राष्ट्र तथा राष्ट्रीय हित सर्वोच्च प्राथमिकताः प्रो. ध्रुव चौधरी
शहादत स्मरण कार्यक्रम में कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
रोहतक, गिरीश सैनी। कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित शहादत स्मरण कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जीवन का बलिदान करने वाले वीर सैनिकों को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में भावनात्मक श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। मदवि के टैगोर सभागार में आयोजित कारगिल विजय दिवस समारोह में प्रतिष्ठित वक्ताओं ने कारगिल युद्ध के शहीदों को नम आंखों से स्मरण किया तथा विद्यार्थियों से शहीदों के गौरवशाली योगदान के प्रति कृतज्ञता सोच विकसित करने का आह्वान किया।
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए वीर शहीदों के बलिदान को शत-शत नमन किया। कुलपति ने कहा कि कारगिल युद्ध विषम भौगोलिक परिस्थितियों में लड़ा गया मुश्किल युद्ध था, लेकिन भारत के जांबाज सैनिकों ने दुश्मन राष्ट्र के नापाक इरादों को परास्त कर राष्ट्र को विजयश्री दिलवाई। कुलपति ने कहा कि विद्यार्थियों को भारतीय सशस्त्र सेना के बलिदान तथा राष्ट्रीय योगदान से प्रेरणा लेकर राष्ट्रीय सोच व राष्ट्र भक्ति भावना विकसित करनी चाहिए।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रतिष्ठित चिकित्सा विशेषज्ञ, पं. भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक के डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ध्रुव चौधरी ने भारत की स्वतंत्रता से लेकर वर्तमान समय तक भारतीय सशस्त्र सेना की बलिदानी गौरवशाली परंपरा का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को भारतीय सेना तथा कारगिल युद्ध विजय से ये प्रेरणा लेनी चाहिए कि राष्ट्र तथा राष्ट्रीय हित सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।
प्रो. ध्रुव चौधरी ने सैन्य जीवन से निडरता, आत्मविश्वास, अनुशासन, लक्ष्य के प्रति संकल्पबद्धता, नेतृत्व कौशल सीखने का परामर्श नव प्रवेश-प्राप्त विद्यार्थियों को दिया। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म आदि की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर राष्ट्रीय बोध की शिक्षा भारतीय सेना हमें देती है। उन्होंने कहा कि यदि हम आज अमन-शांति से अपने घरों में सुरक्षित हैं तो इसका श्रेय भारतीय सेना हो जाता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी सामाजिक सरोकारों, राष्ट्रीय सोच के नागरिक बनने का प्रयास करें।
कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कैडट कोर के रोहतक ग्रुप हेडक्वार्टर के ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर हरबीर सिंह ने, जिन्होंने स्वयं 1999 में कारगिल युद्ध में भाग लिया था, कारगिल युद्ध के जीवंत अनुभव साझा किए। उनके लोमहर्षक वृतांत ने कारगिल युद्ध के सामरिक महत्व, भारतीय सैनिकों के अभूतपूर्व प्रयासों तथा सर्वोच्च बलिदान की कथा प्रस्तुत की। ब्रिगेडियर हरबीर सिंह ने कहा कि कारगिल युद्ध ने उनको युद्ध में मौत के डर को परास्त करने का साहस दिया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को भारतीय सेना पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने भारतीय सेना में करियर के महत्व को भी अपने व्याख्यान में रेखांकित किया।
इस कार्यक्रम के संयोजक डीन, स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. रणदीप राणा ने भारतीय सैनिकों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में एटीट्यूड, विशेष रूप से विपरीत परिस्थितियों में अहम भूमिका निभाता है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मदवि की राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम समन्वयिका डॉ. सविता राठी ने स्वागत भाषण दिया। आभार प्रदर्शन यूनिवर्सिटी आउटरीच निदेशिका प्रो. अंजू धीमान ने किया। निदेशिका सीसीपीसी प्रो. दिव्या मल्हान ने आमंत्रित अतिथि ब्रिगेडियर हरबीर सिंह का परिचय दिया। मंच संचालन यूआईईटी की प्राध्यापिका डॉ. कविता ने किया। संगीत विभाग की टीम ने देश भक्ति रस में सराबोर गीतों की प्रस्तुति देकर कारगिल युद्ध शहीदों को संगीतमय श्रद्धांजलि दी। इस टीम में डा. मुकेश वर्मा, डा. अशोक वर्मा, राजीव, रोहित, नरेन्द्र, मनजीत कौर, ईशा पांचाल, सुभाष, अशोक, चांद, चिराग, विशाल शामिल रहे।
कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम के प्रारंभ में कारगिल युद्ध के शहीदों की स्मृति में एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में कारगिल युद्ध से संबंधित डाक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई। एमडीयू के संकाय अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक सहित एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस तथा वाईआरसी वालंटियर्स, संबंधित कार्यक्रम अधिकारी, एमडीयू चार वर्षीय/पंचवर्षीय यूजी पाठ्यक्रम के नव प्रवेश प्राप्त विद्यार्थीगण कार्यक्रम में मौजूद रहे।
मदवि द्वारा आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय इंडक्शन प्रोग्राम के तीसरे दिन शुक्रवार को कारगिल विजय दिवस का कार्यक्रम उपस्थित जन को राष्ट्रभक्ति की भावना से सराबोर कर गया।