न खुदा ही मिला न विसाले सनम, ओवरएज भी हो गए 

न खुदा ही मिला न विसाले सनम, ओवरएज भी हो गए 

कोरोना महामारी के दो वर्षों ने लोगों को न जाने किन किन रूपों में परेशान किया। किसी की नौकरी चली गई, किसी का कामधंधा बंद हो गया, तो कोई प्रतियोगी परीक्षाओं के लायक ही नहीं रहा। हरियाणा में इस दौरान जो युवा सेना में भर्ती होना चाहते थे, वे ओवरएज हो गए।
कोरोना महामारी के दो वर्षों ने लोगों को न जाने किन किन रूपों में परेशान किया। किसी की नौकरी चली गई, किसी का कामधंधा बंद हो गया, तो कोई प्रतियोगी परीक्षाओं के लायक ही नहीं रहा। हरियाणा में इस दौरान जो युवा सेना में भर्ती होना चाहते थे, वे ओवरएज हो गए। ऐसे युवाओं की संख्या दो लाख से ऊपर है। इसके अलावा, दो साल सब कुछ ठप्प रहा, जिसके कारण 10 हजार युवा भर्ती से वंचित हो गए। अब ये निराश हताश हैं। जाहिर है कि अन्य प्रदेशों में ऐसे लाखों युवा होंगे जो न सिर्फ सेना, बल्कि अन्य तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ओवरएज हो गए होंगे और अब परेशान हैं। ऐसे युवाओं में निराशा न पनपे, इसके लिए संबंधित विभागों और मंत्रालयों को कुछ प्लानिंग करनी चाहिए। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, 2021 में सितंबर से दिसंबर के बीच देश में बेरोजगारों की संख्या 3.18 करोड़ थी, जिनमें ज्यादातर की उम्र 29 साल से कम थी।
साल 2020 में लॉकडाउन के वक्त 2.93 युवा बेरोजगार थे। ये आंकड़े उन युवाओं के हैं जो काम की तलाश में यहां वहां आवेदन करते रहते हैं। करीब सवा करोड़ बेरोजगार युवा ऐसे भी हैं जो काम न मिलने से निराश हो चुके हैं और अब कही आवेदन नहीं करते हैं। इनको भी शामिल करने पर बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा सवा चार करोड़ से ऊपर पहुंच जाता है। देश में बेरोजगारों की संख्या सबसे ज्यादा राजस्थान में है, जहां 65 लाख बेरोजगार हैं, जिनमें करीब 21 लाख ग्रेजुएट शामिल हैं। दूसरे नंबर पर है बिहार, जहां करीब 39 लाख युवा बेरोजगार हैं। इस सूची में 28.41 लाख बेरोजगारों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है। कोरोना की तीसरी लहर शुरू होने के साथ ही भारत में बेरोजगारी की दर एक बार फिर से बढ़ने लगी है। दिसंबर 2021 में देश में बेरोजगारी की दर 7.9 प्रतिशत रही, जबकि नवंबर माह में यह 7 प्रतिशत थी। दिसंबर में शहरी क्षेत्रों मे बेरोजगारी दर 9.3 प्रतिशत पर जा पहुंची।
अनुमान है कि 80 फीसदी से अधिक नियोक्ता नये कर्मचारियों की तलाश सोशल मीडिया पर करते हैं। जॉबकास्ट के अनुसार, 93 प्रतिशत नियोक्ता नये कर्मचारियों के लिए लिंक्डइन का प्रयोग करते हैं। इसी तरह, 66 प्रतिशत नियोक्ता इसके लिए फेसबुक का, और 54 प्रतिशत ट्विटर का उपयोग करते हैं। अगर नौकरी तलाशने वालों की बात की जाये, तो केवल 36 प्रतिशत लोग ही लिंक्डइन पर हैं, 40 प्रतिशत ट्विटर पर, और सबसे ज्यादा 83 प्रतिशत फेसबुक पर मौजूद रहते हैं। लिंक्डइन ने हाल ही में अपनी हिंदी सेवा भी शुरू कर दी है और इसके लिए कंपनी ने अखबारों और रेडियो के माध्यम से भी प्रचार भी किया है। जाहिर है कि लिंक्डइन को अब हिंदी भाषी यूजर्स की तलाश है, क्योंकि दुनिया भर की कंपनियां भारतीय प्रतिभाओं की तलाश में हैं और उन्हें भारत में बहुत संभावनाएं नजर आती हैं। सोशल मीडिया के जरिए ऐसे लोगों को आसानी से जॉब मिलता है, जिनका प्रोफाइल अच्छा है, साथ ही जिनके नाम को कई लोगों ने रेफर भी किया हो। इससे यह भी साफ होता है कि जॉब की तलाश करने वालों को अपने सोशल मीडिया पर इमेज खराब करने वाली सामग्री पोस्ट नहीं करनी चाहिए।  
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)