महिलाओं को शिक्षित कर, सशक्तिकरण मेरा उद्देश्यः प्रो‌ सुदेश‌ 

महिलाओं को शिक्षित कर, सशक्तिकरण मेरा उद्देश्यः प्रो‌ सुदेश‌ 

-कमलेश भारतीय
अब महिला शिक्षा के माध्यम से नारी उत्थान एवं सशक्तिकरण ही मेरा उद्देश्य है, यह कहना है भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की कुलपति प्रो सुदेश‌ का। कुलपति कार्यालय में एक छोटी सी मुलाकात में उन्होंने बहुत भावुक होकर यह बात कही। यह भी एक सुखद संयोग ही है कि इनका जन्म भगत फूल सिंह के गांव माहरा के निकटवर्ती गांव जुआ में हुआ। बाल्य काल से ही प्रो सुदेश भगत फूल सिंह के जीवन और विचारधारा से अच्छी तरह परिचित थीं और उन्हीं की स्मृति में बनाए गए विश्वविद्यालय में काम करने का सुअवसर मिल।  मुझे गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के प्रो दलबीर सिंह के सहयोग से बरसों बाद खानपुर कलां के महिला विश्वविद्यालय जाने का अवसर मिला। 
-आपकी शिक्षा कहां-कहां हुई?
-सातवीं तक की शिक्षा सोनीपत में हुई। फिर राई के मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स में जमा दो तक की पढ़ाई की। 
-ग्रेजुएशन व आगे की पढ़ाई कहां-कहां से?
-बी.कॉम. हिंदू कॉलेज, सोनीपत से। फिर एम.कॉम. महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से । बाद में  कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र से प्रो. आर.के. मित्तल‌ के निर्देशन में पीएचडी की । 
-स्कूल व कॉलेज में कौन कौन सी गतिविधियों में भाग लेती रही? 
-योगा व स्पोर्ट्स में ज्यादा एक्टिव रही, जैसे टेबल टेनिस, एथलेटिक्स, यहां तक कि बॉलीवाल भी खेलती रही । इसके अतिरिक्त साहित्यिक रूचियां भी रही । 
-पहली जॉब कहां? 
-सन् 1990 में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग में और फिर पूरे बत्तीस साल इसी विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर रही । 
-कौन कौन से उल्लेखनीय पद पर रहीं ? 
-एमबीए विभाग की अध्यक्षा, मानव संसाधन विकास केंद्र और महिला अध्ययन केंद्र का प्रभार भी मेरे पास रहा । 
-भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय में कब से?
-पांच मार्च, 2022 से अब तक। 
- क्या कहेंगीं आप महिला विश्वविद्यालय के बारे में ? 
 - इस क्षेत्र और भगत फूल सिंह को ज्यादा जानने का अवसर मिला । यह भी जाना कि शिक्षा के प्रति कितने जागरूक हैं यहां के मूल निवासी, जिन्होंने शिक्षा के लिए इतने संसाधन जुटाए और उपलब्ध करवाए । सन् 1936 में बने कन्या गुरुकुल ने विश्वविद्यालय का रूप ले लिया । शिक्षा के महत्त्व को भगत फूल सिंह एवं उनकी बेटी सुभाषिणी बहुत अच्छे से जानती थी । इसीलिए यहां की छात्रायें आर्य समाज के प्रभाव में रहती हैं। यहां की मूल वैदिक परंपरा को अब कम्प्यूटर तकनीक तक ले जाकर आधुनिक बनाया गया है । विभिन्न नए पाठ्यक्रम शुरू करवाए । अब एक पत्रिका 'सुभाषिता' भी शुरू करने जा रहे हैं । समय समय पर कवि सम्मेलन भी आयोजित किए हैं । 
-अपने माता पिता के बारे में बताइये? 
-पिता खजान सिंह आर्य शिक्षक रहे और माता राम कौर गृहिणी। 
-पति और बच्चों के बारे में? 
-पति प्रो हवा सिंह कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव रहे, अब सेवानिवृत्त । बेटा मेजर अभिमन्यु पहले सेना में अधिकारी, अब एक वित्त कंपनी में और बहू ईशा उत्तर प्रदेश में आईएएस अधिकारी । बेटी तेजस्वी दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग में सहायक प्रोफेसर है । 
-जब व्यस्त जीवन में कुछ फुरसत के पल मिलते हैं, तब क्या करना पसंद है ? 
-समाज के सभी वर्गों की महिलाओं से बातचीत करना, उन्हें शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करना, तथा उन्हें अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करना । प्रकृति के नजदीक रहना पसंद । 
-साहित्यिक रूचि रही तो किन लेखकों को आपने पढ़ा? 
-राष्ट्रकवि दिनकर, मुंशी प्रेमचंद्र और महादेवी वर्मा आदि । 
-आगे क्या लक्ष्य? 
-महिलाओं के उत्थान व कल्याण के लिए काम करूंगी अब।