समाचार विश्लेषण/हठ यानी मैया मैं चांद खिलौना लेहूं
-*कमलेश भारतीय
जब साहित्य पढ़ता लिखता और पढाता था तब महाकवि सूरदास के एक पद में बहुत रस आता-
मैया मैं चांद खिलौना लेहूं ,,,,
ऐसे ही दूसरा पद-
मैया , कबहूं बढ़ेगी मेरी छोटी
इत्ती बार मोहि दून पिवत भई
यह अबहूं है छोटी ,,,
आज जब किसान आंदोलन पर सोचता हूं तो ये पद स्मरण हो आते हैं । वैसे भी तीन तरह के हठ दुनिया में मशहूर हैं -बाल हठ, तिरिया हठ और राजहठ ।
बाल हठ तो आपने महाकवि सूरदास के पदों से जान लिया और तिरिया हठ के लिए कैकेयी को याद नहीं करोगे ? जिसने अपने तिरिया हठ से रामायण की रचना करवा दी और महाराज दशरथ को असमय ही मरने जैसी स्थिति में पहुंचा दिया । क्या इससे बड़ा तिरिया हठ कोई और है ?
अब आते हैं राजहठ पर । हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो तीन साल पहले ही प्रधानमंत्री बन कर लाल किले पर तिरंगा फहराने का हठ ऐसा लगा कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते ही पंद्रह अगस्त को मंच की पृष्ठभूमि में लाल किले का बड़ा बैनर लगवाया था । फिर अपने गुरु लाल कृषण आडवाणी को संन्यास पर भेज कर प्रधानमंत्री पद तक की यात्रा तय की और लाल किले पर सचमुच तिरंगा फहराने का अवसर पाया ।
सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था और मोदी है तो मुमकिन है , की आवाज़ सुनने को मिल रही थी । नोटबंदी की और वाहवाही लूटी । गरीबों ने समझा अमीर उनके साथ बैंक की कतारों में लगे तो क्रांति हो गयी । पर नोटबंदी से देश में कोई क्रांति नहीं आई । अब ऐसा चित्र सामने आया जिसमें मोदी जी महात्मा गांधी बनने जैसा सपना पाल कर चरखा कातते दिखाई दिये और ऐसे भी सपने देखे कि नोटों पर उनकी फोटो आ जाये लेकिन यह सपना अभी बाकी है । फिर यह भी विधानसभा चुनाव में नारा उछलने लगा कि मोदी ही चेहरा है और यह भ्रम भी टूट गया पश्चिमी बंगाल में जब लोगों ने कहा कि ममता बनर्जी ही हमारा चेहरा है । अब उत्तरप्रदेश में मोदी व योगी जी अयोध्या में चुनाव वाली दीवाली मनाने जा रहे हैं यानी अब एक बार फिर राम जी चेहरा होंगे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का । यानी अब राम जी हैं तो मुमकिन है । मोदी और योगी तो चेहरे पीछे ले गये हैं और आडवाणी जी का चेहरा सदा के लिए गायब हो गया है ।
अब मोदी जी राजहठ का अनुपम उदाहरण बनते जा रहे हैं । कृषि कानूनों को लेकर उन्होंने जो रवैया अपना रखा है उसे राजहठ ही कहा/माना जायेगा । किसानों को उनके हाल पर छोड़ रखा है और किसान भी कह रहे हैं कि हम भी देखेंगे किसमें कितना है दम,,,न धरना खत्म हो रहा है और न उनकी सुनवाई हो रही है । पहले दिल्ली के आसपास धरने चलते रहे । अब हमारी हरियाणा सरकार की कारगुजारी से यह धरना करनाल शिफ्ट हो गया है । यहां भी सरकार हो या इसके उच्चाधिकारी राजहठ में इनकी बात नहीं सुन रहे और लाठीचार्ज करने के आदेश देने वाले एसडीएम पर कोई कार्यवाही करने की बजाय जांच करने का झांसे दे रहे हैं और जांच तो कब तक करता रहो । कोई हल नहीं निकलेगा । फिर राजहठ कब तक चलेगा ?
किसानों का जवाब है जब तक चलेगा तब तक सही , हम भी उठने वाले नहीं ,,,यह डैडलाॅक कौन खत्म करेगा और कब खत्म होगा ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।