बाबा इंडस्ट्रीज का कमाल?
हाथरस के गांव में श्रद्धा का कैसा उन्माद?
-*कमलेश भारतीय
उत्तर प्रदेश के हाथरस के छोटे से गांव पुलराई में श्रद्धा का यह कैसा उन्माद सामने आया। सिर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण सरकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव के प्रवचन के बाद चरण छूने के लिए मची भगदड़ में एक सौ सोलह लोगों ने जान गंवा दी, जिनमें सिर्फ एक पुरुष, एक बच्चे को छोड़कर बाकी सभी महिलायें हैं। इस घटना से एक बार फिर से बाबाओं के मायाजाल में फंसी महिलाओं और ये पुण्य लूटने की होड़ के भयानक परिणाम सामने आये हैं। आखिर हमारे दुख दर्दो़ का इलाज या हल है किसके पास या किसी के पास? कस्तूरी मन में है और दौड़ जंगल में रहे हैं। कैसे पागल हिरण हैं हम? किसी के पास हमारे दुखों को सुखों में बदलने की कोई दवा है क्या? नहीं, किसी के पास नहीं, फिर यह मृगतृष्णा कैसी? प्रशासन से अनुमति ली लेकिन भीड़ कितनी जुटेगी, यह जानकारी देने वाला काॅलम खाली छोड़ दिया। पचास हज़ार के अनुमान से अधिक अस्सी हज़ार श्रद्धालु पहुंच गये, व्यवस्था का जिम्मेदार कौन? बाबा तो इतने भोले निकले कि प्रवचन किया और पलट कर सुध नहीं ली कि श्रद्धालुओं का क्या हाल है? ऐसे कृपालु होते हैं क्या बाबा? श्रद्धालुओं को उनके हाल पर छोड़ कर मैनपुरी स्थित राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट आश्रम पहुंच गये और पीछे श्रद्धालुओं को अस्पताल तक ढोना पड़ा। आखिर हमारे देश में यह धार्मिक उन्माद कब खत्म होगा? कभी हिसार के निकट बाबा रामपाल का आश्रम हटाने के लिए प्रशासन व पुलिस को कितनी मशक्कत करनी पड़ी थी। वे भी भोले बाबा की तरह कभी सरकारी कर्मचारी मात्र थे, फिर अचानक दैवी शक्ति कहां से प्रकट हो जाती है ऐसे बाबाओं में? दवाइयों, चमत्कारों, पत्रिकाओं और अनेक सामग्री का बाज़ार खुल जाता है इनके पीछे पीछे, इनके नाम पर। भभूत लेने या लेने की परंपरा कब की रसातल में मिल चुकी। अब तो बाबा उद्योग खुले हैं और धड़ल्ले से चल रहे हैं। बाबाओं से राजनेताओं भी आशीर्वाद लेने जाते हैं चुनावों में। फिर चाहे बाबा जेल में ही बंद क्यों न हों। वोट के लिए कुछ भी करेगा, बाबा। यह कैसा मायाजाल है, कैसा उन्माद है? अब भोले बाबा यानी सूरजपाल जाटव पर कोई कार्यवाही होगी? या अभी किसी चमत्कार की उम्मीद बाकी है? बाबा अस्पताल व शमशान में तो अपने चरण रखिये। फिर जाने कितने दयालु, कृपालु हैं आप।
आंख बंद कर प्राणी
तोहि पिया मिलेंगे!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।