बहना मेरी , राखी के बंधन को निभाना

बहना मेरी , राखी के बंधन को निभाना
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
इस बार गाने के बोल बदल गये न ? गाना तो है -भैया मेरे , राखी के बंधन को निभाना लेकिन राजस्थान के सियासी संकट ने इसे बदल दिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को महिला विधायकों से जैसलमेर में राखी बंधवाते हुए यही कहना पड़ा-बहना मेरी , मेरी सरकार को बचाना । सरकार बचाने के लिए क्या क्या पापड नहीं बेलने पड़ रहे हैं । है न कमाल ? पहले तो बहनों को महंगे रिसोर्ट में रखो , फिर राखी बंधवाने का भी तो कुछ शगुन दोगे कि नहीं ? फिर जाकर चौदह अगस्त आयेगा । भाजपा के चाणक्य मेदांता में दाखिल हो गये कोरोना की वजह से । इससे गहलोत के करीबियों के घर ईडी के छापे भी शांत हो गये । सीबीआई और ईडी के अफसरों को भी कुछ राहत मिली होगी । 

एक मजेदार समाचार भी आ रहा है कि पायलट गुट के कोविड 19 विधायक कांग्रेस हाईकमान से मिले और मांग की कि हमें तो न पायलट और न ही गहलोत मुख्यमंत्री चाहिए । बस । हम बोर हो चुके इन पुराने चेहरों से । कोई नया तीसरा चेहरा लाओ । उसे हम मुख्यमंत्री स्वीकार कर लेंगे । इन दोनों से हमें छुटकारा दिलाओ । अब हाईकमान को फैसला लेना है कि कौन सा चेहरा और कहां से लाएं ? वैसे भाजपा भी वसुंधरा राजे के चेहरे से बोर हो चुकी और सुनते हैं कि गजेंद्र शेखावत नयी पसंद हैं । इसी के चलते वसुंधरा भी गहलोत की बहन की भूमिका में सरकार बचाने में अप्रत्यक्ष मदद दे रही हैं तो बेचारा भतीजा ज्योतिरादित्य क्या सलाह दे पायलट को ? पायलट ने पत्ते नहीं खोले । बार बार एक ही बात कि मेरा अपमान किया । मैं अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता । मैं भाजपा में भी नहीं जाऊंगा । इस मान अपमान  और मान मनोब्बल में रिसोर्ट्स में विधायक धक्के खा रहे हैं । बाद में गहलोत और पायलट तो जादू की जफ्फी डालते दिखाई दें शायद लेकिन पिसेंगे तो विधायक ही । इन बड़े नेताओं का क्या बिगड़ेगा ? पिसते तो छोटे ही हैं । वैसे गहलोत जी आजकल डाकखाने के बाहर बैठे हैं और प्रधानमंत्री मोदी के नाम चिट्ठियां लिखते रहते हैं । मोदी जी हैं कि पांच अगस्त के राम मंदिर के मुहूर्त की इंतज़ार में राम राम कर रहे हैं । चल रही है सरकार । ऊपर भी । नीचे भी । 

ऐ भाई ज़रा देख के चलो ,,,,