समाचार विश्लेषण/ईडी: कितनी अच्छी हो तुम ...
सुना है कि पूर्व प्रधानमंत्री और लौह महिला के रूप में मशहूर नेत्री अपने विरोधियों को बस में करने के लिए बातचीत के लिए बुलातीं और उनके कच्चे चिट्ठों वाली फाइल आगे रख देतीं और पूछतीं-कार्यवाही करूं या फिर आप चुप रहना पसंद करोगे ? बस । वह विरोधी नेता मौनी बाबा बन कर बाहर आ जाता ।
-*कमलेश भारतीय
सुना है कि पूर्व प्रधानमंत्री और लौह महिला के रूप में मशहूर नेत्री अपने विरोधियों को बस में करने के लिए बातचीत के लिए बुलातीं और उनके कच्चे चिट्ठों वाली फाइल आगे रख देतीं और पूछतीं-कार्यवाही करूं या फिर आप चुप रहना पसंद करोगे ? बस । वह विरोधी नेता मौनी बाबा बन कर बाहर आ जाता । यह एक ऐसा तरीका था , जिससे विरोधी भी काबू आ जाते और शोर भी न मचता कि कुछ गलत किया है । फिर अगले प्रधानमंत्रियों ने सीबीआई को अपना हथियार बनाया । बोफोर्स कांड के लिए सीबीआई विदेश तक घूम आई और सीबीआई के उस समय के निदेशक कितने सूटकेसों में सारे दस्तावेज लेकर ऐसे अवतरित होते थे मानो एवरेस्ट विजय करके आए हों लेकिन बोफोर्स कांड से कुछ न हुआ और सब खटाई में लेकिन सीबीआई विपक्षी नेताओं की छवि धूमिल करने और उन्हें परेशान करने में सबसे आगे थी और इसीलिए विरोधी नेताओं ने इसे सरकार का पालतू तोता कहा । जिस तरफ भी चाहे इसे छोड़ दिया जाता ।
अब लगता है कि पिछले कुछ सालों से यह तोता बूढ़ा हो गया । इसकी जगह नये तोते ईडी ने ले ली है । ईडी तो इतने प्यारे ढंग से आती है जैसे शूगर की बीमारी के बारे में कहा जाता है कि साइलेंट किलर । यह ईडी भी साइलेंट किलर जैसी है जिसके घर आ गयी छापामारी करने उसे साथ लेकर ही जाती है । है न कमाल ? अभी पश्चिमी बंगाल के एक मंत्री के घर गयी थी और उसे लेकर ही गयी बल्कि उसकी एक सहयोगी को भी लपेट लिया और मजेदार बात कि करोड़ों करोड़ों रुपये बरामद किये तो आम आदमी का मुंह आश्चर्य से खुले का खुला रह गया । बस । एक अदद मंत्री होने जरूरी है । अभी देश की सबसे पुरानी पार्टी के सर्वेसर्वा मां बेटे को भी ईडी दफ्तर बुला कर याद दिलाया कि आपने अपने राज में एक नेता को जेल दिखाई थी । अब आपको कैसा लग रहा है ? याद आया कुछ ? यह राजनीति बदले की ओर बढ़ती जा रही है ।
मुझे अपने मित्र जम्मू के लेखक छत्रपाल की रचना याद आ जाती है । इसमें मंत्री महोदय अपने अकाउंट हैंडल करने वाले से पूछते हैं कि बताओ , कितना काला धन इकट्ठा हो गया ?
-जी । इतना कि आपकी सात पीढ़ियां आराम से बिना कुछ किये मजे में ज़िंदगी गुजार सकती हैं ।
इतना सुनने क बाद मंत्री जी बेहोश हो गये । जब पानी के छींटे दिये और आंख खुली तब अकाउंटेंट ने पूछा -क्या हो गया था आपको ?
-मैं आठवीं पीढ़ी की चिंता में बेहोश हो गया था ।
तो मित्रो । यह हाल है , यह सोच है हमारे नेताओं की । पता नहीं आने वाली कितनी पीढ़ियों की चिंता में घुले और मरे जा रहे हैं ।
अब हमारी प्यारी ईडी ने महाराष्ट्र में दस्तक दी है शिवसेना के एक राज्यसभा सदस्य के घर । वे कहते थे कि जहां के आप छात्र हो , हम वहां के हैडमास्टर हैं । पहले शिवसेना की सरकार गिरा कर और अब उनकी गिरफ्तारी कर सारी हैडमास्टरी निकाल दी और शिवसेना की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी । वैसे वे कह रहे हैं कि मुझे साजिश में फंसाया गया है ।
यही बात पश्चिमी बंगाल के हटाये व निकाले गये मंत्री भी कह रहे हैं कि मुझे फंसाया गया । अब कौन सच्चा , कौन झूठा ? कौन फैसला करेगा ? ईडी तो जैसे कोई दीदी ! कितने प्यार से ले चली । और वे कहे जा रहे हैं कि मैं पार्टी नहीं छोड़कर जाने वाला । अरे ! भलमनस ! कितने तो अपने पाप धो चुके और कितने धो लेंगे । तुम क्या भया परेशान ? बहती गंगा में हाथ धो ले । लगे हाथों पवित्र हो ले । जय गंगा मैया , तोहे तियरी चढ़ाऊं , गाओ भैया । यह ईडी कितने नेताओं के पाप धो चुकी । अभी मौका है ।सोच लो । फिर देरी हो जाये कहीं देर न हो जाये ...
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।