जेल पहुंचा सकता है व्हाट्सएप का दुरुपयोग

भारत में वयस्कों की संख्या 100 करोड़ से अधिक है, जबकि 50 करोड़ से अधिक लोग व्हाट्सएप का प्रयोग करते हैं। यानी देश की आधी आबादी व्हाट्सएप का प्रयोग करती है।

जेल पहुंचा सकता है व्हाट्सएप का दुरुपयोग

भारत में वयस्कों की संख्या 100 करोड़ से अधिक है, जबकि 50 करोड़ से अधिक लोग व्हाट्सएप का प्रयोग करते हैं। यानी देश की आधी आबादी व्हाट्सएप का प्रयोग करती है। सच भी है, क्योंकि व्हाट्सएप ने जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है। अधिकांश आपसी बातचीत में व्हाट्सएप का इस्तेमाल होता है, क्योंकि यह तेज है और इसमें फोटो वीडियो भेजना आसान होता है। हालांकि, बहुत सारे लोग इस सुविधा का दुरुपयोग करते हैं और अश्लीलता व अपराध बढ़ाने में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसी कारण से देश के आईटी कानून के मद्देनजर, पिछले एक साल में दो करोड़ 28 लाख व्हाट्सएप खातों को बंद करना पड़ा। अगर पिछले महीने की बात करें, यानी मई 2022 की, तो व्हाट्सएप ने 19 लाख दस हजार खाते ब्लॉक किए।
 
व्हाट्सएप की रिपोर्ट बताती है कि जुलाई 2021 में सबसे ज्यादा खाते बैन किए गए थे। ऐसे खातों की संख्या 30 लाख 27 हजार थी। अगर कोई व्यक्ति स्थानीय कानूनों के खिलाफ, अश्लीलता, मानहानि, धमकाने, डराने, नफरत फैलाने अथवा हिंसा भड़काने वाली सामग्री शेयर करता है और उसके बारे में कोई दूसरा यूजर शिकायत करता है तो व्हाट्सएप खातों को प्रतिबंधित कर देता है। फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम का स्वामित्व एक ही कंपनी - मेटा के पास है। 

फेसबुक में 2022 की पहली तिमाही में हिंसा और उकसाने वाली सामग्री पोस्ट करने के आरोप में दो करोड़ 17 लाख लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई और और 1 अरब 88 करोड़ फर्जी जानकारियों को प्लेटफार्म से हटाया गाय। इसी तरह, मादक द्रव्यों के सेवन को बढ़ावा देने वाली 18 लाख पोस्ट इंस्टाग्राम से हटाई गईं।
 
व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमारी सहूलियत के लिए हैं, ताकि आपसी संचार और संवाद सुलभ हो सके। इन माध्यमों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। इनके जरिए फर्जी सूचनाओं को फॉरवर्ड करना या शेयर करना एक अपराध है, जोकि देशहित में नहीं है। इन दिनों आपने नोट किया होगा कि सोशल मीडिया पर देशविरोधी या मानहानि करने वाली पोस्ट, ट्वीट आदि पर लगातार एक्शन हो रहा है और दोषियों को दंडित किया जा रहा है। आपके हाथ में स्मार्टफोन है और सोशल मीडिया पर आपका अकाउंट है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी लिख देंगे और बच जाएंगे। सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखने से पहले बीस बार सोचें और ऐसा कुछ भी पोस्ट न करें जो गैरकानूनी हो या जिससे किसी व्यक्ति या समाज का नुकसान होता हो। जो सावधानी आमने सामने बोलने में बरती जाती है, वही सोशल मीडिया पर भी बरती जानी चाहिए। 
 
