समाचार विश्लेषण/उपचुनाव परिणाम से कुछ संदेश
-*कमलेश भारतीय
कुछ सीटों पर देश में उपचुनाव हुए और उनके परिणाम एक सबक की तरह सभी राजनीतिक पार्टियों को मिले । यदि उत्तरप्रदेश को देखें तो रामपुर सीट सपा और आजम खां का गढ़ मानी जाती है , जहां मोदी -अमित शाह की लहर के बीच भी यहां भाजपा जयाप्रदा को जिताने में विफल रही थी । इसी प्रकार आजमगढ़ से भी सपा को हार का सामना करना पड़ा । ये दोनों सीटें भाजपा ने सपा से छीन ली हैं । एक सीट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छोड़ी हुई थी क्योकि वे अब राज्य की राजनीति करने के इच्छुक बताये जाते हैं पर यह तो राजनीति न हूई कि अपनी ही सीट न बचा पाये । रामपुर की सीट पिछली बार अभिनेत्री जयाप्रदा मुकाबले में थीं और आंसू भी बहाये लेकिन कोई असर न दिखा । जनता ने फिल्मी ग्लैसरीन वाले आंसू ही मान लिये ।
अब कहते हैं कि बुलडोजर वाले बाबा जीत गये । बहुत अच्छा संबोधन तो नहीं बुलडोजर वाले बाबा पर मीडिया ने नामकरण कर दिया और योगी जी ने खुशी खुशी मान लिया । मायावती को इन उपचुनावों में भाजपा की सहयोगी की भूमिका में ही देखा जा रहा है । यह कोई अच्छी भूमिका नहीं । इससे बसपा का ग्राफ दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है ।
इधर पंजाब की ओर आइए । संगरूर से आप के इकलौते सांसद थे भगवंत मान जो वीडियो बनाते हुए संसद पहुंच कर सुर्खियां बटोर रहे थे । फिर पंजाब के मुख्यमंत्री बन गये । संगरूर से इस्तीफा देना पड़ा और इस तरह उपचुनाव की नौबत आ गयी । उपचुनाव हुआ और मजेदार बात कि एक और मान जीत गया -सिमरनजीत मान जो कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साढू भी हैं । पहले भी बड़े भारी मतों से जीते थे लेकिन तलवार के साथ संसद में प्रवेश की जिद्द में इस्तीफा दे दिया था । अब उम्मीद करते हैं कि वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और प्रतिनिधित्व करते हुए वहां के मुद्दे उठायेंगे । वैसे आप की हार का बड़ा कारण गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी माना जा रहा है और लोगों ने इस निर्मम हत्या की सजा आप सरकार और भगवंत मान को दी है ।
भगवंत मान और आप की लोकप्रियता बहुत जल्द उतार पर आ गयी । यह सबक लेने वाली बात है । सिर्फ सुरक्षा वापिस लेने के दूसरे दिन ही मूसेवाला की हत्या को अंजाम दे दिया गया । इस तरह सीधे सीधे सरकार के फैसले पर सवाल उठे जिसका जवाब उपचुनाव में मिल गया ।
दिल्ली में एकबार फिर आप ने बाजी मार ली और भाजपा से कह दिया कि अभी दिल्ली दूर है ।।बेशक पुलिस आपकी है दिल्ली में लेकिन सरदारी हमारी है दिल्ली में साहब । दिल्ली जीतना अभी दूर है । न कांग्रेस कुछ कर पा रही है और न ही भाजपा । कुछ ऐसा जादू कर रखा है दिल्ली वालों पर अरविंद केजरीवाल ने ।
इस तरह बहुत सबक छिपे हुए हैं इन उपचुनावों के परिणाम में । कोई लेना चाहे तो ले और कोई न लेना चाहे तो अपने ही अहंकार में डूबा रहे । भगवंत मान को कठपुतली मुख्यमंत्री की छवि से अपनेआप को मुक्त करना पड़ेगा और भाजपा को दिल्ली में अपनी छवि को सुधारने का मंथन करना पड़ेगा । कांग्रेस तो अब मंथन भी नहीं करती ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।