समाचार विश्लेषण/ किस्मत का खेल
इक दिन घोड़ा, इक दिन हाथी, इक दिन जेल ...
-*कमलेश भारतीय
यह भी बहुत मशहूर गीत है और संतोषानंद के मुख से ही ऐन सामने बैठकर हिसार के जिमखाना क्लब में सुनने का अवसर मिला था ।
इक दिन घोड़ा, इक दिन हाथी
इक दिन पैदल जाना है ...
कांग्रेस नेता , काॅमेडियन , क्रिकेटर और एक विवादास्पद व्यक्ति रहे नवजोत सिंह सिद्धू कहां तो पटियाला में हाथी पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे और कहां सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ एक साल की जेल की सजा सुना रहा था । है न अजब गजब किस्मत का खेल ? इक दिन घोड़ा, इक दिन हाथी और इक दिन जेल जाना पड़ गया ।
नवजोत सिद्धू पटियाला में ही पले बढ़े और नवजोत कौर को पसंद करने लगे । कपिल शर्मा शो में बताया था कि कैसे उसके मेडिकल कॉलेज के बाहर दीदार के लिए खड़े रहते थे । क्रिकेट में एक ओपनर के रूप में जगह मिली पर ज्यादा सफल नहीं रहे । विवादास्पद हुए कि पटियाला में एक वृद्ध व्यक्ति गुमनाम सिंह से ट्रैफिक में उलझ पड़े । बात बढ़ी तो सिद्धू ने इन्हें मुक्का जड़ दिया । अस्पताल ले जाया गया लेकिन मृत्यु हो गयी । यह केस सन् 1988 का है यानी पूरे 34 साल पहले की बात है । दो तीन बार मामला इधर उधर हुआ लेकिन आखिरकार नवजोत सिद्धू को एक साल की जेल की सज़ा सुनाई और वह भी बिना इनकी कोई सुनवाई के , सीधे जेल भेज दिया गया नवजोत ने सरेंडर किया और पटियाला की जेल में दस नम्बर बैरक में डाल दिया गया, जहां पहले से ही पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया भी हैं । यह भी अजब गजब । धुर विरोधी अब एक साथ बातें कर अपना समय बितायेंगे ।
बीच के बरसों में नवजोत भाजपा में शामिल हो गये , अमृतसर से सांसद बने । बिग बाॅस के घर भी गये और कपिल शर्मा शो में भी जज की कुर्सी संभाले रखी और 'गुरु ! ठोको ताली तकियाकलाम' से जाने गये । भाजपा छोड़कर कभी आप के अरविंद केजरीवाल के नाश्ते पर दिखे तो कभी कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ दिखे । बात बन गयी । कांग्रेस में आ गये । अमृतसर से चुनाव लड़ा , जीते , कैप्टन अमरेंद्र सिंह के घुटने छूकर मंत्री बन गये पर मन अंदर से खुश नहीं था । मन में मुख्यमंत्री का सपना कुलबुलाता रहता । वैसे इमरान खान की दोस्ती भी इन्हें विवादों में लाती रही और पाकिस्तान के सैन्याथ्यक्ष बाजवा से जादू की जफ्फी ने भी खूब विवाद में रखा । मंत्री पद रास न आया । इस्तीफा दे दिया । चलते चलते विधायक इकट्ठे किये और हाईकमान तक पहुंचे और कैप्टन का तख्ता पलटने में तो कामयाब हो गये लेकिन कुर्सी चन्नी के हाथ लगी । फिर खफा के खफा । विधानसभा चुनाव दोनों हारे चन्नी भी और नवजोत भी । फिर जाते जाते अध्यक्ष पद की कुर्सी भी छिन गयी और अब सारी कसर निकल गयी जब 34 साथ बाद जेल की हवा खानी पड़ गयी । गुरु , अब तो ताली ठोकने को कहना भी बहुत बुरा लग रहा है । बहुत सहानुभूति भी है लेकिन अपने बड़बोलेपन और जल्द टेंपर लूज करने से इन हालातों तक पहुंचे हैं नवजोत सिद्धू । दुख है दिन का यह फेर देखकर ...
इक दिन घोड़ा
इक दिन हाथी
इक दिन ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष,हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।