नारी दिवस पर विशेष/पराया धन नहीं है नारी/नेहा सहगल द्वारा
आज 8 मार्च जो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।इस दिन मेरा एक सवाल आप सब से है कि सिर्फ आज ही का दिन महिलाओ को सम्मान देना काफी है? सिर्फ एक ही दिन से हम समाज की सोच को नहीं बदल सकते। कोई भी नारी ये नहीं चाहेगी कि 9 मार्च से सब फिर से पहले की सोच की तरह अपना रूप बदल ले ।
वैसे तो आज के समय में लड़किया समाज की सोच से लड़कर खुद आगे बढ़ने में बहुत साहस दिखा रही है लेकिन बहुत से लोग ऐसे है जिनकी सोच में नारी आज भी कमज़ोर है। ज़्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी अगर उनको देखने की कोशिश करे जो कहते है -'आप के घर सिर्फ लड़किया ही है , लड़कियों की शादी के लिए क़र्ज़ लेना पड़ेगा किसी विवाहित लड़की को आशीर्वाद में सिर्फ यही कहते है कि भगवान् आप को लड़का दे ,आप को अपनी बेटी का बोझ उठाना पड़ेगा अगर वो ससुराल से वापिस आ गई,लड़किया पराया धन है। ' ऐसा बोलने वालो को हमे बताने का हक़ है कि नारी पराया नहीं अपना धन है। वो एक पिंजरे में बंद हो कर नहीं बल्कि पंख फैला कर उड़ना चाहती है ।
नारी सिर्फ घर बनाना ही नहीं घर चलाना भी जानती है। एक नारी ही है जो वंश को आगे भी बढ़ाती है और साथ में सुनती है वो पराई है। जब तक उसकी शादी न हो तब वो सुनती है कि उसे यहाँ से जाना है और जब शादी हो जाये तब सुनती है कि वो दूसरे घर से आई है। क्या वो सबके लिए परायी है ? कोई उसका अपना नहीं ।
भक्ति में या शक्ति में ,
जीवन के हर मोड़ में होती सब पे भारी ।।
पढ़ाई में या नौकरी में
किसी भी जंग में कभी न ये हारी ।।
पराया इसने सुन लिया अब है अपनाने की बारी ।।
है यही है, यही है आज की नारी ।।
अगर हम सच में नारी शक्ति का सम्मान करते है तो न ही नारी को कमज़ोर समझना चाहिए बल्कि उसको समझने की कोशिश करनी चाहिए। नारी को मंदिर में ही पूजना काफी नहीं , उसे घर में और समाज में आदर देना होगा जिससे उसकी ख़ुशी हज़ारो गुना बढ़ जाती है। वो जैसी भी दिखती है, उसे किसी के लिए खुद को बदलने की ज़रूरत नहीं है , उसे ऐसे ही चहकने दो ।