समाचार विश्लेषण/नैना साहनी: फिर तेरी कहानी याद आई 

समाचार विश्लेषण/नैना साहनी: फिर तेरी कहानी याद आई 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
नैना साहनी याद है आपको ? वहीं जिसके पति सुशील शर्मा ने उसके अनैतिक संबंधों के कारण न केवल निर्मम हत्या के बाद अपने रेस्तरां के तंदूर में टुकड़े टुकड़े कर जलाने का दुस्साहस किया था । सुशील शर्मा दिल्ली में युवा कांग्रेस नेता था और नैना साहनी युवा कांग्रेस के प्रोग्रामों मे मिली थी । फिर लव स्टोरी शुरूआत इतना भयानक ! 
बिल्कुल यही और ऐसा ही भयानक कांड फिर सामने आया है । दिल्ली के महरौली इलाके में लिव इन में रह रही प्रेमिका श्रद्धा वालकर की उसके प्रेमी आफताब पूनावाला द्वारा वैसी ही निर्मम हत्या और फिर पैंतीस टुकड़ों में काटकर फ्रिज में रखकर थोड़ा थोड़ा रात के अंधेरे में फेंकना । यह सनसनीखेज मामला छह माह बाद मीडिया में उजागर हुआ । वह भी तब जब मुम्बई में बैठे श्रद्धा के पिता ने उसकी गुदगुदगी की रिपोर्ट लिखवाई । श्रद्धा का फोन बंद पाकर पिता को शक हुआ और रिपोर्ट लिखवा दी और यह सनसनीखेज रहस्य उजागर हुआ । लड़की और प्रेमी की कहानी मुम्बई से शुरू हुई थी । माता पिता के विरोध करने पर कहा कि बालिग हूं और अपनी ज़िंदगी के फैसले कर सकती हूं । यह कैसा फैसला किया श्रद्धा ? वे मुम्बई से महरौली आकर रहने लगे थे और जानकारी के मुताबिक श्रद्धा शादी के लिए जोर डालने लगी थी और आफताब सिर्फ लिव इन तक ही  रहने पर जोर दे रहा था । आफताब ने अमेरिकी सीरियल देखकर यह साजिश रची । आफताब अपने मकान से भाग भी गया था लेकिन पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस से उसे गिरफ्तार कर लिया । दूसरी ओर यह भी रहस्य उजागर हुआ कि श्रद्धा को आफताब पीटता भी था और वह तंग आकर मुम्बई लौटना चाहती थी । पर यह मौका न मिला जो गलत कदम उठ गये वे लौट न सके । दुर्गंध मिटाने के लिए आफताब घर में अगरबत्ती जलाये रखता था लेकिन कब तक ? मर्डर के बाद भी आफताब रोज़ गुरुग्राम नौकरी करने जाता था ! यानी सब कुछ सामान्य दिखाने की कोशिश ! स्वाति मालीवाल ने इस जघन्य कांड के लिए सख्त सजा दिये जाने की मांग की है ।
क्या सबक है नैना साहनी और श्रद्धा के ये जघन्य कांड ? सबक युवतियों को कि आंख मूंद कर प्यार में धोखे को स्वीकार न करें ! देखभाल से , अच्छी जानकारी के बाद ही लिव इन या शादी का फैसला करें और इतनी बड़ी कभी न मानें खुद को कि मांबाप से बड़े फैसले कर लें ! फैसले अपने हो तो भी माता पिता की राय लें ! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।