जलसाघर में आज नामवर सिंह के पत्रों के संकलन और बंजारे की चिठ्ठियाँ पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
विश्व पुस्तक मेला के आठवें दिन राजकमल प्रकाशन के 'जलसाघर' में कई पुस्तकों पर बातचीत हुई और नई पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। 'जलसाघर' में आज एस्टोनियाई कवि डोरिस कारेवा के हिंदी में प्रकाशित कविता संग्रह 'आग जो जलाती नहीं', शैलजा पाठक की किताब 'पूरब की बेटियाँ', सुमेर सिंह राठौड़ की 'बंजारे की चिठ्ठियाँ', प्रियदर्शन की 'सहेलियाँ और अन्य कहानियाँ', नामवर सिंह की 'तुम्हारा नानू', रश्मि गुप्ता की 'सिर्फ तुम' और प्रदीप गर्ग की 'तथागत फिर नहीं आते' पुस्तकों का लोकार्पण हुआ।
नई दिल्ली, 4 मार्च 2023:
विश्व पुस्तक मेला के आठवें दिन राजकमल प्रकाशन के 'जलसाघर' में कई पुस्तकों पर बातचीत हुई और नई पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। 'जलसाघर' में आज एस्टोनियाई कवि डोरिस कारेवा के हिंदी में प्रकाशित कविता संग्रह 'आग जो जलाती नहीं', शैलजा पाठक की किताब 'पूरब की बेटियाँ', सुमेर सिंह राठौड़ की 'बंजारे की चिठ्ठियाँ', प्रियदर्शन की 'सहेलियाँ और अन्य कहानियाँ', नामवर सिंह की 'तुम्हारा नानू', रश्मि गुप्ता की 'सिर्फ तुम' और प्रदीप गर्ग की 'तथागत फिर नहीं आते' पुस्तकों का लोकार्पण हुआ।
'जलसाघर' में आयोजित कार्यक्रम के पहले सत्र में एस्टोनियाई कवि डोरिस कारेवा के हिंदी में प्रकाशित कविता संग्रह 'आग जो जलाती नहीं' का लोकार्पण वरिष्ठ कवि लीलाधर मंडलोई ने किया। इस अवसर पर किताब के अनुवादक तेजी ग्रोवर और रुस्तम सिंह भी उपस्थित रहे। लोकार्पण के बाद तेजी ग्रोवर ने डोरिस कारेवा के जीवन और कविताओं के बारे में अपनी बात रखी। इस अवसर पर तेजी ग्रोवर और रुस्तम सिंह ने डोरिस कारेवा की कई कविताओं का पाठ भी किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रत्यक्षा के चर्चित उपन्यास 'पारा पारा' को केंद्र में रखते हुए युवा कवि-कथाकार ज्योति चावला ने उनसे बातचीत की। इस मौके पर प्रत्यक्षा ने कहा कि लेखन की प्रक्रिया तब भी चलती रहती है जब लेखक लिखते हुए नहीं दिख रहा होता है। यह उपन्यास कई साल से मेरे भीतर धीरे-धीरे आकार ले रहा था। इसमें कई पीढ़ियों की बहुत सारी स्त्रियों की कहानी है। उनके संघर्ष, उनके सुख दुख, उनके जीवन के दूसरे तमाम उतार चढ़ाव यहाँ पर हैं। वहीं उपन्यास में प्रेम के संदर्भों के बारे में बात करते हुए लेखिका ने कहा कि प्रेम के मायने उम्र के साथ बदलते रहते हैं। इसलिए प्रेम की तलाश कई बार जीवन भर चलती रहती है।
तीसरे सत्र में चर्चित इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय की बहुचर्चित किताब 'सावरकर : काला पानी और उसके बाद' पर कथाकार पंकज सुबीर ने उनसे चर्चा की। सावरकर पर बात करते हुए अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि गिरफ्तारी और काला पानी की सजा के पहले के सावरकर एक वीर नायक की तरह हैं पर उसके बाद वह तेजी से बदलते हैं और उनकी भूमिका प्रतिगामी होती जाती है। उसके बाद वे ऐसे तमाम कामों में लिप्त होते जाते हैं जिनके साथ उनका नायकत्व तेजी से क्षरित होता है। आगे उन्होंने कहा कि इस किताब को लिखने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि दक्षिणपंथी धड़ा बहुत सारे झूठों के सहारे उनकी जो छवि गढ़ता रहा है। इस किताब में उन सबकी चीर फाड़ करके सही तथ्यों के साथ चीजों को प्रस्तुत करना मुझे जरूरी लगा।
