समाचार विश्लेषण/आधी रात किसान आंदोलन का पुनर्जन्म?

समाचार विश्लेषण/आधी रात किसान आंदोलन का पुनर्जन्म?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जल्दबाजी से केंद्र सरकार को खुश करने की कोशिश में क्या किसान आंदोलन का पुनर्जन्म तो नहीं हो गया? गोदी मीडिया किसान आंदोलन को असफल मान इसे हिट विकेट के साथ जोड़ कर देख कार्यक्रम चला कर खुशी में साथ दे रहे थे । इतने में राकेश टिकैत सहित अन्य किसानों को लगभग गिरफ्तार करने की योजना बनाई और जवानों का जमावड़ा बढ़ा दिया । डी एम साहब भी कम नहीं थे अपने आका को खुश करने के लिए धारा 144 लगाने का नोटिस दीवार पर चस्पां करवा दिया और फिर जो हुआ उसकी कल्पना योगी व उनके अधिकारियों ने नहीं की होगी । वे तो आधी रात को राकेश टिकैत को गिरफ्तार करने की योजना बना कर चले थे लेकिन  टिकैत ने गाजीपुर बाॅर्डर से उठने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि मर जाऊंगा पर यहां से नहीं उठूंगा । इसके साथ ही राकेश फफक फफक कर रो उठे और जैसे ही उनके आंसू बड़े भाई नरेश टिकैत ने देखे तो पहले सारा गांव , फिर सारा देश उमड़ आया । राकेश कह भी रहे थे कि गांव से ट्रैक्टर पर उनके लोग पानी लेकर आयेंगे , वही पानी पीयूंगा क्योंकि यहां पानी और बिजली की सप्लाई काट दी गयी है । इस संदेश को सरकार न समझ सकी लेकिन किसानों ने समझ लिया । पहले तो पुलिस जवान ज्यादा थे लेकिन आंसुओं को देखकर आसपास के गांवों के किसान निकल पड़े और फिर पुलिस कुछ न कर पाई । पुलिस फोर्स कम कर दी गयी । चौ चरण सिंह के बेटे ने भी टिकैत को फोन किया कि हम आपके साथ हैं । अभी आपको मिलने पहुंच रहा हूं । राहुल गांधी ने भी कहा कि यह समय एक साइड होने का समय है  । मैं किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ हूं । इस तरह कहा जा सकता है कि किसान आंदोलन को एकदम दबाने और धरने उठाने की जल्दबाजी में इसका पुनर्जन्म हो गया । योगी जी जल्दबाजी में कैच ड्राॅप कर गये । हरियाणा में भी रातों रात खाप पंचायतें शुरू हो गयीं और किसानों ने दोबारा कूच करने का प्रोग्राम बनाया ।

राकेश टिकैत के आंसुओं ने और दीप सिद्धू के साथ प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री और धर्मेंद्र की फैमिली की फोटोज जो वायरल हुईं उससे सारा भेद खुल गया, भंडाफोड़ हो गया । राकेश टिकैत के आंसुओं ने सबकी आत्मा को हिला कर रख दिया और इस तरह आधी रात को किसान आंदोलन का पुनर्जन्म हो गया । ऐसा लगता है कि ये आंसू नहीं थे बल्कि किसान आंदोलन की कुचक्र की राजनीति को गंगाजल की तरह धो दिया । निष्कलंक कर दिया । 
ये आंसु मेरे दिल की जुबान हैं 
मैं रो दूं तो 
रो दिया सारा देश ,,,

कितनी ताकत है राकेश टिकैत के  आंसुओं में  
साहब । अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा । छोड़ो राजहठ 
इसी अवसर पर बलवीर सिंह चीमा की कविता प्रस्तुत है  :
 #ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के ।
अब अँधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के ।
कह रही है झोपड़ी और' पूछते हैं खेत भी,
कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के ।
बिन लड़े कुछ भी यहाँ मिलता नहीं ये जानकर,
अब लड़ाई लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के ।
चलते चलते एक बात यूं ही 

श्रीकृष्ण का जन्म भी मथुरा की जेल में आधी रात को हुआ था ,,,,