मेरा काम पद्मश्री से भी बड़ा, मैं किसानों की बेहतरी के लिए काम करता रहूँगा : प्रो रामचंद्र सिहाग
मेरा काम पद्मश्री से भी बड़ा है लेकिन यह भी सतोष है कि किसी सरकार ने तो मेरे काम और योगदान को पहचाना ! यह कहना है प्रो रामचंद्र सिहाग का, जिन्हें पद्मश्री अवाॅर्ड देने की केंद्र सरकार ने घोषणा की है । आज इनके सेक्टर पंद्रह स्थित आवास पर बातचीत की गयी और उन्होंने यह बात कही ।
-कमलेश भारतीय
मेरा काम पद्मश्री से भी बड़ा है लेकिन यह भी सतोष है कि किसी सरकार ने तो मेरे काम और योगदान को पहचाना ! यह कहना है प्रो रामचंद्र सिहाग का, जिन्हें पद्मश्री अवाॅर्ड देने की केंद्र सरकार ने घोषणा की है । आज इनके सेक्टर पंद्रह स्थित आवास पर बातचीत की गयी और उन्होंने यह बात कही ।
-आपकी पढ़ाई लिखाई कहाँ कहाँ हुई?
-सिवानी बोलान से प्राइमरी, गोरखपुर से मैट्रिक, डीएन काॅलेज से प्री मेडिकल और बीएससी गवर्नमेंट काॅलेज से और फिर एम एस सी की कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्राणी विभाग से ।
-पीएचडी कब और किनके निर्दैशन में?
-मैंने मधुमक्खी प्रजनन पर डाॅ आर पी कपिल के निर्देशन में किया अपना शोध ! फिर यही मेरे जीवन का एक मिशन बन गया कि मधुमक्खी पालन से किसानों को आर्थिक लाभ कैसे मिल सके !
-आपको सफलता कैसे मिली?
-मेरे से पहले हरियाणा में दो कोशिशों को सफलता नहीं मिली थी। इसलिए मैंने पहले हरियाणा में खूब घूमकर इसकी संभावनाओं को तलाशा, सन् 1979 में मैं एस्सिटेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुआ और सन्2012 में रिटायर । सन् 1968 और सन् 1975 में मधुमक्खी पालन के प्रयास विफल रहे थे ।
-हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मधुमक्खी पालन ट्रेनिंग कब शुरू हुई?
-सन् 1980-82 से और आज तक यह ट्रेनिंग चलती है और किसान इसका लाभ उठा रहे हैं ।
-आपने सर्वेक्षण में क्या ध्यान दिया?
-मधुमक्खी पालन में इन पर मौसम की मार और दवाइयों का प्रभाव आदि पर ध्यान दिया ।
-क्या फर्क पड़ा आपके प्रयासों से?
-पहले हम विदेशों से शहद आयात करते थे जबकि अब हम इतना शहद पैदा कर रहे हैं कि विदेशों को बढ़िया क्वालिटी का शहद निर्यात करने में सक्षम हो चुके हैं। सन् 2005 में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी थी कि हरियाणा आठ हज़ार क्विंटल शहद का उत्पादन कर रहा है ।
-हरियाणा में कितने परिवार मधुमक्खी पालन से जुड़ चुके हैं?
-हरियाणा में दो लाख परिवार मधुमक्खी पालन से जुड़ चुके हैं और यह किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर रहा है।
-इसकी पहली ट्रेनिंग कहाँ से शुरू की?
-यमुनानगर से ओर फिर धीरे धीरे यह पूरे हरियाणा में उपलब्ध करवाई गयी श। अब यह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में लगातार चल रही है ।
-आपने अपना मधुमक्खी पालन का पूरा शोध कब प्रकाशित करवाया?
-सन् 1990 में मैने अपनी सारी रिक्मेंडेशंज प्रकाशित करवा दीं ताकि सबको यह आसानी से उपलब्ध हो जाये ।
-आपको कौन कौन से मुख्य सम्मान मिले?
-सन् 1986 में रफी अहमद अवाॅर्ड मिलाने से, जो कृषि क्षेत्र में ही दिया जाता है । सन् 1990 में यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंटल से प्रशंसा पत्र, सन् 1997 में राॅयल फैलो और सन् 2005 स्क्राल ऑफ ऑनर तो सन् 2007 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड मिला । सन् 2008 में रिसर्च जर्नल का मुख्य संपादकीय बनाया गया ।
-पद्मश्री के लिए चयन होने पर कैसा लगाम?
-बहुत खुशी हुई कि किसी सरकार ने तो मेरे काम को सराहा । हालांकि मेरा काम पद्मश्री से भी बड़ा है ।
-किसानों को आर्थिक घाटे से निकलने का क्या तरीका है आपकी नज़र में?
-कृषि में विविधता और सहायक धंधे अपनाना जैसे मधुमक्खी पालन, मशरूम, मुर्गी पालन आदि। इससे किसान आर्थिक घाटे से उभर सकते हैं ।
-इसके अतिरिक्त आपके क्या शौक हैं?
-पुराने गाने सुनना, बागबानी करना और साहित्य पढ़ना !
-लक्ष्य?
-किसानों की बेहतरी के लिए काम करता रहूँ, बस, इतनी ही तमन्ना है।