शिक्षा पद्धति में जरूरत है ऐसे सुधारों की जो इंसान बनाये, मशीनें नहीं: श्रुति मेहता 

शिक्षा पद्धति में जरूरत है ऐसे सुधारों की जो इंसान बनाये, मशीनें नहीं: श्रुति मेहता 
श्रुति मेहता।

-कमलेश भारतीय 
शिक्षा पद्धति में जरूरत है ऐसे सुधारों को जो इंसान बनाये, मशीनें नहीं । इससे बच्चों में भावनात्मकता शून्यता भी पैदा हो रही है । शिक्षा अपने असली उद्देश्य से बहुत दूर आ गयी है यानी भटक चुकी है । यह कहना है डाॅ श्रुति मेहता का , जो पी एल ए में स्थित करियर मेकर व एस्पायरिंग करियर की संचालिका हैं । 
मूल रूप से सफीदों की निवासी श्रुति मेहता ने बी टेक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से की और इसी दौरान सहपाठी पीयूष मेहता से परिचित हुई और दोनों का एक ही लक्ष्य बन गया बच्चों के भविष्य को सही राह दिखाना ।  इस तरह वे हिसार आ गयीं । इसके बाद श्रुति ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय से प्रो सविता उबा के निर्देशन में मैनेजमेंट में पीएचडी की ।
 

-आपकी निर्देशक प्रो सविता उब्बा से क्या सीखा ?
-बहुत अच्छी शिक्षक हैं । आज भी मेरे उनसे  स्नेसपूर्ण सबंध हैं । जब भी कभी कोई समस्या होती है तो उन्हीं को फोन मिला देती हूं । वे बहुत ही दोस्ताना हैं अपने छात्रों के साथ ।
-काॅलेज के दिनों में क्या शौक रहे ?
-भाषण प्रतियोगिता और वाद विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेती थी ।
-आपके शौक ?
-प्राब्ल्म साल्विंग । समस्या से निपटने में मज़ा आता है । नयी चीज़ों के बारे में सीखना अच्छा लगता है ।
-कितने बच्चे हैं आपके ?
-दो । बेटा ओजस्व सात साल का और बेटी अजीजा डेढ़ साल की ।
-पहली जाॅब ?
-कुछ समय बैंकिंग में रही । उसके बाद सीबीएसई , शिक्षा सदन नई दिल्ली के साथ मास्टर ट्रेनर के तौर पर जुड़ीं । इसमें टीचर्ज व प्रिंसिपल्ज को परीक्षाओं , नयी शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की प्रतिभा को निखारने संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता था । फिर होली एंजल स्कूल और फिर प्रेसीडियम स्कूल में अकेडेमिक हैड के तौर पर काम किया।
-फिर ?
- उसके बाद बच्चों के लिए बड़े स्केल पर काम करने के लिए करियर मेकर व एस्पायरिंग करियर से जुड़ गई।
इन दोनों से जुड़े ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म प्रेप लाइव और प्रेप लाइव ग्लोबल का भी संचालन किया
-आप पिछले कुछ वर्षों से शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हैं तो शिक्षा का क्या रूप सामने आ रहा है ?
-शिक्षा अपने असली उद्देश्य से भटक गयी है । छात्रों को भी नहीं पता कि वे क्यों पढ़ रहे हैं । इससे क्या मिलने वाला है । भेड़चाल में जी रहे हों जैसे । सिर्फ अंक पाने की भेड़चाल ।  
-फिर क्या होना चाहिए ?
-करियर काउंसिलिंग ।
बच्चों को यह समझ आना बहुत जरूरी है कि वह आखिरकार करना क्या चाहते हैं। अंक पाने की अंधी दौड़ खत्म होनी चाहिए। इसमें करियर काउंसलिंग का बड़ा रोल है। बच्चों को एक गाइड या मैंटोर की जरूरत होती है जो उन्हें सही राह दिखाता है और इससे बच्चे इंसान बनेंगे मशीनें नहीं।
हमारी शुभकामनाएं डाॅ श्रुति मेहता को ।