जीएनडीयू, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा राष्ट्रीय वेब-संवाद का आयोजन

जीएनडीयू, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा राष्ट्रीय वेब-संवाद का आयोजन

अमृतसर, 6 फरवरी, 2025:गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा अखिल भारतीय साहित्य परिषद, नयी दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब-संवाद 'हिंदी भाषा और साहित्य: केरल का अवदान' का आयोजन किया गया। इस वेब-संवाद में केरल विश्वविद्यालय, तिरुवनंतपुरम के हिंदी-विभाग की अध्यक्ष डॉ. एस. आर. जयश्री ने बतौर मुख्य वक्ता अपना सारगर्भित, रचनात्मक एवं संदेशपरक व्याख्यान दिया।

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के संयोजक व हिंदी-विभाग के अध्यक्ष एवं डीन,भाषा संकाय प्रोफ़ेसर सुनील ने मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए कहा कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के यशस्वी उप-कुलपति प्रो.(डॉ.) करमजीत सिंह के कुशल नेतृत्व व प्रेरणा से इस राष्ट्रीय वेब-संवाद का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि अब हिंदी ग्लोबल हिंदी है। पूरे भारत के एकीकरण व सामासिक संस्कृति के निर्माण में हिंदी की अनूठी भूमिका है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं को साथ लेकर चलती है और भारतीय भाषाओं की समृद्धि में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है। आज समस्त विश्व एक अनोखी ललक के साथ हिंदी की ओर देख रहा है तथा हिंदी का भविष्य बेहद उज्ज्वल है। हिंदी नई प्रोद्योगिकी के रथ पर सवार होकर निरंतर आगे बढ़ रही है। ए.आई. के क्षेत्र में भी हिंदी विश्व के साथ कदमताल करते हुए अपना परचम लहरा रही है।

प्रोफ़ेसर सुनील ने बताया कि जीएनडीयू के हिंदी-विभाग द्वारा भारतवर्ष के सभी प्रांतों में हिंदी की स्थिति को लेकर एक विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जाएगा। अहिंदी भाषी होते हुए भी हिंदी की समृद्धि में पंजाब प्रदेश का बड़ा योगदान है जिसके लिए हिंदी साहित्य सदैव पंजाब का ऋणी रहेगा। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का यह कारगर कदम भारतीय भाषाओं के बीच तालमेल को बढ़ावा देगा‌ और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की संकल्पना को साकार करेगा। 

प्रो. एस.आर. जयश्री ने अपने व्याख्यान में हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्धि में केरल के योगदान को बखूबी रेखांकित किया। उन्होंने हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में निरंतर हो रहे हिंदी-लेखन की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के अधिकांश सदस्यों ने एक स्वर में हिंदी को राष्ट्रभाषा और देवनागरी को लिपि के रूप में स्वीकार किया था‌। बड़ी संख्या में केरल से हिंदी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है।आज केरला में मलयालम से हिंदी अनुवाद बहुत अधिक मात्रा में हो रहा है।कोचीन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा मलयालम के प्राचीन ग्रंथो का हिंदी अनुवाद किया गया है।भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने अहिंदी क्षेत्र की रचनाओं को पुरस्कृत करने की योजना बनाई। जिसमे केरल के कई रचनाकारों को यह पुरस्कार मिल चुका है। 20 वीं सदी के दूसरे चरण में केरल में हिंदी का प्रचार को बल मिला। केरल के हिंदी साहित्यकारों की एक लंबी सूची है जिनका हिंदी भाषा व साहित्य के विकास में विशिष्ट योगदान है।

इस अवसर पर जीएनडीयू के विभिन्न विभागों, अधीनस्थ महाविद्यालयों के अध्यापकों सहित सहित हिंदी विभाग के सभी अध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। देश के विभिन्न हिस्सों से भी बड़ी संख्या में प्रतिभागी जुड़े।