दोआबा अकादमी के सदस्यों ने सुनी डा.धीर के साहित्यिक सफर की कहानी

दोआबा अकादमी के सदस्यों ने सुनी डा.धीर के साहित्यिक सफर की कहानी
अकादमी की मीटिंग में उपस्थित टी.डी.चावला के साथ डा.जवाहर धीर,डा.यश चोपड़ा, राजेश अध्याय, सुखदेव सिंह गंडवां और शिव कौड़ा।

फगवाड़ा: दोआबा साहित्य एवं कला अकादमी की मासिक बैठक गत दिवस आर्य माडल सी.सै.स्कूल गऊशाला रोड में आयोजित हुई जिसमें अकादमी के अध्यक्ष डा.जवाहर धीर ने चंडीगढ़ के एक दैनिक समाचार पत्र के रविवारीय अंक में इंटरव्यू को पढ़ कर सुनाया। इस इंटरव्यू में डा.जवाहर धीर ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने लिखना शुरू किया और लगभग पचपन वर्ष के साहित्यिक सफर में किस तरह सोलह पुस्तकें प्रकाशित हुईं। बड़े भाई डा.केवल धीर को अपना प्रेरणास्रोत बताते हुए डा.धीर ने बताया कि बारह साल की उम्र में बड़े भाई साहब की एक अखबार में सम्मानित होते हुए की छपी फोटो देखकर उनके मन में लिखने का विचार आया, जो आज उनका पैशन बन चुका है।

डा.जवाहर धीर ने आगे बताया कि उन्होंने पिछले पांच दशकों से भी अधिक समय में अनेकों नामवर और आगुंतक लेखकों को पढ़ा है,जो उनके लेखन का आधार बना है। उन्होंने कहा कि उन्होंने देशभर के तीर्थों पर जो पौने पांच सौ पृष्ठों पर आधारित जो ग्रंथ लिखा है,वह उनके लेखन और जीवन की सबसे बड़ी प्राप्ति है। उन्हें मिले सम्मानों और अवार्डों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के हाथों मिले सम्मान के अतिरिक्त उन्हें पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा उनकी आस्ट्रेलिया यात्रा पर लिखी किताब पर मिला ज्ञानी ज्ञान सिंह पुरस्कार,अमर शहीद रमेश चंद्र श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान,पंकस अकादमी द्वारा दिया गया प्रतिष्ठा जनक अकादमी अवार्ड, सर्व नौजवान सभा द्वारा दिया गया शिरोमणि साहित्यकार अवार्ड,जनता सेवा समिति द्वारा प्रदत्त भाई कन्हैया अवार्ड के अतिरिक्त राष्ट्रीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तर के पुरस्कारों की लंबी लिस्ट है,जो उनकी प्राप्ति है।गत पचपन वर्ष से आकाशवाणी और दूरदर्शन पर हुए कार्यक्रम भी उनकी प्राप्तियों में शामिल हैं।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अकादमी के संरक्षक टी.डी.चावला ने इस शानदार इंटरव्यू के प्रकाशित होने पर बधाई दी।इस अवसर पर उपस्थित कवि सुखदेव सिंह गंडवां ने देशभक्ति का गीत और राजेश अध्याय ने शिर्डी साईं बाबा पर अपना लिखा गीत सुनाया और डा.यश चोपड़ा ने मन पर लिखी अपनी वार्ता सुनाई। रविन्द्र सिंह चोट की अनुपस्थिति में उनकी पंजाबी कविता गुड्डी पढ़ी।इस अवसर पर शिव कौड़ा भी उपस्थित थे।