मेरे आंसू जनता के आंसू जबकि प्रधानमंत्री के आंसू फर्जी: राकेश टिकैत
-कमलेश भारतीय
मेरे आंसू जनता के आंसू थे और दिल से बहे थे जबकि प्रधानमंत्री के आंसू फर्जी और दिमाग से निकले थे । इसलिए इनका कोई असर किसी पर नहीं हुआ । यह कहना है देश में किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत का , जो आज रामायण टोल पर किसानों के आंदोलन के लिए बैठे थे । उनका कहना है कि जब तक टोहाना के पकड़े गये दो युवकों को छोड़ा नहीं जाता तब तक वे रामायण टोल छोड़ कर नहीं जायेंगे । इस अवसर पर टिकैत को उनके जन्मदिन पर बधाइयां भी दी गयीं । मूल रूप से यूपी के सिसोली निवासी टिकैत का कहना है कि वे मूल रूप से तो सोनीपत के गांव मंधाना से हैं पर हमारे पूर्वज यूपी चले गये लेकिन हमारा नाता हरियाणा से उतनी ही पुराना है । बीए तक शिक्षित टिकैत ने एम ए प्रथम वर्ष तक की लेकिन पूरी न कर पाये ।
-अपने पिता और प्रसिद्ध किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से क्या गुण या विरासत आपको मिली ?
-पंचायती सिस्टम चलाना सीखा । गलत का साथ नहीं देना और सही के लिए डट जाना ।
-किसान आंदोलन ने इस छह माह में कितने रंग बदले ?
-पहले इसे सरदारों का आंदोलन कहि गया, फिर हरियाणा का , इसके बाद खालिस्तानी और फिर पाकिस्तानी और फिर हम पर इल्जाम लगा तिरंगे के अपमान का । अब हम पर इल्जाम कि हम कोरोना फैला रहे हैं ।
-प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि वे सिर्फ एक फोन काॅल की दूरी पर हैं । फिर क्या दूरी है ?
-असल में हमें प्रधानमंत्री ने कोई फोन नम्बर नहीं दे रखा है । जैसे पहले चिट्ठी भेज कर बातचीत के लिए बुलाते थे, वैसे बुलाएं । हम बातचीत से मुंह नहीं मोड़ रहे। चार माह हो गये कोई न्यौता नही आया।
-कोरोना का इल्जाम किसान आंदोलन पर कैसे?
-सरकार का खेल । जब देश में चार लाख कोरोना केस थे तब प्रधानमंत्री बिना कोई परवाह किये पश्चिमी बंगाल में रैलियां कर रहे थे । अब इल्जाम हमारे ऊपर क्यों ?
-चढूनी कह रहे हैं कि जिन्होंने टोहाना में प्रदर्शन किया वे बागी हैं । आप क्या कहेंगे?
-संयुक्त किसान मोर्चे में बहुत लोग हैं । यदि किसी ने हमारी एक बात नहीं मानी तो क्या वे बागी हो गये ?
-प्रधानमंत्री और आपके आंसुओं में क्या फर्क ?
-मेरे आंसू जनता के आंसू थे और दिल से निकले थे जबकि प्रधानमंत्री के आंसू फर्जी थे और दिमाग से नाटक की तरह निकले थे ।
-आप के बारे में कहा जा रहा है कि आप यूपी में आंदोलन नहीं चलाते , दिल्ली या हरियाणा में ही क्यों?
-वहां भी चल रहा है।
-कब तक रामायण टोल पर धरना देंगे?
-जब तक टोहाना के गिरफ्ताb र किये दो युवकों को रिहा नहीं किया जाता ।
-विधायक की क्या बात सामने आई ?
-गाड़ी लेकर भागे क्यों और गाली क्यों दी ।
-क्या हिसार के प्रशासन के साथ समझौता पूरा होगा ?
-नहीं होगा तो फिर आंदोलन करेंगे ।
इस अवसर पर महम के विधायक बलराज कुंडू , जिला परिषद् के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सूरा और बलराज मलिक समेत अन्य नेता मौजूद थे ।