बाढ़ जैसी आपदाओं को रोकने के उपाय नदारद

कुछ मुसीबतें अचानक से आती हैं तो कुछ प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सरकार, स्थानीय प्रशासन और आम नागरिकों को पहले से ही जानकारी होती है, या चेतावनी जारी कर दी जाती है, फिर भी साल दर साल प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं जैसे कि बाढ़। 

बाढ़ जैसी आपदाओं को रोकने के उपाय नदारद

कुछ मुसीबतें अचानक से आती हैं तो कुछ प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सरकार, स्थानीय प्रशासन और आम नागरिकों को पहले से ही जानकारी होती है, या चेतावनी जारी कर दी जाती है, फिर भी साल दर साल प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं जैसे कि बाढ़। पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य, असम हर साल भयानक बारिश और बेइंतहा बाढ़ की त्रासदी झेलता है। मानसून के दिनों में बाढ़ा आएगी, यह बात सबको पता होती है। बरसों से ऐसा होता आया है। बाढ़ भी इतनी भयावह होती है जिसमें राहत सामग्री पहुंचाना भी एक बड़ी समस्या बन जाती है। लाखों लोग बेघर हो जाते हैं, परेशान हो जाते हैं, क्योंकि हर बार उनका सब कुछ बर्बाद हो चुका होता है। मकान पानी में डूब जाते हैं, जैसा कि इस बार हो रहा है। असम राज्य के 28 जिलों में बाढ़ का कहर जारी है, जिसमें सिलचर जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां एक लाख से अधिक लोग अपने मकानों की दूसरी या तीसरी मंजिल पर, या छतों पर फंसे हुए हैं, क्योंकि नीचे की मंजिल बाढ़ के पानी में पूरी तरह से डूबी हुई हैं। चोर उचक्के नावों में बैठ कर आते हैं और बंद दुकानों व मकानों को लूट कर भाग जाते हैं।
 
असम में भारतीय वायुसेना बाढ़ राहत के तहत बाढ़ प्रभावित इलाकों में नागरिकों को जरूरी मदद पहुंचा रही है, लेकिन खाने के पैकेट और पानी की बोतलें कम पड़ जा रही हैं। वायु सेना जितनी वॉटर बोटल व फूड पैकेट हेलीकॉप्टरों से नीचे गिरा रही है, उसे कहीं ज्यादा की जरूरत है। लोगों को राहत सामग्री ठीक से मुहैया नहीं हो पा रही हैं और लोग कह रहे हैं कि क्षेत्र में कालाबाजारी चरम पर है। वहां पानी की एक बोतल 500 रुपए में मिल रही है, तो साधारण सी मोमबत्ती भी 50 रुपए में मिल रही है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बिजली नहीं आती है इसलिए रात के अंधेरे में मोमबत्ती ही लोगों का सहारा बनती है। जब बाढ़ की त्रासदी हर साल आती ही आती है, सबको पता है, तो इसके लिए कुछ दूरगामी योजनाओं पर काम क्यों नहीं किया जाता है? राज्य सरकार को भी इस बारे में सोचना चाहिए और केंद्र सरकार को भी। ताकि वहां के नागरिकों को हर साल बर्बादी का शिकार न होना पड़े।
 
कुछ ऐसा ही हाल उत्तराखंड का है जहां चार धाम यात्रा अपने पूरे चरम पर है, लेकिन जो ऑल वेदर रोड इस यात्रा के लिए बनाया गया है, उसमें कुछ खामियां पाई गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मलबे में कई जलस्रोत दबे रह गए। उन जल स्रोतों के नीचे दब जाने की वजह से चट्टानों में रिस रिस कर पानी अंदर पहुंच रहा है जिससे चट्टानों के खिसक कर नीचे गिरने का खतरा बना हुआ है। अब आप ही सोचिए कि रोड पर नीचे जो गाड़ियां जा रही है, कारें जा रही हैं, बसें जा रही हैं, या कहें कि जो भी वाहन जा रहे हैं वे खतरे में हैं। ऊपर से चट्टानें कभी भी गिर सकती हैं और कभी भी कई बड़े हादसे हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने इस खतरे के बारे में राज्य सरकार को आगाह कर दिया है। वैज्ञानिकों को इस बारे में काफी कुछ पता है। लगता है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता, तब तक सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा।
 
