फिर निर्भया कांड, फिर मोमबत्तियां
एक रेपकांड, जगहें बदलता
-*कमलेश भारतीय
कभी स्वर्गीय डॉ नरेंद्र मोहन ने देश के अलग अलग हिस्सों में साम्प्रदायिक उन्माद, दंगे फैलने के बाद होने वाली आगजनी पर लम्बी कविता लिखी थी-एक अग्निकांड जगहें बदलता ! एक ही अग्निकांड है जो देश भर में जगहें बदलता रहता है । अगर इन अग्निकांडों की बात करें तो सबसे ज्यादा अग्निकांड सन् 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए, जिसे भाजपा आज तक भुना रही हैं ।
अब नये दौर में इसी काव्य पंक्ति की तर्ज़ पर कह सकता हूँ-एक रेप कांड जगहें बदलता ! दिल्ली के निर्भया कांड से शुरू हुए इस रेप कांड की नयी जगह कोलकाता है, जहां एक युवा महिला डाॅक्टर के साथ घिनौना कांड कर देने के बाद हत्या कर दी गयी ! यह कांड मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है और जांच में मिले सीमन के आधार पर यह बात आ रही है कि इस वीभत्स कांड को एक नहीं, कम से कम तीन लोगों ने अंजाम दिया होगा यानी गैंगरेप । इसके बाद मेडिकल कॉलेज के सामने सात हज़ार लोग प्रदर्शन करते हैं और यह आशंका जाहिर की जा रही हैं कि यह अप्रत्यक्ष रूप से सबूत मिटाने की साज़िश है । विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज पर अनियंत्रित भीड़ का हमला पूर्व नियोजित था, अपराध स्थल को नष्ट करने के लिए लोगों को लाॅरियों में भर भर कर लाया गया । चीफ जस्टिस ने भी कहा कि यह भरोसा करना मुश्किल है कि पुलिस को 7000 लोगों के इकट्ठे होने की भनक नहीं लगी ? यह पता लगाने की जरूरत है कि तोड़फोड़ के कारण क्या हैं ? जिस सेमीनार हाल में यह घिनौना कांड हुआ उसे विरोध के बाद तेरह अगस्त को ध्वस्त कर दिया गया । पर मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन का दावा है कि यह सुरक्षित है । चीफ जस्टिस का कहना है कि बेहतर होगा अस्पताल बंद कर मरीजों को शिफ्ट कर दिया जाये ! खुद पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिला डाॅक्टर को इंसाफ दिलाने के लिए कोलकाता की सड़कों पर निकाले गये पैदल मार्च में शामिल हुईं । ममता बनर्जी ने भाजपा व माकपा कार्यकर्ताओं पर मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ का आरोप लगाया, यह आरोप लगाने ही क्या मुख्यमंत्री सड़क पर आईं ? मुख्यमंत्री को तो अपनी पुलिस पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए और आप किसके पास इंसाफ मांगने सड़क पर निकली हैं? इंसाफ मुख्यमंत्री ने देना है और मुख्यमंत्री खुद ही सड़क पर मार्च का बहाना बना डैमेज कंट्रोल करने निकल पड़ी हैं ! कम से कम ऐसे कांड पर तो राजनीति से तौबा कीजिये ममता जी, कुछ तो ममता दिखाइये !
अब इस घिनौने कांड के विरोध में वही पुराने तरीके यानी मेडिकल हाल बंद, डाॅक्टर छुट्टी पर,मोमबत्ती हाथ में लेकर प्रदर्शन और घोर निंदा ! निर्भया कांड से लेकर कोलकाता के मेडिकल कॉलेज तक एक ही तरीका अपनाया जा रहा है । एक कांड हैदराबाद में हुआ था, ऐसे ही वेटेनरी महिला डाॅक्टर के साथ रेप कांड और फिर इससे पहले कि शोर, शराबा या हंगामा बरपता, एनकाउंटर में मार दिये सभी गैंगरेप के दोषी ! फैसला ऑन द स्पाट ! होहल्ला तो बहुत मचा लेकिन ऐसे लोगों को संदेश चला गया कि जेल में बंद कर और जीवन नहीं देंगे जैसे निर्भया के दोषियों को दिया था !
बड़ी बात याद आती है बार बार जब मुक्केबाज मेरिकाॅम ने अपने जुड़वां बेटों के नाम खत लिखा था कि बेटे, तुम नारी का सम्मान करना सीखना, ऐसे कोई काम न करना ! ल़बा खत था, निचोड़ यही था । सच में हमने परिवार में संस्कार ही नहीं दिये नारी के सम्मान करने के ! यदि यह भावना भर दी जाये बचपन से तो कौन ऐसे कांड करने की सोचेगा ? हम तो इन्हें बचाने दौड़ पड़ते हैं ! निर्भया कांड के दोषी किस किस तरह से बचने के कानूनी तरीके ढूंढते रहे और मां बाप के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी मुश्किल ह़ो गयी ! हरियाणा के अम्बाला की रूचिका के मां बाप की बजाय उसकी सहेली के मां बाप ने सालों चली लम्बी लड़ाई लड़ी और आखिरकार राठौर जैसे बड़े पुलिस अधिकारी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया ।
यह बहुत ही शर्मनाक है, बार बार निर्भया का़ड होना!!
राजेश रेड्डी कहते हैं :
इन आंखों की खामोशी में इतना भी न झांकें
भीगी हुई तहरीर अभी बोल पड़ेगी!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी