समाचार विश्लेषण/आ गयी रिया, न लागे मोरा जिया
-कमलेश भारतीय
लीजिए फिर आ गयी रिया यानी रिया चक्रवर्ती । सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फ्रेंड । जिसके एक नहीं हजार हजार किस्से टी वी चैनलों पर मशहूर हुए और वह मासूम बनी कहती रही कि मेरा इतना ही कसूर है कि मैंने प्यार किया । प्यार की इतनी बड़ी सज़ा और जिस तरह से मीडिया उसके पीछे भागता रहा , उससे उसके गुनाहगार होने के बावजूद एक लड़की की दुर्दशा किये जाने पर तरस भी आता रहा । बाप ने भी रिया के जेल जाने के बाद कुछ इसी अंदाज में कहा कि अब तो आप लोग खुश हो ? एक माह तक जेल में रहने के बाद रिया जमानत पर बाहर है ।
रिया के केस के चलते दीपिका पादुकोण, सारा अली खान ही नहीं श्रद्धा कपूर से भी पूछताछ हुई और इन्हें भी आरोपियों के तौर पर नामजद किया गया है । एन सी बी के अधिकारी के अनुसार आरोपपत्र में दो सौ से ज्यादा गवाहों के बयान शामिल हैं । वाट्स अप चैट्स भी शामिल हैं । रिया चक्रवर्ती पर मादक पदार्थ खरीदने रखने और पैसे देने के आरोप हैं । उसके भाई की भागीदारी है । अब टीवी चैनल्ज को एक बार फिर ग्लैमर का तड़का लगाने का सुनहरी अवसर मिल गया है । सुशांत की आत्महत्या की गुत्थी सुलझेगी , यह तो कह नहीं सकते लेकिन इन अभिनेत्रियों के शाॅट्स दिखा दिखा कर किसान आंदोलन से बोर हो चुके दर्शकों को राहत जरूर दी जायेगी ।
मजेदार बात कि पश्चिमी बंगाल में भी ग्लैमर का तड़का लगाया जा रहा है । अपने मिथुन दादा सात मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भगवामय हो जायेंगे । कुछ दिन पहले ही वे नागपुर में थे और संघ प्रमुख मोहन भागवत की शरण में थे । बाहर आये और बोले कि बस मैं तो उनके साथ नाश्ता करने गया था । सच ।मुम्बई से नागपुर सिर्फ नाश्ता करने गये थे और अब नाश्ते का प्रमाण सामने आने वाला है कि दादा दीदी को छोड़ कर भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं । नुसरत जहां तृणमूल कांग्रेस में हैं । एक्ट्रेस भी और माॅडल भी । एक ही कदम रखते सीधे संसद में चुनी गयी । बाबुल सुप्रियो , रूपा गांगुली पहले से भाजपा में हैं । बाबुल के सुर कितने भी प्यारे क्यों न हों , दीदी को नहीं भाते । इसलिए बाबुल पर हमले भी हुए । पश्चिमी बंगाल में चुनाव के चलते हिंसा बढ़ती जा रही है । दीदी ने शुभंकर के गढ़ नंदीग्राम में चुनाव लड़ने की घोषणा की है और पचास महिलाओं को टिकट देकर गेम खेली है । यह कितना कारगर होगा ? युवाओं को अवसर दिया है । सिर्फ तीन सीट सहयोगी दल को दी हैं । ममता बनर्जी अकेले जूझ रही है । किसान नेता जायेंगे तो बात कितनी बनेगी ? कह रहे हैं सब कि खेला होये या परिवर्तन ?