अगले सत्र में बहुचर्चित युवा कवि शैलजा पाठक की किताब 'पूरब की बेटियाँ' का लोकार्पण वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार और मीडिया विश्लेषक-आलोचक विनीत कुमार ने किया। इस मौके पर नेहा राय ने 'पूरब की बेटियाँ' किताब से कुछ मार्मिक हिस्सों का पाठ किया। विनीत ने कहा कि आप लेखकों से मैं ये सवाल करता हूँ कि वे कैसे लिखते हैं पर शैलजा से मेरा सवाल यह है कि अगर वे नहीं लिखतीं तो जी कैसे पातीं? क्योंकि किताब में इतने मार्मिक प्रसंग हैं कि किताब पढ़ते हुए बार-बार रुक जाना पड़ता है। इस पर शैलजा ने कहा कि जब वर्तमान में बहुत आकर्षक स्थितियाँ नहीं होती हैं तब कई बार हम यादों में जाते हैं, पर मेरे साथ यह हुआ कि जब मैं यादों में गई तो तमाम ऐसी कहानियों और स्मृतियों ने मुझे पकड़ लिया जिनके बारे में मैं खुद ही भूल गई थी। मैं अपने ही जीवन की स्मृतियों को अचरज भरी नजर से देख रही थी कि अरे यह थी मैं! यह था हमारा शहर, ये थे हमारे लोग और जब मैं यह चलचित्र देख रही थी तो स्मृतियों की ऐसी किरचें भी मिलीं जो भीतर धंस कर छुपी हुई थीं।
इसके बाद युवा लेखक सुमेर सिंह राठौड़ की किताब 'बंजारे की चिट्ठियाँ' का लोकार्पण हुआ। इस दौरान रवीश कुमार, सुदीप्ति, नेहा राय और विनीत कुमार मंच पर मौजूद रहे। रवीश कुमार ने लेखक को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि किसी लेखक की पहली किताब आना एक बहुत ही सुंदर संभावना का आना है। यह किताब सुमेर की संभावनाओं को बहुत ही सुंदर तरीके से खोलती है। सुदीप्ति के एक सवाल का जवाब देते हुए सुमेर ने कहा कि ये चिट्ठियाँ उन सब के लिए हैं जो इन्हें पढ़ेंगे। ये किताब सीधे-सीधे बंजारों के बारे में नहीं है। ये उन बातों के बारे में है जो धीरे-धीरे खोती गई हैं। हम समृद्ध होते गए हैं पर वह बहुत सारी बातें जो हमें अपने जैसे दूसरे मनुष्यों से जोड़ती थी, उनसे हम दूर होते गए हैं। इस अवसर पर नेहा राय ने किताब से एक मार्मिक अंश का पाठ भी किया।
अगले सत्र में देवेश की चर्चित किताब 'पुद्दन कथा' पर सोनिया सत्यनीता ने उनसे बात की। इस मौके पर सोनिया सत्यनीता ने किताब से कुछ अंशों का पाठ भी किया। देवेश ने कहा कि कोरोना का पूरा समय हर तरह से बहुत कठिन था, इसने हमारे सामाजिक समीकरणों को गहराई से प्रभावित किया। शहरों में क्या कुछ घट रहा है ये तो हम जानते रहे पर दूर गांव गिरांव में क्या कुछ घट रहा था यह किताब उसका बयान करती है।
कार्यक्रम के अगले सत्र में प्रियदर्शन के नए कथा संग्रह 'सहेलियाँ और अन्य कहानियाँ' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर धर्मेंद्र सुशांत से बात करते हुए प्रियदर्शन ने कहा कि पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जहां कदम-कदम पर कहानियाँ मिलती हैं। लेकिन प्रतिकूल बात यह है कि खबरों को लेकर एक तात्कालिक दबाव भी हमारा पीछा कर रहा होता है। आगे उन्होंने कहा कि अपने गांव को याद करते हुए मैं महसूस करता हूं कि चीजें हमारे हाथ से निकल रही हैं। हम जाने अनजाने एक दूसरी ही दुनिया के नागरिक बनते जा रहे हैं जहां पर हमारी पिछली दुनिया से हमारा न के बराबर संबंध बच रहा है। लेकिन मैं एक अंधेरे में रोशनी की एक किरण की तरह आशावाद का दामन थामे रहना चाहता हूँ।
