खबरें वस्तुपरक होनी चाहिए, पूर्वाग्रह-ग्रस्त नहीः परवीन के. मोदी

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर एमडीयू में संवाद कार्यक्रम।

खबरें वस्तुपरक होनी चाहिए, पूर्वाग्रह-ग्रस्त नहीः परवीन के. मोदी

रोहतक, गिरीश सैनी। अभिव्यक्ति की आजादी लोकतांत्रिक समाज तथा राष्ट्र का आधार है। प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र के स्वास्थ्य को इंगित करती है। स्वतंत्रता के साथ-साथ जिम्मेदारी तथा दायित्व बोध भी प्रेस के लिए अहम है। प्रतिष्ठित पत्रकार तथा द इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक परवीन के मोदी ने शुक्रवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित संवाद कार्यक्रम में ये विचार व्यक्त किए।

परवीन मोदी ने विद्यार्थियों को कहा कि सत्य और तथ्य खबरों की बुनियाद हैं। इसलिए खबरों की दुनिया में सत्य और तथ्य के बगैर खबर न करें। साथ ही, कानून की जानकारी तथा संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी मीडिया के विद्यार्थियों को होनी चाहिए। उन्होंने परामर्श दिया कि खबरें वस्तुपरक होनी चाहिए, पूर्वाग्रह-ग्रस्त नहीं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को परवीन मोदी ने विशेष रूप से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि खबरों के लोक हितकारी पक्ष को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए। अपने विद्वतापूर्ण संबोधन में परवीन मोदी अपने पत्रकारीय जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए सत्य, तथ्य तथा कानूनी पहलुओं की जानकारी का विशेष रूप से उल्लेख किया। संबोधन उपरांत शोधार्थियों-विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर परवीन मोदी ने दिए।
विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में प्रिंट मीडिया का इतिहास स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा रहा है। पत्रकारिता के समक्ष वर्तमान दौर में चुनौतियां हैं, परंतु पत्रकारिता के शाश्वत मूल्य हमेशा अस्तित्व में रहेंगे। उन्होंने कहा कि सवाल उठाना पत्रकारिता का मूल मंत्र है।

शिक्षाविद डा. एसजेएच नकवी ने इस अवसर पर कहा कि वैचारिक असहमति का सम्मान करना स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक है। पत्रकार पवन बंसल ने प्रेस स्वतंत्रता तथा खोजपरक पत्रकारिता के महत्व को इंगित किया। शोधार्थी कुलदीप, प्रिया, जगरूप सिंह, संदीप, विनोद गिल ने कार्यक्रम में विषय पर वैचारिक इनपुट्स दिए।

कार्यक्रम संचालन सहायक प्रोफेसर सुनित मुखर्जी ने किया। उन्होंने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता समाज-राष्ट्र के लिए तथा आम जनता के सरोकारों तथा हितों के लिए जरूरी है। सहायक प्रोफेसर डा. नवीन कुमार ने कहा कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता संवैधानिक मूल्यों को परिलक्षित करती है। इस कार्यक्रम में विभाग के एलुमिनस, बीएमयू के सहायक प्रोफेसर डा. सुशील कुमार, मीडिया कर्मी, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग-एमडीयू, बीएमयू तथा जाट कॉलेज के विद्यार्थी शामिल हुए।