मातृचक्र का मूलाधार मां हैः पट्टाचार्य श्रुत सागर महाराज

मातृचक्र का मूलाधार मां हैः पट्टाचार्य श्रुत सागर महाराज

रोहतक, गिरीश सैनी। फाल्गुण माह की अष्टान्हिका महापर्व के अवसर पर एलपीएस बोसार्ड व यूपीएस लक्ष्मी द्वारा आयोजित 8 दिवसीय संगीतमय सिद्धचक्र महामंडल विधान के चौथे दिन पट्टाचार्य श्रुत सागर महाराज ने कहा कि मातृचक्र का मूलाधार मां है। पिता का केवल योगदान है, बाकी सब कुछ मां का है। मां धारण करती है, इसलिए धरती मां है।

श्रद्धालुपट्टाचार्य श्रुत सागर महाराज के दर्शनों के लिए कतार में लगे रहे। यूपीएस लक्ष्मी के निदेशक विजय जैन व एलपीएस बोसार्ड के एमडी राजेश जैन की अध्यक्षता में बाल ब्रह्मचारी नीतिन भैया व पं. देवेन्द्र जैन शास्त्री ने विधि विधान से जलाअभिषेक व महाशांति धारा संपन्न की। तत्पश्चात भगवान समूचय पूजन, पंचमेरू पूजन,भगवान पार्श्वनाथ पूजन, भगवान महावीर स्वामी पूजन के साथ सिद्धचक्र विधान के 32 श्लोकों के साथ अष्टद्रव से बना महाअध्र्य भगवान जी के चरणों में समर्पित किया। भोपाल से आए संगीतकारों व कलाकारों ने अपने मधुर भजनों से श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। सांयकाल श्रद्धालुओं ने 21 दीपक जलाकर संगीतमय आरती की। इस दौरान रीटा जैन, संध्या जैन, दीपा जैन, स्मृद्धि जैन, मधु जैन, उमा शर्मा, राजीव जैन सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।