इसके बाद बांग्लादेश से निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन की किताब 'बेशरम' पर धर्मेंद्र सुशांत ने उनसे बातचीत की। इस अवसर पर तसलीमा ने कहा कि 'मुझे कई देशों से बहुत सारे अवार्ड्स मिले लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा अवॉर्ड वो हैं जब लड़कियों ने मेरी किताब पढ़कर अपने आप को मजबूत बनाया है। लेखिका तसलीमा नसरीन का उपन्यास 'बेशरम' उन लोगों के बारे में हैं जो अपनी जन्मभूमि को छोड़कर किसी और देश में, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पराए माहौल और परायी आबोहवा में अपना जीवन बिता रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि तसलीमा ने यह जीवन बहुत नजदीक से जिया हैं। गौरतलब है कि समाज के पितृसत्तात्मक रवैये और कट्टरपंथ के खिलाफ लिखने के कारण बांग्लादेश की सरकार ने उन्हें ने देश निकाला दे दिया था।
अगले सत्र में डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ' के ग़ज़ल संग्रह 'बूँद-बूँद ग़ज़ल' पर बातचीत हुई। डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ' की ग़ज़लें इन अर्थों में विशिष्ट हैं कि इनका शाइर विस्तृत जीवन-अनुभव के साथ-साथ सूक्ष्म निरीक्षण और विश्लेषणात्मक विवेक से परिपूर्ण है। 'लेखक से मिलिए' कार्यक्रम के अगले सत्र में 'मनुष्य होने के संस्मरण : देवी प्रसाद मिश्र की अन्य कथाएँ' पर चर्चा हुई। इस सत्र में लेखक देवी प्रसाद मिश्र से प्रियदर्शन ने बातचीत की। इस दौरान लेखक ने कहा कि इस किताब में कुछ अविष्कृत करने की कोशिश की है जो अमूमन हिंदी किताबो में नही होता'। इसके बाद 'वाया नई सदी' कविता संग्रह पर श्रीप्रकाश शुक्ल से चर्चित कथाकार उमाशंकर चौधरी ने बातचीत की। इस सत्र में श्रीप्रकाश शुक्ल ने अपनी रचना प्रक्रिया भी श्रोताओं से साझा की।
कार्यक्रम के एक अन्य सत्र में पल्लवी त्रिवेदी के यात्रा वृत्तांत 'खुशदेश का सफर' पर कुश वैष्णव ने बातचीत की। पल्लवी की यह किताब चार दोस्तों की भोपाल से भूटान की रोड ट्रिप का वर्णन है। इस बातचीत के दौरान पल्लवी ने कहा कि यात्राएँ हमें पूर्वाग्रहों से मुक्त करती है और हमारा मन का परिष्कार करती है। अगले सत्र में नामवर सिंह की किताब 'तुम्हारा नानू' का लोकार्पण हुआ। इस किताब में नामवर सिंह द्वारा अपनी बेटी समीक्षा ठाकुर को लिखे पत्रों को संकलित किया गया है। ये पत्र नामवर सिंह ने अपनी यात्राओं के दौरान देखे गए स्थलों और अन्य अनुभवों से अपनी बेटी को परिचित कराने के लिए 1986 से 2005 के बीच लिखे थे।
इसके बाद रश्मि गुप्ता के कविता संग्रह 'सिर्फ तुम' का लोकार्पण किया गया। इस दौरान रश्मि गुप्ता ने कहा कि काव्य कवित्व से पूर्ण हो तो वह स्वयं को सन्तुष्टि देती है और पढ़ने वाले के अन्दर संवेदना का संचार करती है साथ ही उसे हर शै को पुनः देखने की एक नई दृष्टि भी देती हैं। आगे उन्होंने कहा कि यह किताब मेरा एक सपना था। मैं पिछले दो साल से इसका इंतजार कर रही थी और जब मुझे पता चला कि इस बार विश्व पुस्तक मेला में मेरी किताब आ रही है तो एक बार के लिए मुझे इस पर भरोसा ही नहीं हुआ था। कार्यक्रम के आखिरी सत्र में अमिताभ बागची की किताब 'हो गई आधी रात' पर धर्मेंद्र सुशांत ने उनसे बातचीत की। मूलरूप से अंग्रेजी में लिखे गए इस उपन्यास का हिंदी में अनुवाद प्रभात रंजन ने किया है।