संचार विश्लेषण/ मेरी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था
-कमलेश भारतीय
राज्यसभा चुनाव के परिणाम देर रात घोषित हो गये । हरियाणा में होने के कारण दिलचस्पी हरियाणा में ही थी । पहले दिन से । सुना , सोचा और समझा पर देखा जाये , यह ऐसा खेल है जो शतरंज से भी दिलचस्प है । ऐसा खेल है जिसे खेलने वाले हैरान हो जाते हैं कि यह क्या हुआ , क्यों हुआ , किससे पूछें ? अनोखा खेल । अनोखा परिणाम । वैसे तो गुजरात की तरह दिलचस्प । आखिरी मिनट तक सांसें रुकी रहीं सबकीं -क्या होगा ? क्या होने वाला है ? एक बात तो कांग्रेस प्रत्याशी को जिता ही दिया । बधाइयां मिलने लगीं । सब तरफ लेकिन फिर पासा पलटा और निर्दलीय प्रत्याशी जीत गया । है न किस्मत के फेर ? है न करिश्माई परिणाम ? ऐसा ही परिणाम गुजरात विधानसभा से आया था जब अहमद पटेल जीते थे । आधी रात का खेल । वहीं से विधायकों की बाड़ेबंदी का खेल शुरू हुआ था जो हरियाणा राज्यसभा चुनाव तक जारी है । रायपुर का प्रशिक्षण शिविर किसी काम न आया । मोक ड्रिल भी नहीं । भाजपा जजपा पहले विधायकों को शेर कहती रहीं , बाद में एक रिसोर्ट में रखने ही पड़े । दिल धक धक तो कर ही रहा था ।
चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुलाम नबी आजाद और अशोक अरोड़ा के नाम दिये थे राज्यसभा प्रत्याशियों के लिए लेकिन हाईकमान ने सौंप दिये अजय माकन । फिर भी जोर लगाया आखिरी दम तक । इसके बावजूद प्रदेश अध्यक्ष की कमान न सौंपे जाने पर कुलदीप बिश्नोई ने अंतरात्मा की आवाज सुनी और वोट क्राॅस कर दिया । एक कोई और वोट रद्द हुआ कांग्रेस का जिससे हाथ से जीती हुई बाजी फिसल गयी देखते देखते । कांग्रेस को सिवाय कांग्रेस के किसी ने नहीं हराया, न भाजपा जजपा ने और न ही कार्तिकेय ने । कांग्रेस अपने अंजाम के लिए खुद जिम्मेदार है । दूसरो न कोई । कुलदीप बिश्नोई ने जो पहले दिन कहा , वह उस पर खरा उतरा । कोई बदलाव नहीं । दूसरी ओर राजस्थान में भाजपा की जिस विधायक ने कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया , तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया । कांग्रेस हाईकमान में इतनी ताकत है कि ऐसी कार्रवाई कर सके ? नहीं है । इसीलिए तो कांग्रेस की तस्वीर और तकदीर नहीं बदलती । हर बार कुछ नया हो जाता है । पिछली बार स्याही कांड हुआ और कांग्रेस के आर के आनंद भी पराजित होकर गये । और मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा जीत गये थे , जो इस बार राजस्थान में हार गये । अपने हाथों अपनी पार्टी की हार तय करते हैं । बलराज कुंडू जैसा विधायक अपनी बात पर पक्का रहा और वोट नहीं दिया । मनाने गये अनिल। विज भी सफ। न हो पाये । अभय चौटाला ने जेल में बड़े चौटाला की सेवा मनु द्वारा किये जाने का कर्ज उतार दिया । इस तरह सबने अपने अपने मन की कर ली । अचानक कार्तिकेय आते हैं और जीत जाते हैं और कांग्रेस की सारी रणनीति धरी की धरी रह जाती है ।
बहुत दिलचस्पी भरे रहे ये राज्यसभा चुनाव के दिन ।
हम तो मिर्ज़ा ग़ालिब के शब्दों में इतना ही कह सकते हैं -
हमें तो अपनों ने लूटा
गैरो में कहाँ दम था
अपनी कश्ती वहां डूबी
जहां पानी कम था ।
और एक गाना पर सपना चौधरी भी खूब झूम कर डांस करती है
मैं तेरी नचाई नाचू हूं
दुनिया की औकात नहीं ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।