समाचार विश्लेषण/दूरबीन नहीं, चश्मा लगाइए
-कमलेश भारतीय
अपने राज्यों व मुख्यंत्रियों के गुणगान करना आम रिवाज है और दूसरों की आलोचना करना भी आम बात है । यही रिवाज चल रहा है । इसी रिवाज को निबाहते केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह जब उत्तर प्रदेश में जनसभा को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने योगी के शासन में अपराधियों पर नकेल कसने की सराहना करते कहा कि देखिए योगी राज में अपराधी तो दूर दूर तक नजर नहीं आ रहे और इनको ढूँढने के लिए दूरबीन लगाकर देखना पड़ता है ।
इस पर उत्तर प्रदेश में लगातार सक्रिय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी बाड्रा ने पलटवार करते तंज कसा कि असल में अमित शाह को दूरबीन की नहीं , चश्मा लगाने की जरूरत है क्योंकि इनकी बगल में ही अमित मिश्रा खड़े थे जो लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ियों के नीचे कुचले जाने के आरोपी हैं और इन पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी । यहां तक कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से निकाला भी नहीं गया । क्या सचमुच चश्मे की जरूरत है या फिर गुणगान करना महज औपचारिकता ? निश्चय ही लखीमपुर खीरी विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा रहेगा ।
असल में इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतना भाजपा के लिए उतना आसान न रह जायेगा जितना पिछली बार रहा । अब तो प्रियंका गांधी समय पर सक्रिय हो चुकी हैं और लगातार चोट कर रही हैं । ऊपर से जिस तरह उन्हें लखीमपुर खीरी जाते समय हिरासत में रखा गया उससे भी उन्हें ज्यादा कवरेज खुद भाजपा मुख्यमंत्री ने ही दे दी । दूसरी ओर अजय मिश्रा का इस्तीफा न लेना भी मुद्दा तो बन ही चुका है । ऐसा लगता है भाजपा अब भी अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के भरोसे उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता में लौटने के ख्वाब देख रही है ।
जहां तक दूसरे प्रमुख दलों की बात है तो समाजवादी पार्टी के अखिलेश भी सक्रिय हो चुके हैं और बसपा से कुछ पूर्व विधायक उनके दल में शामिल बो गये हैं जिसका खूब बुरा मनाया बहन मायावती ने यह कह कर कि इससे कुछ नहीं होने वाला पर होता तो है । कुछ कुछ तो होता ही है । रब्ब झूठ न बुलाये ।
मायावती पूरे समय लगभग खामोश रहीं । उन्होंने भाजपा सरकार का ज्यादा विरोध किया ही नहीं । अब विधानसभा चुनाव निकट आते देख उनकी आंख खुलीं और उन्होंने ब्राह्मणवाद का मुद्दा बना कर ज्यादा टिकट उनको देने की वकालत की है । पहले भी यह तुरूप चाल चल चुकी हैं । अजब है न ? अब इसका कोई असर होगा? कह नहीं सकते । प्रियंका गांधी ने जरूर बिल्कुल हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस में प्राण फूंकने का अभियान चला रखा है । यबां तक कि चालीस प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की है । यह घोषणा क्या रंग दिखायेगी ? बाकी तो परिणाम बतायेंगे ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।