए बचा क्या है ? बेटी के लिए जंतर मंतर का जादू शुरू हो गया है । स्वरा भास्कर भी पहुंच गयी और प्रियंका गांधी ने भी बाल्मीकि मंदिर में प्रार्थना सभा में भाग लिया । हाथरस के कांड के चलते एस पी , डी सी समेत आठ अधिकारी निलम्बित हुए । यह मीडिया की जीत है । मीडिया ने अपना चेहरा दिखाया तब ये अधिकारी अपना चेहरा दिखाने लायक न रहे । काश , मीडिया अपने इस स्वाभिमान को बनाये रखे । यदि चित्रा को धमकाया न गया होता तो शायद मीडिया जागता नहीं ।