समाचार विश्लेषण/किसकी जीत, किसकी हार?
-*कमलेश भारतीय
महाराष्ट्र सरकार का संकट अभी बरकरार है । रोज यह सोचकर ही सोता हूं कि कल तक यह सरकार गिर जाने की खबर सुबह के अखबार में पढ़ूंगा पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ही अभी मुख्यमंत्री हैं । देवेंद्र फडणबीस की व्याकुलता बढ़ती जा रही है । नींद न उद्धव ठाकरे को आती होगी और न ही देवेंद्र फडणबीस को । गुवाहाटी बैठे विधेयकों को भी नींद कहां आती होगी ? सभी चाहते हैं कि जल्द फैसला हो और वे अपने अपने परिवारों के बीच लौट सकें । इधर महामहिम राज्यपाल कोरोना ग्रस्त हो गये हैं , जिससे यह खेल कुछ दिन और चलेगा । संजय राउत और शरद पवार कह रहे हैं कि फैसला विधानसभा के फ्लोर पर ही होगा यानी अविश्वास प्रस्ताव लाइए और देख लीजिए कि नम्बर किसके पास ज्यादा हैं । जैसे ताश के पत्ते शो किये जाते हैं , ऐसे शो कीजिए अपने अपने पत्ते । तब जाकर यह मसला हल हो पायेगा । संजय राउत यह भी आरोप लगा रहे हैं कि शरद पवार जैसे नेता को अपशब्द कहे जा रहे हैं । हम इसे सहन नहीं करेंगे । कोई इसे राष्ट्रपति चुनाव से भी जोड़कर देख रहा है । क्या राष्ट्रपति चुनाव तक यह नाटक खींचेगा ? एनसीपी और कांग्रेस अपने अपने विधायकों को संभालने में लगी हैं ।
यह दलबदल , विधायकों को वाया सूरत गुवाहाटी ले जाना , अब आम खेल हो चुका है । विधायकों की खरीदो फरोख्त खुली मंडी जैसा दृश्य प्रस्तुत करने लगी है । आखिर कहां तक गिरते जायेगे हम ? कोई मर्यादा , कोई नैतिकता , कोई दीन ओ अमान,,,,सब ताक पर रख कर दलबदल होती है । आत्मा तो घर की किसी तिजोरी में बंद करके रख दी और सशरीर गुवाहाटी पहुंच गये । एकदम से इतने विधायक नाराज हो गये ? सब अचानक से कैसे हो जाता है ? सोचने की बात है । वैसे कितनी पिछड़ी बातें कर रहा हूं न ? जैट के जमाने में बैलगाड़ी पर सवार हूं न मैं ? अब कौन विधायक इतना सोचे ? एक ही डील में अगर सात पीढ़ियों का प्रबंध हो जाये तो इससे बड़ी डील फिर कौन सी मिलेगी ? और बार बार तो यह डील मिलेगी नहीं । सो बहती गंगा में हाथ धो लेने दो , भाई । क्यों हमारी आत्मा की खोज कर रहे हो ? वह तीन हम तिजोरी में अच्छे से बंद करके आए हैं । आपके ढूंढने पर भी न मिलेगी ।
महाराष्ट्र सरकार के गिरने का इंतजार कीजिए । सांसें रोककर । मेरी तरह । इतना तो तय है कि पट भी उनकी , चट भी उनकी । हां , कहीं डिप्टी स्पीकर एकनाथ शिंदे को ही अयोग्य घोषित कर दे तो सोचिये कितना बबाल मचेगा ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।