राजस्थान विधायकों का मंडी भाव .... ठाठ ही ठाठ....
-कमलेश भारतीय
यदि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना सच माना जाये तो इन दिनों इस राज्य के विधायकों का भाव आसमान छू रहा है । खासतौर से जब विधानसभा सत्र चौदह अगस्त को आमंत्रित करने का राज्यपाल ने न्यौता दिया है । यह गहलोत कह रहे हैं कि विधानसभा सत्र को राज्यपाल द्वारा हरी झंडी दिखाये जाने पर हार्स ट्रेडिंग में विधायकों के भाव बढ़ गये हैं । यही कारण है कि विधायकों की बाडेबंदी जारी है यानी रिसोर्ट भी बाडेबंदी में आता है । बाडेबंदी मानेसर में भी जारी है । वे खुले दिल से कहते हैं कि अब चौदह दिन और विधायकों की बाडेबंदी इसी तरह जारी रहेगी । गहलोत का कहना है कि पहले हार्स ट्रेडिंग में पहली किश्त दस करोड़ रुपये थी और दूसरी काम हो जाने पर यानी सरकार गिरा देने पर पंद्रह करोड़ रुपये लेकिन अब यह असीमित कर दी गयी है ।
दूसरी ओर स्पीकर सी पी जोशी का एक वीडियो वैभव गहलोत के साथ वायरल हो रहा है जिसमें स्पीकर कह रहे हैं कि यदि तीस विधायक निकल जाते तो वो सरकार गिरा देते । वो यानी भाजपा वाले । स्पीकर कह रहे हैं कि यदि तीस विधायक निकल जाते तो आप हल्ला करते रह जाते , सरकार गिर जाती । वो तो मैंने संभाल लिया । इसलिए हो गया । किसी दूसरे के बस की बात नहीं थी यह । स्पीकर के स्टाफ ने गलती से यह वीडियो मीडिया को भेज दिया । वैभव गहलोत मुख्यमंत्री गहलोत के बेटे हैं । यह अनौपचारिक बातचीत राजस्थान में खूब चर्चित हो रही है । भाजपा सी पी जोशी के इस्तीफे की मांग करते कह रही है कि स्पीकर निष्पक्ष होना चाहिए । है न हास्यास्पद मांग । कौन इस तरह राजनीति में इस्तीफे देता है ? दूसरी बात कि भाजपा जो कदम उठा रही है वह क्या पाक साफ है ? राज्यपाल जो लगातार तीन तीन बार विधानसभा सत्र बुलाने पर मन मर्जी करते रहे वह किस संविधान के अंतर्गत लिखा है ? कभी इस ओर भी सोचिए । सरकारें गिराना जैसे भाजपा का शगल हो गया । मन की मौज आई और मध्य प्रदेश की सरकार गिरा दी । अब मन कहता है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार नहीं रहनी चाहिए । पता नहीं यह मन की मौज है या मन की बात । जैसे इलाहाबाद में मन आया और सारी गली पर भगवा रंग पुतवा दिया । पर होंठों पे ऐसी बात दबाये रखिए , साहब । सब भांडा मत फोड़िए । कुछ दिल में भी रहने दो ।
इस सारे खेल में विधानसभा बाडेबंदी में जरूर तब्दील हो गयी और विधायक बिकने वाले या रेस के घोड़े बन गये । रेस के घोड़ों पर भी दांव लगते हैं और इन पर भी । अब तो असीमित दांव मिलेगा । लोकतंत्र या कहिए विधायक बिकाऊ हैं । भाजपा सिर्फ मूक दर्शक कह कर मज़े ले रही है और क्या सचिन पायलट अकेले ही इतनी बड़ी गेम खेल रहे हैं ? छोड़ो यार । काश , आप राजस्थान में विधायक होते तो ज़िंदगी बन जाती ।अब जहां हो वहां बैठ भाजपा की तरह मज़े लीजिए । किसी के बाप का क्या जाता है ?