समाचार विश्लेषण/सोच: नोट बदलेंगे या देश?
-*कमलेश भारतीय
सन् 2014 से एक गाना काॅलर ट्यून तक बना हुआ है -मेरा देश बदल रहा है ,,,,मेरा देश ! अब यह समझ नहीं आ रही कि देश बदल रहा है या नोट बदल रहा है ! पहले भी नोटबंदी हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ नवम्बर को रात आठ बजे टीवी चैनलों पर आये और नोटबंदी की घोषणा की यानी नोट बदलने की आधिकारिक घोषणा ! एक हजार के बदले दो हजार का नोट चलाया । यह कहते हुए कि इससे आतंकवाद और कालाबाजार और भ्रष्टाचार की कमर तोड़कर रख देंगे लेकिन आम आदमी को लम्बी लम्बी लाइनों में खड़े होकर नोट बदलवाने के सिवा कुछ न मिला । आतंकवादियों ने फटाफट नये नोट कैसे पा लिये ? यह कोई नहीं जानता लेकिन आतंकवाद की कमर भी नहीं टूटी ! आतंकवाद जस का तस रहा । आम आदमी जरूर गलतफहमी में रहा कि अमीर लोग उसके साथ कतारों में खड़े होकर नोट बदलवाने आयेंगे । इस खुशी में कतारों में लगे सैकड़ो लोगों की जानें जरूर चली गयीं । राहुल गांधी ने कुर्ते की फटी जेब दिखाकर , बैंक की लम्बी लाइन में लग कर विरोध जताया । पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्री ने भी इस नोटबंदी की सराहना नहीं की ।
अब एक बार फिर छोटी सी नोटबंदी । अब आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिये लाये गये लाडले दो हजार के गुलाबी नोट से मोहभंग हो गया और इसका चलन बंद करने की घोषणा कर दी ! कहते हैं कि इसके पीछे कर्नाटक में मिली पराजय है । डीके शिवकुमार जैसे चुनाव प्रबंधकों के नोट चलन से बाहर कर विपक्ष की कमर फिर से तोड़ने की कोशिश की जा रही है । हो सकता है यह अफवाह ही हो लेकिन इससे कम से कम कर्नाटक की हार की चर्चा छोड़कर लोग नोटबंदी की चर्चा करने लगे हैं यानी चर्चा का विषय अब कर्नाटक की हार नहीं दो हजार रुपये का चलन से बाहर होना हो गया है । यह बहुत बड़ी सफलता कही जा सकती है ।
बाकी तो देश कितना और कैसे बदल रहा है , सबके सामने है । देश के लिये पदक लाने वाली बेटियां जंतर-मंतर पर धरने पर बैठी हैं । इनकी कोई सुनवाई नहीं ! बृजभूषण शरण सिंह चुनौतियां दे रहा है कि नार्को टेस्ट के लिये तैयार बशर्ते कि विनेश और साक्षी का भी नार्को टेस्ट हो । इन दोनों महिला पहलवानों ने चुनौती स्वीकार की है और मांग की है कि टेस्ट लाइव होना चाहिये ! यानी कुश्ती संघ चुनौतियों के दंगल में बदलता जा रहा है और आप बस नोट बदल कर चुप हैं ! रसोई गैस सिलेंडर की रीफिल लगभग बारह सौ के निकट पहुंच गयी और आप चुप हैं ! पहले सब्सिडी दे रहे थे और अब सब्सिडी भी खत्म ! देश बदल रहा है ! अडाणी की बात न करे कोई इसलिये संसद से बाहर का रास्ता दिखाया गया ! देश बदल रहा है भाई ! रिवाज बदल रहा है । संविधान चुपचाप देख रहा है ! क्या क्या बदल रहा है , कितना कुछ बदल रहा है और नहीं बदल रही तो आम आदमी की किस्मत जो जस की तस है !
आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख
पर अंधेरा देख तू , आकाश के तारे न देख !
आकाश के तारे की तरह पंद्रह पंद्रह पंद्रह लाख रुपये की बात की गयी और चुनाव जीतने पर इसे चुनावी जुमला कहा गया ! कभी अधनंगे होकर स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने के लिये प्रदर्शन करने वाले जब सत्ता में आये तो जवाब दिया कि यह रिपोर्ट लागू करना संभव नहीं ! किसान को हर तरह कुचलने की कोशिश की गयी । फिर अधनंगे होकर प्रदर्शन किसलिये ! अभी अगले साल चुनाव का मिशन जारी है और कोई राहत मिलेगी ? कोई नहीं जानता !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।