मूट कोर्ट विद्यार्थियों को व्यवहारिक अनुभव प्रदान करने का सर्वोत्तम मंच हैः एडीएसजे सुनील चौहान

महक बनी सर्वश्रेष्ठ वक्ता।

मूट कोर्ट विद्यार्थियों को व्यवहारिक अनुभव प्रदान करने का सर्वोत्तम मंच हैः एडीएसजे सुनील चौहान

गुरुग्राम, गिरीश सैनी। एमडीयू के गुरुग्राम स्थित - सेंटर फॉर प्रोफेशनल एंड एलाइड स्टडीज (एमडीयू-सीपीएएस) में आयोजित दो दिवसीय तीसरी राष्ट्रीय मूट कोर्ट 2025 संपन्न हो गई।

इस प्रतियोगिता में एमडीयू की टीम ने श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए विजेता का खिताब अपने नाम किया, जबकि डी.एम.ई. लॉ स्कूल की टीम उप विजेता बनी। सर्वश्रेष्ठ वक्ता का पुरस्कार पारुल विवि, गुजरात की प्रतिभागी महक और बेस्ट मेमोरियल पुरस्कार बेनेट विवि, नोएडा की टीम को मिला। सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता का पुरस्कार एमडीयू के पार्थ को मिला। इस प्रतियोगिता में 60,000 रुपए से अधिक की नकद राशि पुरस्कार स्वरूप विजेता प्रतिभागियों को प्रदान की गई।

गुरुग्राम के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील चौहान ने बतौर मुख्यातिथि इस प्रतियोगिता के समापन सत्र में शिरकत की और विजेताओं को पुरस्कृत किया। उन्होंने कहा कि मूट कोर्ट एक कानूनी प्रयोगशाला है जो विद्यार्थियों को व्यवहारिक अनुभव प्रदान करने का सर्वोत्तम मंच है, जहां वे न्यायिक प्रक्रिया को समझाते हुए, अपने तर्कों, भाषा और प्रस्तुतीकरण में निखार ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से विद्यार्थी न्यायपालिका के प्रति अधिक सजग, संवेदनशील और उत्तरदायी बनते हैं।

विशिष्ट अतिथि प्रो. वागेश्वरी देसवाल (दिल्ली विवि) ने अपने संबोधन में भारत में कानूनी शिक्षा के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज विधि शिक्षा में अनुभवात्मक अधिगम, नैतिक शिक्षा और बहु विषयक दृष्टिकोण को समाविष्ट किए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिमरपाल ने छात्रों को वकालत की दुनिया के वास्तविक अनुभवों से अवगत कराया।

एमडीयू-सीपीएएस निदेशक प्रो. प्रदीप के. अहलावत ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं संस्थान की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मूट कोर्ट प्रतियोगिता के दूसरे दिन सेमीफाइनल और फाइनल राउंड आयोजित किए गए, जिसमें देशभर से चयनित चार टीमों ने भाग लिया। फाइनल मुकाबला एमडीयू और दिल्ली मेट्रोपॉलिटन लॉ स्कूल के बीच हुआ। इस दौरान एडीए हिमांशु यादव, प्रो. प्रदीप चौहान (केंद्रीय विवि, हरियाणा) तथा अन्य न्यायविदों ने मूल्यांकन किया।