अगले दो-तीन दिनों के लिए मौसम विभाग ने उत्तराखंड में बारिश को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया है, क्योंकि वहां भारी बारिश और तूफान आने की आशंका है। इसीलिए दो-तीन दिनों तक के लिए चार धाम यात्रा पर जाने वालों को रोका जा रहा है। आगे जाने के लिए उन्हें मना किया जा रहा है और चेतावनी दी जा रही है कि चारधाम यात्रा वाले मार्ग पर आगे ना बढ़ें। उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश और तूफान का अलर्ट जारी कर दिया गया है। पूरे प्रदेश में भारी बारिश, भूस्खलन, पत्थर गिरने, सड़कें ब्लॉक होने, तथा बिजली आपूर्ति बंद हो जाने जैसी घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। राज्य में मानसून का आगमन हो चुका है और उम्मीद की जा रही है कि 27 जून से हिमाचल प्रदेश में मानसून पूरी तरीके से सक्रिय हो जाएगा। इसलिए लोगों को सावधान रहने को कहा गया है।
 
मनोरंजन जगत में छोटे बच्चों को एक्टिंग और शूटिंग में उनकी मौजूदगी को लेकर अभी तक कोई खास नियम कायदे नहीं थे, जिससे बच्चों को कई तरह की असुविधाएं और परेशानियां होती थीं। उन्हें मानसिक तनाव होने लगता था। इसके लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने एक मसौदा पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि टीवी और फिल्मों की शूटिंग में छोटे बच्चों से 27 दिनों से अधिक काम नहीं कराना चाहिए और उनकी आमदनी का 20 प्रतिशत हिस्सा फिक्स डिपाजिट खाते में जमा करा देना चाहिए। नाबालिक बच्चे जो टीवी, फिल्म या रियलिटी शोज में एक्टिंग कर रहे हैं, भाग ले रहे हैं, या किसी भी मनोरंजन शो में भाग ले रहे हैं और शूटिंग का हिस्सा हैं तो अक्सर उनका स्कूल छूट जाता है, पढ़ाई छूट जाती है। ऐसे बच्चों को निजी ट्यूटर लगाकर उनकी पढ़ाई कराने की चिंता होनी चाहिए।
 
शूटिंग स्पॉट पर नाबालिग बच्चों को सुरक्षित वातावरण देना होगा। बच्चों को सुरक्षित माहौल देना होगा। उन्हें किसी तरह का शारीरिक खतरा नहीं होना चाहिए। वयस्क कलाकारों के साथ उनका मेकअप रूम या चेंज रूम शेयर नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों को धूम्रपान, शराब अथवा किसी अपराध में लिप्त नहीं दिखाया जा सकता। जो लोग इन नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनके लिए जुर्माना और कारावास दोनों ही तरह के दंड का प्रावधान किया गया है। साथ ही, निर्माताओं को जहां शूटिंग होनी है वहां के जिला मजिस्ट्रेट से शूटिंग में बच्चों को शामिल करने की अनुमति लेनी होगी। उसे मजिस्ट्रेट के सामने यह बयान भी पेश करना होगा कि बच्चे के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार या शोषण नहीं हुआ है। शूटिंग शुरू होने से पहले, ऐसे बच्चों के लिए उठाए जाने वाले एहतियाती कदमों की पूरी जानकारी भी निर्माता को जिला प्रशासन को लिखित में देनी होगी।

(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार एवं कॉलमिस्ट हैं)