समाचार विश्लेषण/ हमसे भूल हो गयी, हमका माफी दई दो
अधीर रंजन की माफी और कोर्ट के समन
-*कमलेश भारतीय
संसद में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर हंगामा शांत होने में नहीं आ रहा । भाजपा को एक अच्छा अवसर मिल गया , दूसरे जरूरी मुद्दों से आंख चुरा कर निकल जाने का । इसके लिए अधीर रंजन को कम , कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी को ज्यादा घेरा जा रहा है और माफी मांगने पर भाजपा अड़ी हुई है । हालांकि अधीर रंजन चौधरी ने लिखित रूप से राष्ट्रपति को खत लिखकर माफी मांग ली है लेकिन इससे भाजपा संतुष्ट नहीं । उन्हें तो सोनिया गांधी की ओर से माफी चाहिए । वैसे नुपूर शर्मा के कृत्य पर , घृणित टिप्पणी पर क्या भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कोई माफी मांगी ? नुपूर शर्मा ही अपने बयान की जिम्मेदार है , ऐसे ही अधीर रंजन चौधरी अपने बयान के लिए जिम्मेदार हैं और माफी मांगने के अलावा राष्ट्रपति से मिलने का समय भी मांगा है और कहा है कि उनकी जुबान फिसल गयी थी , अब सामने बैठकर माफी मांगना चाहते हैं । इसके विपरीत कांग्रेस भी स्मृति ईरानी पर सोनिया गांधी का अपमान करने का आरोप लगाकर माफी की मांग कर रही है । हम तो दोनों पक्षों को एक ही बात कह सकते हैं कि हमसे भूल हो गयी , हमका माफी दई दो ...और क्या बच्चे की जान ले लोगे क्या ?
दूसरी ओर स्मृति ईरानी की अठारह वर्षीय बेटी के गोवा में 'अवैध बार' चलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईरानी को मंत्रिमंडल से हटाये जाने की मांग की थी । कांग्रेस नेताओं ने यहीं बस नहीं की, सोशल मीडिया के फेसबुक , ट्विटर और यूट्यूब सभी मंचों पर इसे जारी किया । इस पर स्मृति ईरानी ने पवन खेड़ा, जयराम रमेश और नेट्टा डिसूजा के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया । इस पर कोर्ट ने इन नेताओं को 24 घंटे के भीतर अपने सोशल मीडिया से ये सारी सामग्री तुरंत हटाने के आदेश दे दिये हैं ।
यह चरित्र हनन की राजनीति क्यों ? याद है जब हरियाणा में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे द्वारा आधी रात को एक लड़की का पीछा करने का मामला उछला था तब सुभाष बराला को हटाये जाने की मांग प्रदेश भर के नेताओं ने की थी लेकिन भाजपा ने बराला को पद पर बनाये रखा था । ऐसे ही स्मृति ईरानी पद पर बनी रहेंगीं । कहीं नहीं जाने वाली ।
वैसे चुनाव के दिनों में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने प्रियंका गांधी पर नशे में धुत्त होने जैसे आरोप लगाये थे । ये क्या बहुत शोभनीय था ? नहीं ।
हां , खत्म की जानी चाहिए यह चरित्रहनन की राजनीति ...
तो फिर हमका माफी दई दो ...
अगर हमसे कुछ भूल हो गयी हो ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।