दोआबा कालेज में "महर्षि दयानन्द और नवभारत का निर्माण" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजित
दोआबा कालेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और स्टूडैंट कांऊसिल द्वारा महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के अवसर पर दोआबा कालेज में "महर्षि दयानन्द और नवभारत का निर्माण" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी बतौर विशेष वक्ता चन्द्र मोहन- प्रधान आर्य शिक्षा मण्डल एवं कालेज प्रबन्धकीय समिति बतौर समारोह अध्यक्ष, ध्रुव मित्तल-कोषाध्यक्ष बतौर विशेष मेहमान उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनन्दन प्रि. डॉ. प्रदीप भण्डारी, प्रो. सुरजीत कौर, प्रो. सोनिया कारला, डॉ. सिमरन सिद्धू-संयोजकों, प्राध्यापकों व विद्यार्थियों ने किया ।
जालन्धर, 14 मार्च, 2024: दोआबा कालेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और स्टूडैंट कांऊसिल द्वारा महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के अवसर पर दोआबा कालेज में "महर्षि दयानन्द और नवभारत का निर्माण" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी बतौर विशेष वक्ता चन्द्र मोहन- प्रधान आर्य शिक्षा मण्डल एवं कालेज प्रबन्धकीय समिति बतौर समारोह अध्यक्ष, ध्रुव मित्तल-कोषाध्यक्ष बतौर विशेष मेहमान उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनन्दन प्रि. डॉ. प्रदीप भण्डारी, प्रो. सुरजीत कौर, प्रो. सोनिया कारला, डॉ. सिमरन सिद्धू-संयोजकों, प्राध्यापकों व विद्यार्थियों ने किया ।
प्रिं. डा प्रदीप भंडारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि अंग्रेजो के शासन को बेशक सुराज माना जाता रहा हो परंतु महर्षि दयानंद सरस्वती ने सुराज की जगह स्वराज पर हमेशा बल दिया । उन्होंने कहा कि हमारे देश के बहुत सारे स्वतंत्रा सेनानियों ने भी आर्य समाज और स्वामी दयानंद सरस्वती जी के विचारों को अपना कर आत्मविश्वास हासिल किया और देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना बहुमूल्य योगदान दिया । डॉ. भण्डारी ने कहा कि आज भी उनके विचार भारत के समक्ष चुनोतियाँ देने वाले जातिवाद और असहिष्णुता के खात्म के लिए उतने ही कारगर है ।
आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने अपने सम्बोधन में विशेष तौर पर युवा छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें शारीरिक उन्नति पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए जिसके लिए सात्विक और पौष्टिक आहार के साथ-साथ ब्रह्मचर्य का पालन भी करना चाहिए । उन्होंने कहा कि युवाओं का विकास सिर्फ शारीरिक विकास तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उन्हें अपने मानसिक बल के विकास के लिए भी काम करना चाहिए, जिससे उनका मनोबल बढ़ेगा । मानसिक और आत्मिक बल बढ़ाने के लिए ज्ञान, स्वाथ्य और ईश्वर की उपासना अहम भूमिका निभाती है, और इसी से भारत का नवनिर्माण होगा । धर्म के विषय पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि परमात्मा एक है इसलिए इस विश्व का एक ही धर्म है । वेदों को जीवन का आधार बनाते हुए उन्होंने कई विषयों को छुआ जैसे कि वर्णव्यवस्था, जातिवाद, बालिकाओं की शिक्षा आदि।
ध्रुव मित्तल ने कहा कि समाज में बहुत सारी कुरीतियो को आर्य समाज ने जड़ से खत्म करने का प्रयास किया है पर अभी भी हमारे समाज में अंधविश्वास मौजूद है । इस अंधविश्वास को समाप्त करने की जरूरत है नहीं तो हम पतन की तरफ चले जाएंगे ।
चन्द्रमोहन ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती थे तो हम हैं । उनकी शिक्षाएं ही थी, जिनके कारण महिला शिक्षा को बढ़ावा मिला और देश इतनी तरक्की कर पाया । उनके अनुसार आज देश की राजनीति में सीटों का बंटवारा धर्म के आधार पर होता है और ऐसे में किसी एक व्यक्ति पर अन्धविश्वास देश के लिए घातक है । हमें अपने मूल्यों का ध्यान रखते हुए अपने भविष्य के प्रति सोचने के लिए प्रयत्न करना चाहिए । उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्रांति को भविष्य के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पंजाब को इस दिशा में आगे बढ़ने की ज़रूरत है ।
इस मौके पर कुंदल लाल अग्रवाल- सदस्य मैनेजमैंट कमेटी, प्राध्यापकगण और विद्यार्थी मौजूद थे।