दोआबा कालेज में एमर्जिंग पैराडाइमस ईन टीचिंग, लर्निंग और ईवैलुएशन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आरंम्भ
पहले दिन पंजाब, मध्यप्रदेश व जम्मू से तकरीबन 37 प्राध्यापकों ने अपने रिसर्च पेपर पेश किए
जालन्धर: दोआबा कॉलेज के इंटरनल क्वालिटी अशयोरेंस सेल- (आईक्यूएसी) द्वारा दो दिवसीय नैक संपोसंरड राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंम्भ किया गया जिसमें श्री ध्रुव मित्तल- कोशाध्यक्ष- आर्य शिक्षा मण्डल एवं कॉलेज प्रबन्धकिय समिती बतौर मुख्य मेहमान, डा. अरविंद कुमार झा- डीन- बीआर अम्बेदकर यूनीवर्सिटी बतौर मुख्य वक्ता, डा. सुरेश सेठ- मैंबर कॉलेज प्रबन्धकिय समिती बतौर चेयरप्रसन, डा. खुशविंदर कुमार- प्रिं. एमएम मोदी कॉलेज पटियाला, डा. जसपाल सिंह-जम्मू यूनीवर्सिटी व डा. दविन्द्र सिंह जोहल- साईकॉलजी विभाग-जीएनडीयू बतौर पलीनरी स्पीकर उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनन्दन प्रिं. डॉ. नरेश कुमार धीमान, प्रो. संदीप चाहल- सैमीनार कनवीनर एवं आईक्यूएसी कार्डीनेटर, प्रो. कंवलजीत सिंह-सीनीयर मैंबर आईक्यूएसी, डॉ. अविनाश बावा- ऑरगेनाईकिांग सक्रेटरी, प्राध्यापकों और 115 विद्यार्थीयों ने किया।
पहले दिन पंजाब, मध्यप्रदेश व जम्मू से तकरीबन 37 प्राध्यापकों ने अपने रिसर्च पेपर पेश किए तथा 50 डैलीगेटों ने भाग लिया। मुख्य मेहमान श्री ध्रुव मित्तल ने आज के भूगोलिक प्रतिस्प्रधा के दौर में सार्थक टीचिंग लर्निंग व इवैल्यूएशन के महत्व पर चर्चा की। प्रिं. डा. नरेश कुमार धीमान ने कॉलेज के आईक्यूएसी टीम को ऐसा ज्ञानवर्धक व सार्थक सैमीनार रैलेवेंट थीम व सही मौके पर इसका सफल आयोजन करने के लिए बधाई देते हुए सभी वक्तायों व डैलीगेटों का स्वागत किया।
डा. अरविंद कुमार झा ने सैमीनार की थीम पर प्रकाश डालते हुए एमर्जिंग पैराडाइम ईन टीचिंग, लर्निंग और ईवैलुएशन इन हायर एजूकेशन में टीचिंग, लर्निंग और ईवैलूएशन के स्तर में भारत में हो रहे सुधारों तथा बिहेवियरिज्म, कॉगनेटिविकाम व इंडविजूयल के सोशल कल्चरल बैकग्राउँड की महत्ता पर विस्तृत जानकारी दी।
डा. सुरेश सेठ ने वर्तमान शिक्षा तंत्र में आ रही खामियों को उजागर करते हुए कहा कि शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य मानसिक विकास होना चाहिए तथा विद्यार्थीयों को जीवन में सदैव लर्नर व जिज्ञासू बने रहने के लिए प्रेरित किया। डा. अविनाश बावा ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में करवाई जाने वाली विभिन्न सार्थक इनोवेशनस की चर्चा की जोकि इस राष्ट्रीय सैमीनार के थीम से मेल खाती हैं। प्रो. संदीप चाहल ने कहा कि वर्तमान दौर में नैक जब भी किसी उच्च शिक्ष्ण संस्थान में मूल्यांकन करने हेतू पहुँचती है तो उसमें बेस्ट प्रेकटिसिका व आईक्यूएसी का बहुत बड़ा योगदान और रोल होता है जिसके बारे में उन्होंने विस्तारपूर्वक चर्चा की। प्रो. कंवलजीत सिंह ने आईक्यूएसी की भूमिका के बारे में बताया।
डा. खुशविंदर कुमार ने कंस्ट्रक्टीविकाम अपरोच ऑफ टीचिंग लर्निंग पर बोलते हुए इस थियूरी का हाईर एजूकेशन में टीचिंग लरनिंग और ईवैल्यूएशन में इसके महत्त्व पर जानकारी दी।
डा. जसपाल सिंह ने टीचिंग, लर्निंग में इनोवेटिव विचारों को महत्तव देने पर बल दिया तथा उन्होंने अपने जीवन के प्राध्यापन के तीन कालों- स्कूल, कॉलेज व यूनीवर्सिटी टीचिंग में जो बदलाव व कारूरी तौर-तरीके चाहिए का मूल्यांकन करते हुए अपने तकाुरबे को उपस्थिती के साथ बांटा।
डा. दविंदर सिंह जोहल ने समस्याओं को दढृतापूर्वक सामना करने के लिए प्रेरित किया।
प्रिं. डा. नरेश कुमार धीमान, प्रो. संदीप चाहल व डा. अविनाश चन्द्र ने उपस्थित सभी वक्ताओं का सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया। मंच संचालन प्रो. प्रिया चोपड़ा और प्रो. ज्योती ने बखूबी किया।