संगीत से तल्लीनता और ऊर्जा बढ़ती है: मा अमृत प्रिया
-कमलेश भारतीय
संगीत से तल्लीनता और ऊर्जा बढ़ती है । सामाजिक प्राणी तो दूसरों के लिए नाचता है जबकि साधक स्वयं के साथ नाचता है और भाव विभोर हो जाता है , परमात्मा को पाने के लिए नाचता है । डिस्को जैसे संगीत तो दुनियावी हैथ जबकि सूफी संगीत आत्मा का संगीत है । यह कहना है मा अमृत प्रिया का जो ओशो रजनीश की छोटी भाभी हैं और आजकल हिसार के ओशो मेडिटेशन रिसोर्ट सेंटर में स्वामी शैलेंद्र सरस्वती के साथ आई हुई हैं । वे शुरू से ही ओशो के साथ जुड़ीं और संगीत की प्राध्यापिका रहीं जबकि उनके पति डाॅ शैलेंद्र और वे एक ही संस्थान में कार्यरत थे । दीक्षा के बाद में वे मा अमृत प्रिया और डाॅ शैलेंद्र स्वामी शैलेंद्र सरस्वती बन गये । संगीत की शिक्षा जबलपुर से ही ली । पहले प्रिया शेखर थीं ।
-ओशो में दीक्षा के बाद नाम क्यों बदल दिया जाता है ?
-ताकि अपनी पुरानी पहचान भूल जाओ और नया जीवन शुरू करो ।
-आपको ओशो की क्या बात बहुत पसंद है ?
-सभी बातें पसंद हैं । जब उनसे दीक्षित हुई तो पूरी तरह पसंद करके ही दीक्षा ली । पूरे ओशो ही अच्छे लगे । अकारण कोई किसी को पसंद क्यों करेगा ?
-नारी की स्थिति के बारे में क्या कहेंगी आप ?
-नारी की समस्या जस की तस है । हमारा मिशन तो ध्यान की दृष्टि को फैलाना है ।
-अब तक कितने गीत आ गा चुकी हैं ओशो के लिए ?
-कोई गिनती नहीं । हो सकता है एक हजार से तेरह चौदह सौ तक हों ।
-आपकी पसंद क्या रही ?
-मैंने ओशो वाणी ही गायी है ।
-कोई एक प्रिय भजन की कोई पंक्ति गुनगुना दीजिए ।
-सभी प्रिय हैं । फिर भी सुनिये :
मन मस्त हुआ , फिर क्यों डोले ,,,,
इस अवसर पर स्वामी संजय और मा सांची भी मौजूद रहे । मा अमृत प्रिया बारह सितम्बर तक यहां प्रवास करेंगीं ।
हमारी शुभकामनाएं मा अमृत प्रिया को ।