कहते हैं खुश रहना व्यक्ति की अपनी पसंद पर निर्भर करता है। खुश रहना एक निर्णय है जो जो कोई भी ले सकता है। खुश रहने से समस्याएं हल्की लगने लगती हैं, और मानसिक तनाव कम होता है। यूक्रेन के लोग इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं। पूरा देश लंबे समय से रूस के हमलों से परेशान है। फिर भी यूक्रेन के एक पश्चिमी शहर में एक कॉमेडी क्लब में हर रात को मनोरंजक शो होते हैं, जहां दुश्मन सेना को लेकर तरह-तरह के चुटकुले सुनाए जाते हैं। इसका एक मकसद है दुश्मन के बारे में हंसी मजाक करके स्थानीय लोगों का तनाव कम करना और युद्ध से होने वाली परेशानियों को कम करना। हंसी मजाक की बात करें तो दक्षिण भारतीय लोग दफ्तर में चुटकुले सुनाने में सबसे आगे रहते हैँ। इस मामले में इटली के लोग भी कम नहीं। लिंक्डइन के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि भारत में तीन चौथाई प्रोफेशनल ऑफिस में हंसी मजाक को अच्छा मानते हैं, हालांकि काफी लोगों को यह गैर-प्रोफेशनल व्यवहार लगता है। फिर भी, ज्यादातर लोगों को लगता है कि वर्कप्लेस पर हंसी मजाक करने से प्रोडक्टिविटी बढ़ती है, मन हल्का होता है, और मन तनाव मुक्त रहता है।
 
कोविड महामारी के समय पूरे 2 साल तक हवाई यात्राओं पर विराम लगा रहा, जिससे एविएशन इंडस्ट्री थम सी गई थी। पूरी दुनिया में आवागमन रुक गया था और इसके चलते एयरलाइन कंपनियों ने अपने कई लाख कर्मचारियों को काम से निकाल दिया था। लेकिन अब जबकि महामारी समाप्त हो चुकी है, कोरोनावायरस का पहले जैसा डर नहीं रहा, तो लोगों ने घूमना फिरना शुरु कर दिया। नतीजा यह हुआ कि एयरलाइनों पर बेइंतहा दबाव बढ़ गया है। हवाई अड्डों पर भारी भीड़ जमा होने लगी है। कई लोगों को लगता होगा कि सिर्फ भारत में सुविधाओं की कमी होती है या लंबी लाइनें लगती है, तो बता दें कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में हालात बहुत बुरे हैं। बल्कि वहां स्थिति भारत से ज्यादा खराब है, क्योंकि वहां की एयरलाइनों ने कोरोना काल में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की थी। 

एक आंकड़ा बताता है कि इंडस्ट्री से 23 लाख कर्मचारियों की छंटनी हुई थी। लेकिन अब स्टाफ की किल्लत इतनी अधिक है कि हवाई अड्डों पर यात्रियों की भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा है। सैकड़ों उड़ानें रद्द करनी पड़ रही हैं। घंटों इंतजार करना पड़ता है। सिक्योरिटी गेट पर ही लंबी लाइनें लग जाती हैं। इंडस्ट्री की मानें तो एयर ट्रैवल में 400% से अधिक बढ़ोतरी हुई है। दूसरी तरफ, पायलट, फ्लाइट अटेंडेंट सुरक्षाकर्मी, एयरपोर्ट की बसों को चलाने वाले ड्राइवर आदि कम पड़ रहे हैं। रातों-रात कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है, क्योंकि इसकी एक लंबी प्रक्रिया होती है, जिसमें कई हफ्ते का समय लग सकता है। हवाई यात्रियों की संख्या अमेरिका और यूरोपीय देशों में जिस तरह से बढ़ी है उसने पिछले 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
 
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के उपराष्ट्रपति पद के संभावित दावेदार, कैप्टन अमरिंदर सिंह हाल ही में लंदन के एक अस्पताल में अपनी रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कराके लौटे हैं, तो दूसरी ओर, भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी झारखंड के जंगल में रहने वाले एक वैद्य से अपने घुटनों का इलाज करवा रहे हैं। वैद्य की फीस है मात्र 40 रुपए। धोनी पिछले एक महीने से वैद्य की दवाई ले रहे हैं, जो जंगल की एक जड़ी बूटी से तैयार की जाती है। किसी को अपने देश की मिट्‌टी से लगाव है और उसकी जड़ी बूटियों से प्यार है तो कोई परदेस के अस्पतालों पर भरोसा करता है। सोच अपनी अपनी ख्याल अपना अपना।

(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार एवं कॉलमिस्ट हैं)