समाचार विश्लेषण/इस सादगी पर कौन न मर जाये
कांग्रेस की ये छोटी मोटी बातें
-*कमलेश भारतीय
कांग्रेस में ऊपर से नीचे तक गुटबाजी ही गुटबाजी है जो इसे सत्ता के द्वार से दूर रख रही है पर कांग्रेसी हैं कि मानते नहीं ! दिल्ली से लेकर राजस्थान या फिर हरियाणा किसी तरफ निकल जाओ कांग्रेसी आपस में फ्रेंडली मैच खेलते मिल जायेंगे ! अभ्यास निरंतर जारी रहता है ।
राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट मौके की तलाश में रहते हैं । मौका मिला नहीं कि बयान दागा नहीं ! अशोक गहलोत ने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी कुर्बान कर दिया इस गुटबाजी पर । तेरे अंदाज के सदके ! दिल्ली में कांग्रेस इस गुटबाजी के चलते शून्य पर आ चुकी है । न अजय माकन संभाल पाये , न ही अरविंदर लवली ! अलका लाम्बा भी कभी आप तो कभी कांग्रेस में डोलती फिर रही हैं ।
इधर हरियाणा कांग्रेस में एक से बढ़कर एक छोटी मोटी बातें होती रहती हैं । पहले राज्यसभा चुनाव में हुईं । खूब छींटाकसी एक दूसरे पर । यानी होली के रंग हर मौसम में ! एक वोट तो खुले विरोध में अंतरात्मा की आवाज पर डाली कुलदीप बिश्नोई ने लेकिन दूसरी वोट किसकी रद्द हुई और क्यों ? जिस पर भी निगाह गयी , वही आंखें लेल कर बोलीथ कि मैं जानती हूं वोट डालना , मुझे मत सिखाओ । इस पर कांग्रेस मौन है । पर विवेक बंसल की छुट्टी लगभग तय हो गयी । विवेक बंसल यानी प्रभारी हरियाणा प्रदेश कांग्रेस चुनाव की खिच खिच दूर हुई तो लो आदमपुर उपचुनाव आ गया । किससे पूछा , किससे सलाह ली और कौन स्टार प्रचारक प्रचार के लिये गया और कौन नहीं , इन छोटे छोटी बातों पे जो बयानबाजी हुई , मां कसम मजा आ गया ! कैसे हर बात में बयानबाजी की जा सकती है जैसे सट्टा बाजार वाले किसी भी बात पर सट्टा लगा सकते हैं , बिल्कुल वैसे ही कांग्रेसी किसी भी बात पर शुरू हो जाते हैं । किसकी क्या और कितनी हैसियत है ? कौन कौन कितने पानी में है ? कौन हाईकमान के निकट और कौन दूर ? सब सामने आने लगता है । हाईकमान भी थपकी देकर घोड़ों को रेस में खुला छोड़कर मजा लेती है । अब चुनाव खत्म हो गया । बयानबाजी फिर भी न थमी । किरण चौधरी अपनी हैसियत दिखाने हरियाणा भर में कार्यकर्त्ताओं के द्वार पहुंचने लगीं लेकिन आदमपुर में जाने का समय न मिला ! यह होती है क्रिकेट की तरह सही टाइमिंग ! हैसियत इसी का नाम है और चर्चा है कि वे हाथ को झटकने की तैयारी में हैं । वे कहती हैं कि नहीं । मैं तो कांग्रेस में ही रहूंगी । देखो । जो जितना कहता है , वो उस पर कितना टिका रहता है ? भाजपा के मंत्री जे पी दलाल भी कह रहे हुईं कि धुआं जहां होता है , आग वहीं होती है ! यह तो समय ही बतायेगा । लेकिन इतना जरूर है कि कहीं न कहीं नये राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने जरूर अनुशासन की घुट्टी पिलाई है कि कांग्रेसियों की बयानबाजी बदल गयी है । किरण चौधरी भी कह रही हैं कि आदमपुर पर बहुत डिबेट हो चुकी और सारा हरियाणा जानता है । अब कोई बात नहीं इस मुद्दे पर । मैं तो सुरेंद्र सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करने आई हूं । मेरा मूड नहीं कोई और बात करने को
सुभाष बतरा ने भी यू टर्न ले लिया और सबसे बड़ी बात कही नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कि छोटी मोटी बातें होती रहती हैं ! लो जी । अब हमारा भी विराम । फिर आयेंगे किसी नये मुद्दे के साथ ! जिओ कांग्रेसजनों जिओ और हरियाणा की जनता को मुफ्त का मनोरंजन करवाते रहो !
हम तो इतना ही कहेंगे :
इस सादगी पर कौन न मर जाये ऐ खुदा
लड़ते भी हैं और हाथ में तलवार भी नहीं !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।